टिड्डियां का दिल्ली और यूपी पर जल्द होने वाला हैं दूसरा अटैक, विशेषज्ञों ने दी ये चेतावनी
टिड्डियां का दिल्ली और यूपी पर जल्द होने वाला हैं दूसरा अटैक, विशेषज्ञों ने दी ये चेतावनी
नई दिल्ली। पाकिस्तान से आया टिड्डियों का विशाल झुंड जल्द ही दिल्ली और उत्तर प्रदेश में दूसरा बड़ा अटैक करने वाला हैं। पिछले कई दशकों में ये अटैक अब तक का सबसे बड़ा टिड्डियों का हमला हैं। अभी तक जहां ये टिड्डियां राजस्थान और गुजरात में जून से नवंबर के बीच में इन्हीं सीमाओं तक सीमित रहता था लेकिन इस बार इन्होंने महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश को अपने चपेटे में ले लिया हैं। लोकस्ट वार्निंग ऑरगनाइजेशन ने अप्रैल में नोटिस किया कि अभी तक ये जहां छोटे झुंड में आती थी वहीं अब अरबों की संख्या में ये टिड्डियां अटैक कर रही हैं।
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मौसम विशेषज्ञों ने चेतावनी दी हैं कि दिल्ली के शहरी इलाकों में चूंकि 22 प्रतिशत हरियाली हैं इसके चलते वहां भी इनकाअटैक होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि हवा का प्रवाह दिल्ली की तरफ होते ही इसका भयंकर प्रकोप दिल्ली में देखने को मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार अभी तक इसका प्रकोप दिल्ली में इसलिए नहीं दिखाई दिया क्योंकि हवा का रुख उत्तर की ओर था।
आईएमडी को कृषि मंत्रालय ने आदेश दिया हैं कि टिड्डियों का रुख मौसम के आधार पर किस ओर होगा इसको लेकर सूचना देते रहें। आईएमडी के वैज्ञानिक कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि हवा का रुख उत्तरी ओर हैं इसलिए दिल्ली इन टिड्डियों के अटैक से बचा हुआ हैं। वैज्ञानिक मोहम्मद फैसल ने बताया कि दिल्ली में कृषि कम होने के बावजूद टिड्डि़यों के अटैक में कोई कमी नहीं आएगी।
फैसल ने बतााया कि रेगिस्ताान में टिड्डियों को खाने की कमी होने के कारण इन्होंने इस तरफ का रुख कर लिया। उदाहरण के तौर पर जयपुर जहां कि हरियाली और हरे भरे पार्क हैं इस कारण भोजन की तलाश में टिडियों ने इधर का रुख कर लिया। दिल्ली के हरियाली वाले क्षेत्रों में इसका ज्यादा प्रकोप देखने को मिलेगा। ये एक दिन 35000 हजार लोगों के बराबर का भोजन चट कर जाएगी। पिछली बार रेलवेलाइन और वॉटर सप्लाई लाइन को प्रभावित करती आई हैं। इनके रेलवे लाइन पर अटैके के बाद लाइनों पर फिसलन हो जाती हैं जिसे साफ करवाना पड़ता हैं। इतना ही नहीं कुएं के पानी को भी ये प्रभावित करती आई हैं। उन्होंने बताया कि एक टिड्डी पांच सौ अंडे देती हैं । हमें इस टिड्यिों से बचने के उपाय से ही नही इनके प्रजनन को भी रोकने के उपाय करने होंगे। मुंबई के नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सोहेल मदन ने बताया कि ये सिर्फ गॉर्डेन और हरियाली वाले क्षेत्रों को ही नहीं बल्कि और कीड़ों के खाने के पदार्थों को भी चट कर जाती हैं।