मस्जिद के लिए जगह अयोध्या से 25 किमी दूर क्यों, स्थानीय मुसलमानों ने उठाए सवाल
नई दिल्ली- यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अयोध्या में बाबरी मस्जिद के बदले मुसलमानों को 5 एकड़ जमीन आवंटित करने की मंजूरी दे दी है। लेकिन, अयोध्या शहर के काफी मुसलमान और खासकर बाबरी मस्जिद के लिए मुकदमा लड़ चुके मुसलमान इस फैसले से खुश नहीं है। उनकी शिकायत है कि अयोध्या शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर जमीन आवंटित करने का मतलब क्या है। इनमें से कुछ लोगों ने तो यह जमीन मस्जिद के लिए स्वीकार करने से साफ मना कर दिया है। हालांकि, अयोध्या में ही कुछ ऐसे मुसलमान हैं, जिनकी राय बाकियों से अलग हैं और वह पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ कर रहे हैं और फैसले को बहुत ही सही करार दे रहे हैं। यही नहीं धन्नीपुर गांव के लोगों की राय भी अयोध्या में नाखुश मुसलमानों से पूरी तरह अलग नजर आ रही है।
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अयोध्या के मुसलमानों को पसंद नहीं आ रहा फैसला
अयोध्या के बाबरी मस्जिद के बदले यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मुसलमानों को धन्नीपुर गांव में जो 5 एकड़ जमीन देने का ऐलान किया है, वह शहर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर है। ये गांव अयोध्या जिले के सोहवाल तहसील में है और मस्जिद के लिए जिस जमीन की पहचान की गई है, वह लखनऊ-अयोध्या हाइवे पर रौनाही थाने से महज 200 मीटर की दूरी पर है। ईटी की एक खबर के मुताबिक अयोध्या शहर के कई मुसलमानों को यूपी सरकार का ये फैसला पसंद नहीं आ रहा है। उनकी दलील है कि शहर से इतनी दूर मस्जिद बनाने का कोई मतलब नहीं है। अयोध्या की जमीन के लिए मालिकाना हक की लड़ाई लड़ चुके एक प्रमुख वादी हाजी मेहबूब के मुताबिक, 'इतनी दूर जमीन देने का मतलब क्या है।' उन्होंने कहा कि, 'हम कह चुके हैं कि हमें जमीन नहीं चाहिए.....और अगर जमीन आवंटित करनी थी तो इसे अयोध्या के पास देना चाहिए। मैं इसे नहीं स्वीकर करूंगा।'
'67 एकड़ के अंदर मिलती जमीन, तभी मंजूर'
महबूब अकेले नहीं हैं। उन्होंने तो इस बात को लेकर बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी से चर्चा करने की भी बात कही है। पवित्र रामजन्मभूमि के आसपास के कई मुसलमानों का नजरिया भी मेहबूब से मेल खा रहा है। इस मामले के एक और जानेमाने दावेदार रहे इकबाल अंसारी ने कहा है कि जमीन के लिए उनसे कोई संपर्क नहीं किया गया था, लेकिन वह अपने पहले वाले प्रस्ताव पर कायम हैं कि उनके घर के पास की जमीन का इस्तेमाल हो, जहां पर पहले से ही एक मस्जिद है और उसे विकसित किया जा सकता है। एक और स्थानीय मुसलमान के मुताबिक, 'अयोध्या में जमीनों और मस्जिदों की कमी नहीं है। लोग अपने पास की मस्जिदों में जाते हैं। नहीं तो लोग अपने घर में भी नमाज पढ़ सकते हैं। अगर जमीन 67 एकड़ के अंदर होती, तभी भी यह मंजूर होती।'
'मस्जिद के लिए भी ट्रस्ट बने'
लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि अयोध्या के सभी मुसलमान सरकार के फैसले से नाखुश हैं। उन्हीं में से अयोध्या जिला पंचायत के सदस्य बबलू खान भी हैं, जो काफी खुश नजर आ रहे हैं और इसके लिए पीएम मोदी और सीएम योगी की जमकर तारीफ भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा है, 'मैं अपने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का सबका भरोसा जीतने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। जगह बहुत ही उपयुक्त है, क्योंकि वह 95फीसदी मुस्लिम आबादी के करीब है। हालांकि, मैं मस्जिद बनाने के लिए भी राम मंदिर की तरह का ही एक ट्रस्ट का गठन चाहता हूं। क्योंकि, ये जमीन बहुत बड़ी है, वहां एक अस्पताल और एक स्कूल अच्छा रहेगा।'
धन्नीपुर वाली जमीन की अभी क्या स्थिति है ?
धन्नीपुर की जो 5 एकड़ जमीन यूपी सरकार ने मस्जिद बनाने के लिए आवंटित की है, वहां अभी गेहूं की फसल लगी हुई है। लेकिन, पिछले साल वहां पर जब शाहगादा शाह रहमत उल्लाह अलैह की दरगाह पर जब पिछले साल अप्रैल में उनकी बरसी पर तीन दिनों का मेला लगा था तब यहां काफी चहल-पहल थी। यहां पर घुड़दौड़ देखने के लिए और कव्वालियों के अलावा बाकी चीजों का लुत्फ उठाने के लिए भारी भीड़ उमड़ती थी। एक सरकारी सूत्र ने बताया कि यह जमीन यहां पर मुस्लिमों की आबादी, मस्जिद तक लोगों की पहुंच और कानून-व्यवस्था के अलावा सांप्रदायिक सौहार्द को ध्यान पर तय की गई है। केंद्र की मंजूरी के लिए जो दो और जगह चुनी गई थी, वो अयोध्या-प्रयागराज हाइवे पर स्थित थी।
धन्नीपुर में खुशी का माहौल
अयोध्या के लोग चाहे जो भी सोचें, लेकिन धन्नीपुर के लोग अपने गांव में नई मस्जिद बनेगी, यह सोचकर बहुत ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं। बुधवार को जैसे ही यहां के लोगों को पता चला कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बाबरी मस्जिद के बदले मस्जिद निर्माण के लिए धन्नीपुर में ही 5 एकड़ जमीन मुसलमानों को देने का ऐलान किया है, वे बहुत ही उत्साहित हैं। धन्नीपुर के एक 21 वर्षीय एक युवा ने कहा, 'गांव के अंदर 20 से ज्यादा मस्जिदें हैं और हाइवे पर तीन और हैं। बहुत सारे नमाजी भी होने चाहिए। '
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