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राजनीति की पहली पारी में ही विवादों में उलझने लगे गौतम गंभीर

By आर एस शुक्ल
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नई दिल्ली। राजनीति और विवाद का रिश्ता बहुत पुराना रहा है। इसीलिए संभवतः राजनीति को काली कोठरी भी कहा जाता है। इसी आधार पर यह भी माना जाता है कि जो भी इसमें जाएगा, विवादों से बच नहीं पाएगा। अगर कुछ भी नहीं होगा, तब भी विपक्षी ही अपने विरोधियों को विवादों में घसीटने से बाज नहीं आएंगे। अभी हाल ही में भाजपा में शामिल हुए और पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी बनाए गए पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर भी विवादों में फंसने लगे हैं। इसमें बड़ा मामला यह है कि चुनाव आयोग की ओर से गंभीर पर केस दर्ज करने का आदेश दिया गया है। इस आदेश के पीछे कारण यह बताया गया है कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के जंगपुरा में बिना इजाजत लिए ही चुनावी सभा की है। इस मामले में उन पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। कहा गया है कि गंभीर ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है इसलिए उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

गौतम गंभीर भी विवादों में फंसने लगे हैं

गौतम गंभीर भी विवादों में फंसने लगे हैं

इसके अलावा, एक दूसरे मामले में भी गौतम गंभीर विवादों में उलझ गए हैं। यह मामला चुनाव में उनकी प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी (आप) की प्रत्याशी आतिशी की ओर से उठाया गया है। आतिशी ने तीस हजारी कोर्ट में मामला ले जाकर कहा है कि गंभीर के पास दो मतदाता पहचान पत्र एक राजेंद्र नगर और दूसरा करोल बाग का है। आतिशी का कहना है कि यह ‘आपराधिक कृत्य' है। दरअसल, व्यवस्था के मुताबिक कोई व्यक्ति सिर्फ एक ही मतदाता पहचान पत्र रख सकता है। दो मतदाता पहचान पत्र होने की स्थिति में चुनाव आयोग की ओर से पहले नोटिस भेजा जाता है। उसके बाद भी एक जगह से नाम न हटवाने पर पुलिस कार्रवाई की व्यवस्था है। गौतम गंभीर के मामले में आतिशी का यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने शपथपत्र में इसका उल्लेख नहीं कर एक तरह से झूठ बोला है जिसे किसी भी तरह से उचित नहीं कहा जा सकता।

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चुनाव आयोग ने गंभीर पर केस दर्ज करने का दिया आदेश

चुनाव आयोग ने गंभीर पर केस दर्ज करने का दिया आदेश

हालांकि यह दोनों ही मामले चुनाव और आचार संहिता से जुड़े हुए हैं। इसलिए यह माना जा सकता है कि इनमें कोई ऐसी कार्रवाई शायद ही हो जिससे बड़ा नुकसान हो सके। पहले तो किसी कार्रवाई की संभावना नहीं लगती और अगर कुछ होती भी है तो वह प्रतीकात्मक ही ज्यादा हो सकती है। लेकिन इन आरोपों से यह तो पता चलता है कि किसी भी प्रत्याशी को इससे बचना चाहिए। इसमें बिना इजाजत सभा करने के बारे में यह भी कहा जा सकता है कि अगर ऐसा हुआ है तो इसमें पार्टी संगठन की ज्यादा जिम्मेदारी बनती है। सभा के बारे में पूर्व में इजाजत लेना एक सामान्य प्रक्रिया है जिसमें अगर कोई बेहद संवेदनशील मामला नहीं है तो तकरीबन हर किसी को इजाजत मिल ही जाती है। ऐसे में अगर कोई पार्टी अथवा प्रत्याशी पूर्व में इजाजत नहीं लेता, तो इसे एक तरह से आयोग की अवहेलना की श्रेणी में रखा जा सकता है। फिलहाल इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है, तो यह देखने की बात होगी कि क्या कार्रवाई होती है। वैसे क्या यह ज्यादा अच्छा नहीं होता कि पहले अनुमति ले ली गई होती और फिर सभा की जाती। इससे कम से कम एक विवाद से तो बचा ही जा सकता था। दूसरा मामला भी हालांकि अदालत में ले जाया गया है, लेकिन यह उतना बड़ा लगता नहीं जितना बताया जा रहा है। फिर भी इससे बचा जा सकता था क्योंकि गौतम गंभीर कोई आम आदमी नहीं हैं। वह बड़े क्रिकेटर रहे हैं और अब एक बड़ी व सत्ताधारी पार्टी के प्रत्याशी हैं। अगर चुनाव जीत गए, तो सांसद भी बन जाएंगे। ऐसे में पहले ही मतदाता पहचान पत्र को दुरुस्त कर लेना चाहिए था और उनकी ओर से शपथ पत्र में उचित जानकारी देनी चाहिए थी।

खेल के दौरान गंभीर अपने गुस्से की वजह से भी खबरों में रहे

खेल के दौरान गंभीर अपने गुस्से की वजह से भी खबरों में रहे

यह तो रही नई-नई राजनीति में विवादों की स्थिति। क्रिकेट की पिच पर कई बार अपने खेल से खेल प्रेमियों का दिल लुभा लेने वाले गंभीर कई बार विवादों में भी उलझ चुके हैं। गंभीर खेल के दौरान अपने गुस्से की वजह से भी कई बार खबरों में रहे हैं। इस तरह का एक मामला रणजी मैच का रहा है जिसमें गंभीर कप्तान थे। तब बंगाल की टीम के कप्तान रहे मनोज तिवारी के साथ उनका विवाद काफी बढ़ गया था। यहां तक कि उन्होंने घूंसा तक तान दिया था। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि अंपायर के बीचबचाव की स्थिति में उन्हें भी धक्का दे दिया था। इसी तरह का एक अन्य विवाद भी चर्चा में रहा है जिसमें 2007 में कानपुर में हुए एक दिवसीय मैच के दौरान पाकिस्तानी खिलाड़ी शाहिद अफरीदी साथ हुई बहस इतनी तीखी हो चुकी थी कि अंपायरों को दोनों खिलाड़ियों को समझाकर अलग करना पड़ा था। इसके अलावा आईपीएल-6 के दौरान सन 2013 में उनकी बहस आरसीबी के कप्तान विराट कोहली से हो गई थी। मिस्टर कूल के नाम से प्रसिद्ध रहे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को लेकर भी एक बार गौतम गंभीर विवादों में आ चुके हैं। धोनी पर बनी फिल्म को लेकर एक बयान गंभीर की ओर से आ गया था जिसमें उन्होंने इस आशय के विचार रखे थे कि क्रिकेट खिलाड़ियों पर फिल्में नहीं बननी चाहिए। उनका यह भी तर्क था कि जिन लोगों ने देश के कल्याण के लिए काम किए हों उन पर फिल्म बननी चाहिए।

AAP की प्रत्याशी आतिशी ने कहा- गंभीर के पास हैं दो मतदाता पहचान पत्र

AAP की प्रत्याशी आतिशी ने कहा- गंभीर के पास हैं दो मतदाता पहचान पत्र

इससे एक बात किसी को आसानी से समझ में आ सकती है कि चीजों को देखने का उनका अपना तरीका है जिससे शायद वह किसी भी हालत में समझौता नहीं कर पाते। तभी तो बेहद अनुशासनप्रियता वाला संभ्रांतों का खेल माने जाने वाले क्रिकेट भी वह अपना गुस्सा दिखा ही देते थे। अब राजनीति में भी शुरुआत में ही विवादों में घिरने लगे हैं। माना जा सकता है कि वह क्रिकेट की ही तरह राजनीति में भी लंबी पारी खेलने के लिए आए होंगे। ऐसे में अगर शुरू में ही विवादों में उलझने लगेंगे, तो यह उनकी राजनीति के लिए बहुत अच्छे लक्षण नहीं कहे जाएंगे। यह ज्यादा अच्छा माना जाएगा कि वह हरसंभव कोशिश विवादों से बचने की कोशिश करें ताकि कोई उन पर अंगुली न उठा सके।

पढ़ें, पूर्व दिल्ली लोकसभा सीट का पूरा प्रोफाइल

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English summary
Lok Sabha Elections 2019: After entry in Politics Gautam Gambhir comes in controversy.
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