Lockdown 2: 39 लाख टिकटों के लिए रेलवे को रिफंड करने होंगे 660 करोड़ रुपये
नई दिल्ली- दूसरे लॉकडाउन की वजह से भारतीय रेलवे पर बहुत बड़ा आर्थिक बोझ पड़ा है। उसे टिकटों से कमाए हुए राजस्व के 6 सौ करोड़ रुपये से ज्यादा यात्रियों को वापस करने पड़ेगें। बता दें कि रेलवे पहले ही यह बता चुका है कि ई-टिकट के पैसे संबंधित अकाउंट्स में खुद से वापस हो जाएंगे, जबकि काउंटर पर कटाए गए टिकटों की वापसी के लिए यात्रियों को लॉकडाउन के बाद भी कई महीनों का वक्त मिलेगा। उधर मंगलवार को मुंबई में प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष ट्रेनें चलाए जाने की अफवाहों की वजह से बांद्रा स्टेशन पर जुटी हजारों की भीड़ को लेकर रेलवे की ओर से खंडन और आरोपी पत्रकार की गिरफ्तारी के बावजूद इस मसले पर राजनीति शुरू हो गई है।
रेलवे को 39 लाख टिकटों के बदले लौटाने होंगे 660 करोड़ रुपये
39 लाख टिकटों को कैंसिल करने के एवज में भारतीय रेलवे को कमाए हुए 660 करोड़ रुपये गंवाने पड़ेंगे। ये 39 लाख टिकट रेलवे ने 15 अप्रैल से लेकर 3 मई तक के लिए बुक किए थे। लेकिन, कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है और रेलवे के राजस्व को सैकड़ों करोड़ रुपये का झटका लग रहा है। दरअसल, पहले 14 अप्रैल तक के लिए ही लॉकडाउन लगाया गया था, इसलिए रेलवे ने 15 तारीख से आगे की यात्रायों के लिए बुकिंग जारी रखी थी। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को पीटीआई से कहा है, 'कुल रकम जो रिफंड किए जाने हैं वह करीब 660 करोड़ रुपये हैं। 15 अप्रैल से 3 मई तक के लिए लगभग 39 लाख बुकिंग की गई थी।' बता दें कि मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन की सीमा 21 दिन के बाद और 19 दिन बढ़ा दिया था, जो अब 3 मई तक जारी रहेगा। शुरू में यह 14 तारीख को ही खत्म होना था, इसलिए रेलवे में बुकिंग जारी रखी गई थी।
रेलवे ने स्पेशल ट्रेन चलाने की अफवाहों से किया सावधान
इस बीच रेलवे ने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए किसी भी तरह की स्पेशल ट्रेन चलाए जाने की अफवाहों का पूरी तरह से खंडन कर दिया। बता दें कि लॉकडाउन की वजह से भारतीय रेलवे की करीब 15,523 यात्री ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से ठप पड़ गई है। लेकिन, जब मंगलवार को मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर हजारों प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर वापस लौटने के लिए जुट गए तो रेलवे को बयान जारी कर कहना पड़ा की सभी यात्री सेवाएं लॉकडाउन की वजह से 3 मई तक निलंबित रहेंगी। रेल मंत्रालय ने मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाए जाने की अफवाहों को लेकर सफाई भी दी। नॉर्दर्न रेलवे के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि, 'आम जनता को सूचित किया जाता है कि कोविड-19 को देखते हुए नॉर्दर्न रेलवे 3 मई तक कोई ट्रेन नहीं चलाएगा, इसलिए जो फर्जी खबरें चलाई जा रही हैं, उनपर विश्वास न करें।' यही नहीं रेल मंत्रालय ने भी ट्विटर के जरिए तमाम अफवाहों पर विराम लगाने की कोशिश की, 'यह स्पष्ट किया जाता है की देशभर में 3 मई, 2020 तक सभी यात्री ट्रेनें पूरी तरह से रद्द रहेंगी और यात्रियों की भीड़ को खत्म करने के लिए कोई भी विशेष ट्रेन चलाने की कोई योजना नहीं है। सभी संबंधित लोग इस बात को संज्ञान में लें और इस संबंध में फैलाई जा रही गलत खबरों का खंडन करें।'
कांग्रेस ने की रेलवे के रोल की जांच की मांग
रेलवे की ओर से जारी खंडन के बावजूद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सियासी हमला बोल दिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को सरकार से प्रवासी मजदूरों के संकट में रेलवे के कथित रोल की जांच कराने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मजदूरों को अपने-अपने गांव भेजने में मदद करने की मांग की है। उन्होंने सरकार से सवाल पूछा है कि लॉकडाउन के बावजूद भी रेलवे की ओर से टिकट की बुकिंग क्यों की जा रही थी। उन्होंने कहा है, 'आखिर सभी तरह के आपात के समय गरीबों और मजदूरों पर ही गाज क्यों गिरती है? कोई भी फैसला लेते वक्त उनको ध्यान में क्यों नहीं रखा जाता। उन्हें भगवान के भरोसे क्यों छोड़ दिया जाता है। लॉकडाउन के समय रेलवे को टिकट बुकिंग की अनुमति क्यों दी गई।' हालांकि, ये बात अलग है कि जब पहले लॉकडाउन की घोषणा सिर्फ 14 अप्रैल तक के लिए ही थी तो रेलवे आखिर आगे की तारीखों के लिए किस आधार पर टिकट बुकिंग रोक सकता था? वैसे भी सामान्य दिनों में भी कई वजहों से ट्रेनें कैंसिल होती रहती हैं। ऐसे में रेलवे पर इस तरह का सवाल क्यों पूछा गया है ये तो प्रियंका और कांग्रेस ही जाने। गौरतलब है कि ट्रेन चलने की झूठी खबर दिखाने के आरोप में महाराष्ट्र पुलिस राहुल कुलकर्णी नाम के एक टीवी पत्रकार को गिरफ्तार भी कर चुकी है।
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