प्रधानमंत्री मोदी को कांग्रेस के "न्याय" योजना पर विचार करना चाहिएः दिग्विजय सिंह
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन की तीसरी कड़ी में दिहाड़ी मजदूरों की चिंता करने के लिए धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने पहली बार दिहाड़ी मज़दूरों के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्हें धन्यवाद।
पूर्व कांग्रेस महासचिव दिग्वजिय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के लॉकडाउन विस्तार की घोषणा के तुरंत बाद एक के बाद एक दो ट्वीट किए। पहले ट्वीट में दिहाड़ी मजूदरों चिंता करने के लिए शुक्रिया करते हुए उन्होंने कहा, मोदी जी आपकी सरकार ने जो राहत पैकेज दिया है विशेष कर मुफ़्त अनाज वितरण का उसे शीघ्र पालन करवाएं। साथ ही, दिग्विजय ने मुफ्त अनाज वितरण में राशन कॉर्ड की बाध्यता खत्म करने की सिफारिश की।
मोदी जी ने पहली बार दिहाड़ी मज़दूरों के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्हें धन्यवाद। मोदी जी आपकी सरकार ने जो राहत पेकेज दिया है विशेष कर मुफ़्त अनाज वितरण का उसे शीघ्र पालन करवायें। उसके वितरण में राशन कॉर्ड की बाध्यता ना हो। लॉकडाउन में उन्हें मज़दूरी कहॉं से मिलेगी?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) April 14, 2020
अपने दूसरे ट्वीट में दिग्वियज ने प्रधानमंत्री मोदी को गरीबों के लिए वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी घोषणा पत्र में गरीबों के लिए घोषित न्याय योजना को लागू करने पर विचार करने की अपील कर दी। 2019 लोकसभा चुनाव से पूर्व जारी कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल न्याय योजना में दावा किया गया था कि आने वाले 10 वर्षों में देश से गरीबी खत्म हो जाएगी।
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मोदी जी को नोबेल प्राइज़ विजेता, अभिजीत बेनर्जी के सुझाव पर २०१९ कॉंग्रेस के घोषणा पत्र में ग़रीबों के लिये सुझाई गयी “न्याय” योजना पर विचार करना चाहिये। प्रति माह हर गरीब परिवार के खाते में ₹६०००/- जमा किये जायें।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) April 14, 2020
बकौल दिग्वजिय सिंह, मोदी जी को नोबेल प्राइज़ विजेता, अभिजीत बेनर्जी के सुझाव पर 2019 कांग्रेस के घोषणा पत्र में ग़रीबों के लिए सुझायी गयी "न्याय" योजना पर विचार करना चाहिए, जिसमें प्रति माह हर गरीब परिवार के खाते में 6000/- रुपए जमा किए जाएं।
गौरतलब है 2019 लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस द्वारा जारी घोषणा पत्र में न्याय योजना को खूब प्रचारित किया गया था, जिसमें 2030 गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। घोषणा पत्र में दावा किया गया था कि न्याय योजना आने वाले 10 वर्षों में देश से गरीबी को खत्म कर देगी।
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नोबेल प्राइज़ विजेता अभिजीत बनर्जी के सुझाव पर तैयार की न्याय योजना की रूपरेखा का लाभ देश की जनसंख्या के 20 फीसदी यानी 5 करोड़ परिवार( सबसे गरीब परिवार) को देने का प्रावधान किया गया था। इसके तहत प्रत्येक गरीब परिवार को हर साल 72000 रुपए और महीने में 6000 रुपए उनके खाते में दिए जाने की योजना थी।
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