केजरीवाल के लिए खतरे की घंटी, 70 में से 65 विधानसभा में भाजपा ने ली लीड, CM समेत कई मंत्रियों के इलाके में AAP नंबर-3
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने दिल्ली की सातों सीटों पर विशाल जीत दर्ज की। बीजेपी के सभी उम्मीदवारों ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करते हुए विशाल अंतर से अपनी जीत का परचम लहराया। बीजेपी की इस जीत में खास बात यह रही कि 70 विधानसभा सीटों में 65 पर बीजेपी का दबदबा दिखा। सिर्फ 5 मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले, जबकि अरविंद केजरीवाल की पार्टी ज्यादातर सीटों पर तीसरे नंबर पर रही। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की की खबर के मुताबिक सभी सात सीटों पर क्लीन स्वीप करने वाली बीजेपी को कुल 56.6 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस के खाते में 22.5 फीसदी वोट आए। जबकि आम आदमी पार्टी को सिर्फ 18.1 फीसदी लोगों ने वोट दिया। यानी अगर आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो भी जाता तो भी ये दोनों मिलकर भी बीजेपी को नहीं हरा पाते।
AAP के कई बड़े नेताओं को भी कांग्रेस से मिले कम वोट
दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित 7 मंत्री कैबिनेट में हैं। ये कैबिनेट मंत्री लोकसभा चुनाव में अपनी-अपनी विधानसभा सीट भी नहीं बचा पाए। यहां तक की अरविंद केजरीवाल, गोपाल राय, इमरान हुसैन और कैलाश गहलोत को इतने कम वोट मिले की जमानत जब्त हो जाती। ये कुल वैध वोट का छठा हिस्सा भी नहीं जुटा पाए। हालांकि राजेंद्र पाल गौतम, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन की जमानत जरूर बच रही है।
47 विस क्षेत्रों में AAP तीसरे नंबर पर
कांग्रेस ने इस चुनाव में अपने मत फीसद में सुधार किया है। पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में 15 तो विधानसभा चुनाव में दस फीसद से भी कम मत मिले थे, जबकि इस लोकसभा चुनाव में उसे 22.5 फीसद मत मिले हैं, वहीं AAP को 18 फीसद मत मिले हैं। यही नहीं कांग्रेस 42 विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रही है। AAP 47 विधानसभा क्षेत्रों में तीसरे नंबर पर पिछड़ गई है, जबकि 23 में वह दूसरे स्थान पर रही। हालांकि, दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में आने वाले सभी दसों विधानसभा क्षेत्रों में वह दूसरे नंबर पर रही है।
मुस्लिम बहुल 2 इलाकों में मनोज तिवारी ने मारी बाजी
7 में से 5 मुस्लिम बहुल विधानसभाओं में कांग्रेस ने बाजी मारी। हालांकि, उत्तर पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के उम्मीदवार मनोज तिवारी को बाबरपुर और मुस्तफाबाद इलाके से प्रतिद्वंदी शीला दीक्षित से अधिक वोट मिले। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'स्पष्ट संकेत हैं कि मुस्लिम वोटरों को कांग्रेस पर आम आदमी पार्टी से अधिक भरोसा है। सिर्फ ओखला विधानसभा क्षेत्र ही ऐसा रहा जहां आप को 27% वोट मिले।'
क्या है मायने?
अगर लोकसभा चुनाव के आधार पर दिल्ली विधानसभा चुनाव का आकलन किया जाए तो इस बार नतीजे बिल्कुल उलट जाएंगे। पिछले बार जहां 70 में से 67 सीटें सिर्फ आम आदमी पार्टी ने जीती थीं, वहीं उस बार भाजपा के खाते में अधिकतर सीटें आएंगी। भाजपा को करीब 65 विधानसभा सीटों पर जीत मिलेगी और करीब 5 सीटों पर वह दूसरे नंबर की पार्टी रहेगी। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस करीब 5 सीटें जीत सकती है, 42 सीटों पर दूसरे नंबर की पार्टी रहेगी और बाकी की 23 सीटों पर वह तीसरे नंबर पर रहेगी। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी को एक भी सीट मिलना मुश्किल हैं। वह 23 सीटों पर दूसरे नंबर पर और 47 सीटों पर तीसरे नंबर पर रह सकती है।
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