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कांग्रेस की नई नवेली 3 सरकारों के 3 सीएम दिला पाए 65 में से तीन सीटें

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नई दिल्‍ली। तीन राज्‍यों (मध्‍य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्‍थान) में 6 महीने पहले की कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। ऐसी उम्‍मीद की जा रही थी कि इन राज्‍यों में कांग्रेस लोकसभा चुनावों में अच्‍छा कर सकती है। लेकिन जन भावना का सैलाब ऐसा आया कि कांग्रेस बह गई। तीनों राज्‍यों के तीन सीएम मिलकर 65 में से सिर्फ 3 सीट ही दिलवा पाए। ऐसा तब हुआ जब कांग्रेस के दिग्‍गज नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। क्या केवल 5 से 6 माह में ही जनता का कांग्रेस से मोहभंग हो गया या इसके पीछे कुछ और ही कारण रहे। क्योंकि जहां विधानसभा चुनावों के दौरान मध्यप्रदेश में आसपास की टक्कर को छोड़ दिया जाए तो छत्तीसगढ़ व राजस्थान में कांग्रेस ने भाजपा को सीधे तौर पर बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

राजस्थान: ...मोदी तुझसे बैर नहीं

राजस्थान: ...मोदी तुझसे बैर नहीं

राजस्‍थान में विधानसभा चुनाव के दौरान एक नारा खूब चला था- 'वसुंधरा तेरी खैर नहीं मोदी तुझसे बैर नहीं'। लोकसभा चुनाव के परिणाम में यह स्पष्ट नजर आ रहा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के पीछे मुख्य कारण वसुंधरा सरकार की नीतियां रही। मोदी के राष्ट्रवाद का मुद्दा लोगों के सिर चढ़ कर बोला। खासकर बालाकोट एयरस्ट्राइक के फैसले से मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति जाहिर हुई और लोगों ने इसे पसंद किया। 2014 के चुनाव में भाजपा ने सभी 25 सीटें जीतकर इतिहास रचा था, इस नतीजे से पहले फिर से यही इतिहास दौहराएगा, इस पर शक हो रहा था। लेकिन जनता ने भाजपा की झोली में सभी 24 सीटें डाल दी। एनडीए गठबंधन की एक सीट नागौर से रालोपा ने जीत का झंडा लहराया। भाजपा की गठबंधन की चाल कांग्रेस के खिलाफ तुरुप का पत्ता साबित हुई। विधानसभा चुनाव में टोंक सीट से विधायक बनकर उप मुख्यमंत्री बने सचिन पायलट टोंक-सवाईमाधोपुर सीट भी कांग्रेस को नहीं जिता पाए। यहां से भाजपा के प्रत्याशी सांसद सुखबीर सिंह जोनपुरिया ने दूसरी बार जीत दर्ज की। उन्होंने यूपीए में मंत्री रहे नमोनारायण मीणा को हरा दिया।

मध्‍य प्रदेश में 29 सीटों में से 28 पर बीजेपी

मध्‍य प्रदेश में 29 सीटों में से 28 पर बीजेपी

पांच माह पहले मध्यप्रदेश में सरकार बनाने वाली कांग्रेस की ऐतहासिक हार देखनी पड़ी। कांग्रेस को छह से सात सीटों का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन ऐसी हार की कल्पना नहीं थी। प्रदेश में भाजपा को 28 सीटें मिली वहीं कांग्रेस को 01 सीट पर सिमेट दिया गया। सबसे ज्यादा गुना में ज्योतिरादित्य सिंधिया की शिकस्त ने चौंकाया है। वसुंधरा राजे सिंधिया को छोड़कर सिंधिया परिवार का कोई सदस्य अभी तक चुनाव नहीं हारा है।

छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी चैंपियन

छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी चैंपियन

छत्तीसगढ़ में दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव हुए में 15 सालों से सत्ता पर काबिज भाजपा का सफाया हो गया। लेकिन, लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर से 2014 का प्रदर्शन दोहरा दिया। छत्तीसगढ़ ने भाजपा की झोली में 09 सीटें डाली है जबकि कांग्रेस दो सिटों पर सिमट गई है। इसके चलते भाजपा पुराने प्रदर्शन को दोहराने में कामयाब रही है। 2004-2014 तक तीन लोकसभा चुनावों में छत्तीसगढ की कुल ग्यारह लोकसभा सीटों में से दस भाजपा जीतती आई है। इस बार एक सीट का नुकसान उठाना पड़ा है। देश के सबसे गरीब राज्य (47% बीपीएल) के पिछले विधानसभा चुनावों में लाल आतंक, चावल का न्यूनतम समर्थन मूल्य, गरीबी और पिछड़ापन, बेरोजगारी व विकास बड़े मुद्दे थे। राज्य सरकार को विपक्षी दलों द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के मसले पर खासतौर से घेरा गया था। इसके चलते भाजपा को यहां सत्ता से बाहर होना पड़ा था। लगातार पंद्र वर्ष से प्रदेश में शासन कर रही भाजपा के खिलाफ विपक्ष इन मुद्दों को हथियार बनाने में कामयाब रहा था मगर लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद हावी रहा।

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English summary
Lok Sabha Election results 2019: BJP sweeps the three Hindi heartland states that voted for Congress just 6 months ago.
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