Lockdown 4.0: भारतीय जीडीपी में 45 % गिरावट का अनुमान, भीषण मंदी में फंस सकता है भारत
नई दिल्ली। भारत में कोरोनावायरस प्रेरित राष्ट्व्यापी लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ा दिया गया है। सरकार का यह कदम पिछले एक हफ्ते में संक्रमितों की संख्या में बेतहाशा हुई तेजी को देखेते हुए बेहतर भले ही कहा जा सकता है, लेकिन जीडीपी विकास के लिहाज से यह कदम देश की अर्थव्यवस्था पर कुठाराघात साबित होता हुआ दिख रहा है।
दिग्गज ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सेश (Goldman Sachs) ने इन्हीं आंशकाओ को रेखांकित करते हुए कहा है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत अब तक की सबसे भीषण मंदी के दौर से गुजरेगा। कंपनी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जून तिमाही) में देश की GDP विकास में 45 फीसदी की गिरावट आएगी जबकि दूसरी तिमाही के लिए गोल्डमैन सेश पहले 20 फीसदी की गिरावट का अनुमान किया था।
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हालांकि कंपनी ने तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास में 20 फीसदी की मजबूत रिकवरी की संभावना भी जताई है, जबकि चौथी तिमाही और अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए विकास दर अनुमान क्रमशः 14 फीसदी और 6.5% पर बरकरार रखा गया है।
गोल्डमैन सेश में अर्थशास्त्री प्राची मिश्रा और एंड्रयू टिल्टन ने 17 मई को एक नोट में लिखा है कि इन अनुमानों का मतलब है कि वित्त वर्ष 2021 में भारत की वास्तविक जीडीपी में 5 फीसदी की गिरावट आएगी, जो कि भारत के समक्ष आने वाली अब तक की सबसे मंदी होगी।
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कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोत्तरी के बीच भारत सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ा दिया है, जबकि कुछ खास क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पाबंदियों में और ढील देने का ऐलान किया है। इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए की पैकेज की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज भारत की कुल जीडीपी का 10 फीसदी है।
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गोल्डमैन सेश के अर्थशास्त्री प्राची मिश्रा और एंड्रयू टिल्टन ने लिखा, पिछले कुछ दिनों में विभिन्न सेक्टर्स में कई स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स की घोषणा की गई है। इन रिफॉर्म्स का असर मीडियम टर्म में दिखेगा और हमें इस बात की उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में इसका तत्काल असर दिखेगा।
चूंकि भारत द्वारा घोषित सुधार की अधिक प्रकृति मीडियम टर्म वाली है, इसलिए मीडियम टर्म आउटलुक पर पड़ने वाले असर को देखने के लिए हम इन उपायों के क्रियान्वयन पर करीबी नजर रखना बरकरार रखेंगे। अर्थशास्त्रियों ने अपने नोट में यह भी उल्लेख किया है कि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं द्वारा घोषित पैकेजों की तुलना में भारत के आर्थिक पैकेज थोड़े कम लक्षित नीति समर्थन वाले हैं।
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गोल्डमैन सेचस अर्थशास्त्रियों ने कहा कि सभी ताजा भविष्यवाणी लॉकडाउन के विस्तार, कार्यबल की कमी और सभी स्थितियों में फैक्टरिंग के बाद की गई है। उन्होंने सरकार को व्यवसायों पर महामारी के अतिरक्त प्रभाव को कम करने के लिए "विवेकाधीन वित्तीय नीति समर्थन" की पेशकश की सलाह दी है।
भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों का आंकड़ा 91 हजार के पार हो गया है और 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि भारत में रिकवरी वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है और अब तक कुल 3682 स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं।
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