बिहार में लालू का 'माय' समीकरण ध्वस्त, मुस्लिम वोटरों ने नीतीश पर भरोसा किया
नई दिल्ली। बिहार में लालू यादव की ताकत का प्रतीक 'माय' समीकरण ध्वस्त हो गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों और रुझानों का ये सबसे बड़ा संदेश है। अब यादव और मुस्लिम वोटर पहले की तरह राजद के साथ नहीं है। राजद के इस वोट बैंक में बड़ा बिखराव हुआ है। बिहार के मुस्लिम बहुल इलाकों में जदयू और भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया है। जदयू नेता नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक वोटों के लिए जो रणनीति तैयार की थी उसमें उनको सफलता मिली है। रुझानों के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि मुस्लिम वोटर अब नीतीश कुमार के साथ हो चले हैं। बिहार में किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, दरभंगा, मधुबनी, भागलपुर मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र हैं। किशनगंज और अररिया में तो 70 फीसदी वोटर अल्पसंख्यक हैं। इन सीटों पर जदयू और भाजपा के प्रत्याशियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
अररिया में भाजपा का शानदार प्रदर्शन
अररिया में 70 फीसदी वोटर मुस्लिम हैं। इस सीट भाजपा के प्रदीप सिंह डेढ़ लाख वोटों से आगे चल रहे हैं। उनकी जीत लगभग पक्की है। इस सीट पहले राजद के तस्लीमुद्दीन का कब्जा था। उनके निधन के बाद उपचुनाव में उनके पुत्र सरफराज आलम यहां से जीते। उपचुनाव में नीतीश के समर्थन के बाद भी भाजपा के प्रदीप सिंह हार गये थे। लेकिन 2019 में चुनावी फिजां बिल्कुल बदल गयी। सीमांचल के सबसे बड़े मुस्लिम नेता रहे तस्लमुद्दीन के पुत्र सरफराज के लिए माय समीकरण कोई काम नहीं आया। उनका मुस्लिम और यादव वोट बैंक दरक गया। इसकी वजह से सरफराज हारते हुए दिख रहे हैं। टिकट बंटवारे के समय नीतीश कुमार ने ये रणनीति बनायी थी कि मुस्लिम बहुल सीटों पर जदयू लड़े ताकि भाजपा को उनकी नाराजगी से बचाया जा सके। अररिया को छोड़ कर जदयू ने अधिकांश ऐसी सीटे अपने पास रखी। एनडीए की संयु्क्त ताकत ने अररिया में प्रदीप सिंह को मजबूत बना दिया।
दरभंगा, मधुबनी में भाजपा की धमक
दरभंगा सीट पर भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता गोपालजी ठाकुर की शानदार जीत हुई है। उन्होंने करीब 2 लाख 67 हजार वोटों से जीत हासिल की है। दरभंगा में इससे पहले कभी इतने अधिक वोटों से किसी की जीत नहीं हुई थी। कीर्ति आजाद को अब अफसोस हो रहा होगा कि उन्होंने क्यों भाजपा से झगड़ा किया। वे दरभंगा से भाजपा के सांसद थे। लेकिन विवाद के बाद वे कांग्रेस में चले गये। महागठबंधन में उनका खेल बिगड़ गया। उन्हें चुनाव लड़ने के लिए झारखंड के धनबाद जाना पड़ा जहां वे हार रहे हैं। मुस्लिम बहुल सीट जान कर ही राजद के अब्दुल बारी सिद्दकी यहां से खड़ा हुए थे। लेकिन उनके लिए भी माय समीकरण कारगर नहीं रहा।
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जदयू का पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर में बेहतर प्रदर्शन
किशनगंज सीट पर जदयू ने जोर तो बहुत लगाया लेकिन इस सीट पर कांग्रेस के डॉ. जावेद आगे चल रहे हैं। ये सीट कांग्रेस की है। लेकिन जिस तरह से जदयू ने यहां कांटे का मुकाबला दिया है उससे यह कहा जा सकता है कि अब अल्पसंख्यकों में उसकी स्वीकार्यता बढ़ गयी है। भाजपा के साथ गठबंधन के बाद भी जदयू ने अल्पसंख्यकों में अपना आधार बढ़ाया है। इसका सबसे अधिक फायदा उसे कटिहार सीट पर मिला है। कटिहार सीट पर कांग्रेस के तारिक अनवर का कब्जा था। वे यहां से कई बार सांसद चुने जा चुके थे। उनको अल्पसंख्यकों का बड़ा नेता माना जाता है। लेकिन इसके बावजूद य़हां से जदयू के उम्मीदवार दुलालचंद गोस्वामी जीतते हुए दिख रहे हैं। जदयू पहली बार इस सीट पर कब्जा जमाने वाला है। पूर्णिया उसकी विनिंग सीट थी जिसको वह बरकरार रखता हुआ दिख रहा है। भागलपुर सीट भी जदयू पहली बार जीतने के करीब है। भागलपुर राजद की सीट थी। यहां भी लालू का माय समीकरण बिखर गया।
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