कोरोना पर लॉकडाउन का 'एक्ज़िट प्लान': चीन से सबक लेगा भारत?
गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने एक ट्वीट किया, जिसे बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया. डिलीट किए ट्वीट में उन्होंने लिखा था, "15 अप्रैल को लॉकडाउन ख़त्म हो जाएगा, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप गलियों में खुलेआम घूम पाएंगे. हमें कोरोन के संक्रमण को कम करने के लिए निरंतर प्रयास करने की ज़रूरत है. लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग ही
गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने एक ट्वीट किया, जिसे बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया.
डिलीट किए ट्वीट में उन्होंने लिखा था, "15 अप्रैल को लॉकडाउन ख़त्म हो जाएगा, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप गलियों में खुलेआम घूम पाएंगे. हमें कोरोन के संक्रमण को कम करने के लिए निरंतर प्रयास करने की ज़रूरत है. लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग ही इससे निपटने के लिए सबसे कारगर उपाय हैं."
The tweet with respect of lockdown period was uploaded by an officer whose comprehension in Hindi was limited. And therefore same was removed. @TimesNow https://t.co/7nuUT7QfCx
— Pema Khandu (@PemaKhanduBJP) April 2, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी. अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ये ट्वीट इसी बैठक के तुरंत बाद किया था.
इस ट्वीट के बाद लोगों ने ये समझा कि 15 अप्रैल के बाद लॉकडाउन कुछ शर्तों के साथ हटाया जा सकता है.
कुछ ने समझा कि लॉकडाउन ख़त्म होगा, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग की कोशिशें जारी रहेंगी.
साफ़ है कि सरकार लॉकडाउन से निकलने के पहले एक्ज़िट प्लान की तलाश कर रही है.
लॉकडाउन लागू करने पर राजनीतिक विरोधियों ने काफ़ी सवाल खड़े किए थे.
इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य सरकारों से उनके सुझाव मांगे हैं.
ऐसे में ये जानना ज़रूरी है कि कोरोना संक्रमण से प्रभावित बाक़ी देशों ने लॉकडाउन से निकलने के लिए क्या प्लान किया.
चीन ने लिया तकनीक का सहारा
चीन के वुहान शहर में मध्य जनवरी से ही लॉकडाउन लागू किया था. अब स्थिति सुधरने के बाद इसमें थोड़ी ढील दी गई है, लेकिन वो भी शर्तों के साथ.
चीन में कोरोना वायरस संक्रमण को ट्रैक करने के लिए ऐप बनाया है जिससे आप को संक्रमण का कितना ख़तरा है इसका पता लगा सकते हैं. इसमें तीन रंगों के ज़रिए इसकी पहचान होती है.
ऐप में नारंगी रंग आए तो इसका मतलब है- आप भी अभी कोरोना संक्रमित इलाक़े या हॉटस्पाट से गुज़रे हैं.
ऐप पर लाल रंग का मतलब है कि आप कोरोना संक्रमित है.
इस ऐप में अगर आपको ग्रीन कोड मिलता है तो इसका मतलब होता है आप सुरक्षित है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक़ वुहान में उन्हीं लोगों को घर से निकलने की सरकार इजाज़त देगी जिनके स्मार्ट फोन के हेल्थ ऐप में ग्रीन कोड साफ़ देखने को मिलेगा.
लेकिन चीन की सरकार ने ऐसा तब किया जब पांच दिन तक एक भी कोरोना पॉजिटिव मामले वुहान शहर में नहीं आए.
हालांकि चीन के पास लोगों को ट्रैक करने का बहुत बड़ा और विस्तृत प्लान पहले से मौजूद है. वहां हर शख्स का एक नेशनल आईडी कार्ड है जो उनके हर मूवमेंट को ट्रैक कर सकता है.
इसके आलावा लॉकडाउन से निकलने के बाद भी सरकार ने जिन लोगों पर पाबंदियां लगाए रखी, उन पर चीन की सरकार ने फ़ोन के आलावा ड्रोन कैमरे और सीसीटीवी कैमरे से नज़र बनाए रखी.
फ़िलहाल भारत में इस तरह के ट्रैकिंग सिस्टम की कमी है.
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ब्रिटेन भी है चीन की राह पर
ब्रिटेन में फ़िलहाल लॉकडाउन जारी है. लेकिन वहां की सरकार भी कोरोना वायरस ट्रेकिंग ऐप के ज़रिए ही लॉकडाउन को काबू पाने की सोच रही है.
बीबीसी लंदन सेवा से बात करते हुए ऑक्सफोर्ड डेटा इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर क्रिस्टोफ़र फ्रेजर ने कहा, "कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग किसी भी महामारी पर काबू पाने में शुरुआती दिनों में ही काम आ सकता है. लेकिन जब चीज़े मानवीय कंट्रोल के बाहर हो जाती हैं, तो तकनीक का सहारा लिया जाना चाहिए.''
एनएचएस के अधिकारियों ने भी माना है कि कोरोना ऐप बनाने की दिशा में उन्होंने एक्सपर्ट ग्रुप बनाया है, जो इस दिशा में काम कर रहे हैं.
लॉकडाउन के बिना कैसे हो सोशल डिस्टेंसिंग
सिंगापुर ऐसा देश है, जिसने कोरोना संक्रमण में दुनिया को कई नई बातें सिखाई हैं. यहां अब भी पूरी तरह से लॉकडाउन लागू नहीं हुआ है. लेकिन पांच हफ्ते के लिए सोशल डिस्टेंसिंग लागू है.
सिंगापुर ने अलग-अलग फेज़ में चरणबद्ध तरीक़े से कोरोना से लड़ने के लिए अपने प्लान की घोषणा की है. फ़िलहाल इस देश में 25 मार्च से 30 अप्रैल तक सोशल डिस्टेंसिंग सख़्त तरीक़े से लागू है.
इस दौरान 10 लोग से ज्यादा ना तो घर में ना तो स्कूलों में ना तो ऑफिस में एक साथ रह सकते हैं.
5 हफ्तों तक सिंगापुर में बार, ट्यूशन, सिनेमा, धार्मिक स्थल पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं.
जानकार मानते है, जिस तरह चरणों में सिंगापुर ने लॉकडाउन लागू किया है, उसी तरह से चरणों में लागू किए गए लॉकडाउन को वापस लेना एक विकल्प हो सकता है.
यानी लॉकडाउन हटा लिया जाए पर सोशल डिस्टेंसिंग जारी रहे.
कुछ ऐसा ही इशारा अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अपने उस ट्वीट में किया था, जो अब डिलीट कर दिया है.
यानी हो सकता है सीमित संख्या में फ्लाइट, ट्रेन, बस और लोकल ट्रांसपोर्ट की इजाजत दी जाए.
स्कूलों कॉलेजों को आगे भी बंद रखा जाए.
दक्षिण कोरिया में कोरोना फ़ोन ट्रैकिंग
दक्षिण कोरिया में अगर आप कोरोना संक्रमित हैं और किसी मरीज़ के आस-पास जाते हैं, तो आपके फ़ोन पर एक मैसेज तुरंत आ जाएगा, जिससे आपको पता लग जाएगा कि अभी-अभी आप कोरोना संक्रमित मरीज़़ के संर्पक में आए थे.
इतना ही नहीं इस देश में उन लोगों और इलाक़ों पर विशेष निगरानी और ध्यान रखा जा रहा है जहां संक्रमण के मामले देखने को मिले हैं.
दक्षिण कोरिया विश्व के उन देशों में से एक हैं, जहां टेस्टिंग सबसे अधिक हुई है. इससे उन्हें कोरोना के हॉटस्पॉट भी पता करने में काफ़ी मदद मिली है.
भारत में फ़िलहाल 20 हॉटस्पॉट सरकार ने चिह्नित किए हैं, और 22 जगहों पर सरकार की नज़र हैं, जिन पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है.
भारत के लिए सबक
भारत में फ़िलहाल 15 अप्रैल तक लॉकडाउन है. लेकिन उससे आगे इस लॉकडाउन को बढ़ाने का मतलब होगा आर्थिक और सामाजिक नज़रिए से और अधिक नुक़सान.
ऐसे में केंद्र राज्यों के साथ मिल कर ऐसे रास्ते की तलाश में है, जिससे बीमारी निपटने का मौक़ा भी दे दे और कुछ सुविधाएं, दोबारा से बहाल कर दी जाए, ताकि आर्थिक नुक़सान थोड़ा कम हो.
इसके लिए भारत चीन, सिंगापुर, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया से सबक ले सकता है.
सबसे पहला सबक ये कि भारत को इतंज़ार करना पड़ेगा ताकि कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने की रफ़्तार थोड़ी धीमी पड़े, जैसा चीन ने वुहान के मामले में किया. वहां पांच दिन तक जब कोई मामला नहीं आया, तब सरकार ने लॉकडाउन में ढील देने की घोषणा की.
दूसरा ये कि चीन, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन की तरह तकनीक का सहारा लें.
इसके लिए आवश्यक है कि दक्षिण कोरिया की तरह भारत ज्यादा टेस्ट करे और हॉटस्पॉट की संख्या बढ़ने ना दें.
2 अप्रैल को ही केंद्र सरकार ने आरोग्य ऐप की शुरूआत की है. सरकार का दावा है कि ये ऐप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लूटूथ और एल्गोरिदम के सहारे ये पता लगाएगी कि आपको कोरोना संक्रमण का कितना रिस्क है.
ये पूरे भारत के लिए उपलब्ध है और 11 भाषाओं में है ताकि हर शहर के लोग आसानी से इसे समझ कर इसका इस्तेमाल कर सकें.
इसमें भी अगर आप कोरोना सेफ़ हैं तो आपको ग्रीन कोड में ये लिखा मिलेगा.
हालांकि सरकार ने पहले ही साफ़ कर दिया है कि इस ऐप से आपकी निजता का कोई उल्लंघन नहीं होगा. भारत सरकार के मुताबिक़ मोबाइल ऐप जो भी डेटा इस्तेमाल करता है, उसका इस्तेमाल केवल कोरोना से जुड़ी बीमारी के मामले में ही किया जाएगा.
लेकिन लोगों को इसको डाउनलोग के लिए प्रेरित करना सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी.
अगर सरकार इस ऐप को चीन की तरह अपने लॉकडाउन एक्ज़िट प्लान का हिस्सा बना देगी, तो शायद लाभ हो.
लॉकडाउन जारी रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग को बढ़ावा देने में भी ऐसे ऐप का सरकार सहारा ले सकती हैं, जैसी कोशिश सिंगापुर में देखी गई है.