Lok Sabha Election results 2019: दिल्ली में जीरो मिलने के बाद भी क्यों खुश है कांग्रेस?
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने दिल्ली की सातों सीटों पर विशाल जीत दर्ज की। बीजेपी के सभी उम्मीदवारों ने विशाल अंतर से अपनी जीत का परचम लहराया। कांग्रेस के लिए यह चुनाव वजूद की लड़ाई थी। जिस तरह से पार्टी का ग्राफ गिरता जा रहा है उसके हिसाब से इस चुनाव में कांग्रेस पर खुद को स्थापित करने का दबाव भी बहुत था। शायद यही वजह थी कि कांग्रेस एक बार आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को भी तैयार हो गई थी। खैर नकारात्मक रिजल्ट आने के बाद भी कांग्रेस को एक खुशी जरूर मिली है। कांग्रेस का न केवल वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है बल्कि पांच विधानसभाओं में वह नंबर एक पर रही है। इसका सीधा मतलब है कि अगर अभी विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस पांच सीटों पर जीत सकती है। बाकी 65 सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो सकता है।
7.35 पर्सेंट वोट का इजाफा हुआ
हिंदी अखबार नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह रही कि उसका वोट 15.15 प्रतिशत से बढ़कर 22.50 तक पहुंच चुका है। यानी 7.35 पर्सेंट वोट का इजाफा हुआ है। पार्टी कुल 42 विधानसभाओं में दूसरे स्थान पर पहुंच चुकी है। कांग्रेस नेताओं का कहना है, 'हम खुश तो नहीं हैं, लेकिन इस चुनाव ने हमें नए सिरे से दिल्ली में स्थापित किया है। पार्टी इसे अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पॉजिटिव तरीके से ले रही है।'
बीजेपी को फिर से टक्कर देने के लिए कांग्रेस तैयार
कांग्रेस प्रवक्ता जितेंद्र कोचर का कहना है कि इस चुनाव से यह साफ हो चुका है बीजेपी को केवल कांग्रेस हरा सकती है। उन्होंने कहा कि हमारा रोडमैप तैयार है। हमारा एकमात्र दुश्मन 'आप' है।' उन्होंने कहा कि 'आप' को इस चुनाव में जनता ने नकार दिया है। इसी तरह अगले चुनाव में भी जनता उसे नकार देगी। कोचर ने कहा कि जब-जब बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर होती रही है, बीजेपी की हार होती रही है। अब फिर से बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस तैयार है। कांग्रेसस नए सिरे से तैयारी में जुटी है।
गुटबाजी से हुआ ज्यादा नुकसान
कांग्रेस इन चुनावों में अधिक बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी, लेकिन चुनाव के दौरान भी पार्टी में न केवल गुटबाजी बल्कि भितरघात जारी रहा, जिससे पार्टी को ज्यादा नुकसान हुआ। यहां तक कि पार्टी के सातों उम्मीदवार भी अपने दम पर लड़ते नजर आए, पार्टी के दम पर संयुक्त रूप से चुनाव लड़ते कहीं कोई दिखाई नहीं दिया। मसलन, पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से अर¨वदर ¨सह लवली ने अपनी सीट का घोषणा पत्र तक तैयार किया, जबकि अन्य किसी उम्मीदवार ने ऐसा नहीं किया। इनकी हार में एक पूर्व सांसद का भी योगदान बताया जा रहा है।
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