अखिलेश के सहारे केंद्र की राजनीति में वापस आ गई मायावती की बसपा, सपा से डिंपल भी हार गईं
अखिलेश के सहारे शून्य से दस पर आई मायावती की बसपा, सपा से डिंपल भी हार गईं
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 62 सीटें, उसके सहयोगी अपना दल को दो, बसपा को 10, समाजवादी पार्टी को 5 और कांग्रेस को एक सीट मिली है। सपा-बसपा-आरएलडी ने गठबंधन कर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ा लेकिन वो उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सके। इसके बावजूद बसपा शून्य से दस पर पहुंचने में कामयाब रही है। 2014 में बसपा को कोई सीट नहीं मिली थी, इस बार उसके दस मेंबर जीते हैं। बसपा की इस जीत में सपा से गठबंधन को अहम माना जा रहा है, हालांकि सपा सिर्फ पांच सीट ही जीत सकी है, उसने 2014 में भी पांच सीटें जीती थीं।
आरएलडी के लीडर जयंत चौधरी ने एक बार बताया था कि इस गठबंधन के सूत्रधार अखिलेश यादव ही रहे। अखिलेश ने गठबंधन बनाया और गठबंधन के सहारे मायावती की केंद्र की राजनीति में वापसी हो गई, निचले सदन में अब उनके दस मेंबर हैं। ऐसे में अखिलेश के सहारे बसपा जीरो से दस पर पहुंच गई तो वहीं सपा की सीटों की संख्या ज्यों की त्यों रही लेकिन कई मजबूत सीटें उनके हाथ से निकल गईं। ऐसे में उसे एक तरह से नुकसान ही हुआ। 2014 में बदायूं, कन्नौज और फिरोजाबाद सीटें सपा ने जीती थीं, जो इस बार वो हार गई। तीनों पर ही यादव परिवार के सदस्य लड़ रहे थे। कन्नौज से अखिलेश यादव की पत्नी चुनाव हारी हैं।
मोदी सुनामी के राहुल सबसे बड़े लूजर, उनके बाद ये हैं दिग्गज नाम
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए डाले गए वोटों की गिनती चल रही है। अब तक के रुझानों में भाजपा ने सभी दलों पर बढ़त बनाई हुई है। यूपी में भी भाजपा एक बार फिर से सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। सूबे में पिछले लोकसभा चुनाव में शून्य पर पहुंची बसपा के लिये पांच साल बाद संसद के निचले सदन में फिर से दस्तक देने की उम्मीद जागी है।
बसपा को अंबेडकरनगर, अमरोहा, बिजनौर, गाजीपुर, घोसी, लालगंज, नगीना, सहारनपुर, श्रावस्ती और जौनपुर में जीत मिली है। वहीं सपा को मैनपुरी, आजमगढ़, रामपुर, संभल और मुरादाबाद में जीत मिली है। ऐसे में बसपा अब सपा से मजबूत हो गई है।
चंद्राणी मुरमु, 17वीं लोकसभा के लिए चुनी गईं सबसे युवा सांसद