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लॉकडाउन ने दिल्ली के गरीबों को गरीब बना दिया, लेकिन उनमें हुआ ये व्यवहार परिवर्तन: शोध

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नई दिल्ली। कोरोनावायरस से बचाव के लिए देशव्‍यापी लॉकडाउन का सबसे अधिक प्रभाव गरीब वर्ग पर पड़ा हैं। लॉकडाउन में काम-काज ठप्‍प होने के कारण गरीब लोग और गरीब हो गए हैं लेकिन इसका एक साकारात्मक पहलू ये हैं कि इस संकट काल में दिल्ली के गरीब वर्ग के लोगों के व्‍यवहार में जबरदस्‍त परिवर्तन आया हैं। ये खुलासा हाल ही में दिल्‍ली की झुग्गी-झोपडि़यों में शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान और ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध में सामने आई हैं।

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ये शोध दिल्ली में बात सामने आई कि झुग्गी बस्तियों में मास्क का उपयोग बहुत सामान्‍य रुप से देखा जा रहा हैं। सब इस महमारी से बचने के लिए न केवल मास्‍क पहन रहे बल्कि हाथ भी दिन भर में कई बार धो रहे हैं। इतना ही नहीं लॉक-इन के दौरान नौकरी गंवाने के कारण इनके व्यवहार परिवर्तन ये आया कि अब लोगो का घर में रहने का समय दोगुना हो गया।वहीं शोध में सबसे अहम बात सामने आई कि कई लोगों ने बताया कि वे धूम्रपान नहीं कर रहे हैं, इस संकट के कारण वो धूम्रपान छोड़ रहे हैं। शोधकर्ताओं का ये शोध निर्माण श्रमिकों, ड्राइवरों, वेतनभोगी सहित विभिन्न व्यवसायों में लगे दिल्ली के झुग्गी समूहों में 1,392 उत्तरदाताओं के सर्वेक्षण पर आधारित हैं। श्रमिकों, कुशल मजदूरों, घरेलू श्रमिकों और सड़क विक्रेताओं पर आधारित हैं।

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शोधकर्ताओं ने पाया कि उनकी आय और रोजगार पर लॉकडाउन का प्रभाव बहुत रहा हैं। उनकी साप्ताहिक आय में औसतन 57% की गिरावट आई, क्योंकि कामकाजी दिन 73% कम हो गए। मई की शुरुआत में, उत्तरदाताओं में से 10 में से नौ के लिए साप्ताहिक आय शून्य हो गई थी। लगभग 35% लोगों ने दिल्ली सरकार के खाद्य सहायता कार्यक्रम का लाभ मिला। मालूम हो कि दिल्ली सरकार ने शहर भर में 500 से अधिक सहायता केंद्र स्थापित किए, जिनकी जरूरत थी उन्हें भोजन (चावल और दाल) उपलब्ध कराने के लिए। शोधकर्ताओं ने पाया कि इन केंद्रों को अच्छी तरह से रखा गया है, क्योंकि नमूना और निकटतम सरकारी सहायता केंद्र के बीच औसत दूरी 640 मीटर है।

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बता दें पहले शोधकर्ताओं की एक ही टीम पिछले 1.5 सालों से झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले निवासियों पर वायु प्रदूषण के प्रभाव का अध्ययन कर रही थी, यही वजह है कि उनके पास मास्क पहनने जैसे निवारक उपायों के लिए पूर्व-कोविद -19 डेटा था। मालूम हो कि पिछले साल नवंबर के पहले सप्ताह के दौरान, दिल्ली सरकार ने लोगों को पीएम 2.5 (ठीक, सम्मानित प्रदूषण कणों) से बचाने में मदद करने के लिए पांच मिलियन मास्क वितरित किए थे। सरकार के मास्क वितरण के बाद के हफ्तों में शोधकर्ताओं ने पाया कि मास्क का उपयोग बढ़ा था, लेकिन यह 35% ही इसका प्रयोग कर रहे थे लेकिन कोरोना महामारी के फैलाने पर मास्‍क का प्रयोग सभी कर रहे हैं।

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भारत में शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान के कार्यकारी निदेशक (ईपीआईसी इंडिया) प्रमुख लेखक केन ली ने कहा "अगर हम समझना चाहते हैं कि लॉकडाउन से क्या हुआ, तो एक संभावित लाभ व्यवहार परिवर्तन है। लेकिन हमें यह देखना होगा कि क्या लोग टीका या उपचार उपलब्ध होने तक कम से कम कुछ वर्षों तक इसे जारी रख सकते हैं, "।"लोगों की आय पर लॉकडाउन का प्रभाव बड़े पैमाने पर पड़ा है। लगभग 35% नमूने ने खाद्य सहायता प्राप्त करने की सूचना दी, जो काफी अधिक है क्योंकि आप यह मान लेंगे कि कई को खाद्य सहायता की आवश्यकता नहीं होगी। हमारे शोध में मुख्य रूप से ऐसे लोग शामिल थे जिन्होंने हर हफ्ते औसतन 3,000 रुपये कमाए। लेकिन यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि खाद्य सहायता संकट को कम करती है। दिल्ली सरकार को इस योजना को बढ़ाना चाहिए। "पेपर में पाया गया कि ये व्यवहार परिवर्तन मुख्य रूप से कोविद -19 महामारी के अत्यधिक भय और व्यापक मीडिया कवरेज से प्रेरित थे।

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English summary
Lockdown made Delhi’s poor poorer, but led to behavioural change, say researchers
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