Lockdown:पिछले एक दशक में पेट्रोलियम ईंधन की इतनी कम खपत कभी नहीं हुई
नई दिल्ली- देश ने पिछले 10 वर्षों में पेट्रोलियम ईंधनों की इतनी कम खपत होते कभी नहीं देखा है। कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगने के कारण मार्च में पेट्रोलियम ईंधनों की खपत पिछले एक दशक में अपने निचले स्तर पर पहुंच गई। वजह साफ है कि बसें बंद हैं, ज्यादातर ट्रक भी नहीं चल पा रहे, बाइक और कारें भी ठहर गई हैं।
एक आंकड़े के मुताबिक मार्च महीने में पेट्रोलियम ईंधन की खपत 160 लाख टन तक पहुंच गई, जो कि 18 फीसदी की गिरावट है। लॉकडाउन की वजह से सारे निर्माण कार्य ठप हैं, यात्री ट्रेनें बंद हैं, हवाई यातायात भी ठहरा हुआ है। अगर अलग-अलग पेट्रोलियम ईंधनों की बात करें तो पेट्रोल की खपत में 20 लाख टन के करीब यानि 16 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि, डीजल की खपत में तो और ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था की गतिशीलता की एक पहचान माना जा सकता है। डीजल की खपत में करीब 57 लाख टन की गिरावट आई है, जो कि करीब 24 फीसदी के बराबर है। जबकि जेट ईंधन की खपत में तो हवाई जहाजों के उड़ान बंद होने से 90 फीसदी की कमी आ गई है।
लेकिन, ऐसा नहीं है कि हर ईंधन की खपत में कमी ही आई है। इस दौरान एलपीजी ईंधन की खपत में तेजी दर्ज की गई है। क्योंकि, लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में बंद हैं, इसलिए किचन में एलपीजी ईंधन की खपत में 2 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है।
इन हालातों को देखते हुए देशभर की रिफाइनरियों में पेट्रोलियम ईंधनों का उत्पादन कम कर दिया गया है। वूड मैकेनजी, जेबीसी एनर्जी, एनर्जी ऐस्पेक्ट्स, रिस्टाड एनर्जी, आईएचएस मार्किट और एफजीई ने अनुमान जताया है कि अप्रैल महीने में एशियाई देशों की रिफाइनरी अपने उत्पादन 20 लाख से 40 लाख बैरल प्रतिदिन कम कर देंगे। जबकि, अप्रैल से जून के बीच 20 लाख से 27 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन कम होने का अनुमान है।