Lockdown: भारत में 32 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर असर- UNESCO
नई दिल्ली- दुनिया भर में कोरोना वायरस की वजह से पढ़ाई पर होने वाले असर को लेकर यूनेस्को की एक रिपोर्ट आई है। इसके मुताबिक विश्व में 150 करोड़ से ज्यादा छात्र-छात्राओं को इस वक्त कोविड-19 की वजह से भुगतना पड़ रहा है और आगे भी भुगतना पड़ सकता है। भारत में ऐसे स्टूडेंट्स की आबादी 32 करोड़ बताई गई है, जिनके नुकसान की भरपाई के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था की गई है, लेकिन यह सब तक पहुंच पाना मुश्किल है। सरकारें इंतजार में हैं कि जल्दी ही कोरोना का प्रकोप कम हो, लॉकडाउन हटे और रुकी हुई परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा की जाए।
विश्व के 91 फीसदी छात्र-छात्राएं प्रभावित
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया भर में जारी पाबंदियों का असर विश्व के 91 फीसदी से ज्यादा छात्र-छात्राओं पर पड़ा है। यूनेस्को की एक ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि लॉकडाउन जैसी पाबंदियों के चलते स्टूडेंट्स की शिक्षा प्रभावित हुई है। दरअसल, दुनिया भर के देशों में कोविड-19 की वजह से स्कूली और उच्च शिक्षण संस्थान बंद हैं। यूनेस्को ने इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि इसकी वजह से 191 देशों के 157 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट्स की पढ़ाई-लिखाई में अड़चनें आई हैं। बुधवार को जारी यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है, 'पूरे विश्व में अधिकतर सरकारें अस्थायी तौर पर शिक्षण संस्थानों को बंद कर चुकी हैं, जिससे के कोविड-19 महामारी को फैलने से रोका जा सके। इस तरह के राष्ट्रीय लॉकडाउन के चलते दुनिया के सारे स्टूडेंट्स की 91 फीसदी आबादी पर असर पड़ रहा है।'
भारत में 32 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट्स पर असर
यूनेस्को की इस रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया कि दुनिया में पाबंदियों की वजह से प्रभावित होने वाले स्टूडेंट्स की 157 करोड़ की आबादी में 32 फीसदी से ज्यादा भारतीय छात्र-छात्राएं हैं, जिनकी पढ़ाई कई तरह की पाबंदियों और राष्ट्रीय लॉकडाउन की वजह प्रभावित हो रही है। बता दें कि भारत में पिछले 25 मार्च से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन जारी है, जिसकी घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इस रिपोर्ट में कहा कि लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा 9वीं से 12वीं तक के बच्चे प्रभावित हुए हैं। भारत में इस वर्ग में 13 करोड़ स्टूडेंट्स आते हैं। ये वो स्टूडेंट्स हैं जो बोर्ड परीक्षाओं से जुड़े हुए हैं। इस रिपोर्ट में कुछ ऐसे देशों का भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन किए हैं और उनकी वजह से भी लाखों शिक्षार्थियों की शिक्षा में अड़चन आई है।
एक महीने से ज्यादा वक्त से बंद हैं शिक्षण संस्थान
बता दें कि भारत में तो ज्यादातर स्कूल कॉलेज पिछले एक महीने से भी ज्यादा वक्त से बंद हैं। क्योंकि कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर राष्ट्रीय लॉकडाउन जारी होने से पहले ही कई राज्यों ने शिक्षण संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया था। 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा की वजह से ये शिक्षण संस्थान भी तब तक बंद ही रहेंगे। जबकि, कई राज्यों ने पहले ही आधे या पूरे जून तक स्कूलों को बंद रखने का ऐलान कर दिया है। देश में कोरोना वायरस की वजह से सिर्फ शिक्षा ही बाधित नहीं हुई है, उससे जुड़ी कई गतिविधियां भी स्थगित हुई हैं। जिसमें बोर्ड परीक्षाएं स्थगित होना, कॉलेज की परीक्षाएं और जेईई और एनईईटी जैसी प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षाएं भी स्थगित होना शामिल हैं।
ऑनलाइन कक्षाओं का हो रहा है इस्तेमाल
स्टूडेंट्स की पढ़ाई को जो नुकसान पहुंच रहा है, उसे कम करने के लिए ऑनलाइन क्लासेज चल रहे हैं। छोटे-छोटे स्कूली बच्चे भी उसका लाभ उठा रहे हैं। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने भी इस दिशा में कई व्यवस्थाएं की हैं। जिनमें ऑनलाइन पोर्टल का इंतजाम और डीटीएच के जरिए एजुकेशनल चैनल की व्यवस्था आदि शामिल है। सरकारें इस इंतजार में बैठी हैं कि लॉकडाउन खत्म होते हैं पेंडिंग परीक्षाओं की नई तारीखों का ऐलान किया जा सके।
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