लोन मोरेटोरियम : सरकार की दलीलों से संतुष्ट नहीं सुप्रीम कोर्ट, अगली सुनवाई 13 सितंबर को
नई दिल्ली। लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार समेत सभी पक्षों को 12 अक्टूबर तक हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं। मोरेटोरियम के दौरान टाली गई ईएमआई पर ब्याज के मामले सरकार के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने असंतोष जताया है। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई अब 13 अक्टूबर को होगी। सरकार ने 2 करोड़ रुपये तक का कर्ज लेने वाले लोगों की बकाया राशि पर चक्रवृद्धि ब्याज न लगाने की बात कही थी।
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न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने रिट याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर ध्यान दिया कि 2 अक्टूबर का केंद्र का हलफनामा कई मुद्दों के संतोषजनक जवाब देने में सक्षम नहीं है। कोर्ट ने कहा कि, केंद्र सरकार या आरबीआई द्वारा कोई परिणामी अधिसूचना या परिपत्र जारी नहीं किया गया है ताकि इसे लागू किया जा सके जो रिकॉर्ड में लाया गया है। रिपोर्ट को जरूरतमंद व्यक्तियों को भी प्रसारित किया जाना है।
कामत समिति की सिफारिशों का एक संदर्भ है, लेकिन उस ओर से कोई रिपोर्ट रिकॉर्ड में नहीं लाई गई है। पीठ का विचार था कि समिति ने जो भी सिफारिशें की हैं और भारत संघ और आरबीआई द्वारा स्वीकार की गई हैं, उन्हें सार्वजनिक करने की आवश्यकता है ताकि संबंधित व्यक्तियों को लाभ मिल सके। सरकार के वकील ने कहा कि रिपोर्ट को रिकॉर्ड में रखा जाएगा, जिसमें कहा गया है कि छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। मुझे उनके जवाब दाखिल करने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मुझे उनकी प्रार्थना पर आपत्ति है।
शीर्ष अदालत ने कहा, मुद्दा रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लाने का नहीं है, बल्कि रिपोर्ट को लागू करने का है। इनमें से कोई भी सिफारिश ऐसी नहीं है, जिसे लागू नहीं किया जा सकता था। आरबीआई और सरकार को कुछ दिशा-निर्देश जारी करने होंगे, ताकि लोग जान सकें कि क्या लाभ मिला है। पीठ ने फटकार लगाते हुए मांग की कि वरिष्ठ अधिवक्ता वी गिरी एसजी के स्थान पर आरबीआई के लिए क्यों पेश हो रहे हैं।
वहीं रियल एस्टेट डेवलपर्स की संस्था क्रेडाई के वकील आर्यमान सुंदरम ने कहा, इस हलफनामे में सिर्फ छोटे कर्ज़ की बात की गई है। रियल एस्टेट सेक्टर इस समय गहरे संकट में है। लेकिन हमारा कोई जिक्र तक नहीं है। क्रेडाई ने कहा कि केंद्र ने लोन रिस्ट्रक्चरिंग का कोई विकल्प नहीं दिया है। 1 सितंबर तक किसी सेक्टर को कोई राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर कड़ी नाराजगी जताई।
बैंकों की संस्था की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मामले का जल्द निपटारा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि देरी से बैंकों को भी काफी नुकसान हो रहा है। गौरतलब है कि कोर्ट ने ईएमआई न चुकाने वाले किसी भी खाताधारक पर फिलहाल कार्रवाई न करने का आदेश दे रखा है। कोर्ट ने साल्वे से भी कहा कि वह बैंकों की तरफ से अलग-अलग सेक्टर के लोन री-स्ट्रक्चर करने को लेकर तैयार योजना की जानकारी दें।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरटोरियम अवधि के दौरान लोन के ब्याज पर ब्याज लेने के खिलाफ दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई 5 अक्टूबर के लिए स्थगित की थी। पिछली सुनवाई के दौरान वकील राजीव दत्ता ने कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई है। इस दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस योजना पेश करने को कहा गया था।
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