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बिहार चुनाव में जादुई चिराग बनना चाहते थे LJP चीफ, लेकिन मांझी की एंट्री से उड़ी पासवान की नींद

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बेंगलुरू। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 को लेकर राजनीतिक सरगर्मी के साथ राज्य में राजनीतिक उठापटक भी शुरू हो गई है। एनडीए में एक मात्र दलित वोट बैंक पार्टी के रूप में शुमार एलजेपी एनडीए घटक दल जदयू से हाल में जुड़े 'हम' नेता जीतन राम मांझी को लेकर आगबबूला है। एलजेपी चीफ चिराग पासवान की नजर बिहार की सीएम की कुर्सी है, जिसके लिए विभिन्न मुद्दों पर वो लगातार सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर रहे है। इसकी परिणित ही कहेंगे कि नीतीश ने चिराग को सबक सिखाने के लिए पुराने सभी गिले-शिकवे भुलाकर मांझी से गठबंधन कर लिया।

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जदयू के जीतन राम मांझी के दोबारा जुड़ने से फेल हुई लीजेपी की रणनीति

जदयू के जीतन राम मांझी के दोबारा जुड़ने से फेल हुई लीजेपी की रणनीति

जदयू के जीतन राम मांझी के दोबारा जुड़ने से एलजेपी चीफ आगामी विधानसभा चुना में जादुई चिराग बनने की फिराक में थे, वह उनके हाथ से जाता हुआ दिख रहा है। हालत यह हो गई है जादुई चिराग का जादू दिखाने के लिए संसदीय बोर्ड दल की बैठक बुलानी पड़ गई है।

NDA पर दवाब बनाकर ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करना चाहते हैं चिराग?

NDA पर दवाब बनाकर ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करना चाहते हैं चिराग?

एनडीए पर दवाब बनाकर पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ते हुए ज्यादा से ज्यादा सीट गठबंधन में हासिल की जा सके। इसके पीछे एलजेपी का तर्क हो सकता है कि वह ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर बिहार में दलितों के एकमात्र दल के रूप में अपना सम्मान बरकार रखना चाहती है।

एनडीए में दूसरे दलित नेता के रूप में मांझी का विरोध कर रहे हैं चिराग

एनडीए में दूसरे दलित नेता के रूप में मांझी का विरोध कर रहे हैं चिराग

महत्वपूर्ण बात यह है कि चिराग पासवान एनडीए में एकतरफ जहां दूसरे दलित नेता के रूप में जीतन राम मांझी का विरोध कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी से रार नहीं लेना चाहते हैं। वहीं, बीजेपी भी चाहती है कि चिराग पासवान एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ें ताकि चुनाव परिणामों के बाद जदयू के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर गुणा भाग की स्थिति में पहुंच सके।

दलित वोटों के बंटवारे में जदयू की 10 सीटें कम कर सकती है एलजेपी?

दलित वोटों के बंटवारे में जदयू की 10 सीटें कम कर सकती है एलजेपी?

माना जा रहा है कि अगर एलजेपी अलग लड़ती है, तो दलित और महादलित वोटों के बंटवारे में अगर एलजेपी जदयू की 10 सीटें कम करने में कामयाब रही तो बीजेपी सौदेबाजी कर सकेगी।

 चिराग पासवान NDA में बने रहते हुए बीजेपी का दामन नहीं छोड़ना चाहते

चिराग पासवान NDA में बने रहते हुए बीजेपी का दामन नहीं छोड़ना चाहते

उधर, चिराग पासवान भी एनडीए में बने रहते हुए बीजेपी का दामन नहीं छोड़ना चाहती है और अगर वह अकेले मैदान में उतरती है, तो बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने से परहेज करेगी। अगर एलजेपी की वजह से जेडीयू 10 सीटें भी हार जाती है तो बिहार में बीजेपी की ताकत बढ़ेगी।

बीजेपी अकेले ही बिहार में बहुमत की सरकार बना सकती है: आरके सिंह

बीजेपी अकेले ही बिहार में बहुमत की सरकार बना सकती है: आरके सिंह

अगर आपको याद हो तो अभी हाल में बीजेपी सांसद आरके सिंह ने कहा था कि बीजेपी अकेले ही बिहार में बहुमत की सरकार बना सकती है। हालांकि बाद में बिहार बीजेपी प्रमुख संजय जायसवाल ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि एनडीए सभी दलों के साथ चुनाव में उतरेगी।

एलजेपी अकेले बिहार चुनाव में उतरती है तो परिणाम काफी दिलचस्प होगा

एलजेपी अकेले बिहार चुनाव में उतरती है तो परिणाम काफी दिलचस्प होगा

अगर ऐसी स्थिति बनती है और एलजेपी अकेले बिहार चुनाव में उतरती है तो मामला काफी दिलचस्प हो सकता है। पार्टी सूत्रों के ने पहले ही यह संकेत था कि पार्टी 143 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है। उम्मीद है एलजेपी संसदीय बोर्ड मीटिंग के बाद लोजपा की ओर से बिहार चुनाव को लेकर जल्द अपना स्टैंड साफ कर दिया जाएगा। हालांकि अभी भी यह संस्पेंस बना हुआ है कि वो एनडीए के साथ रहेंगे या फिर नहीं।

JDU को महादलित, दलित और पिछड़ों के वोट दिलवा पाएंगे मांझी

JDU को महादलित, दलित और पिछड़ों के वोट दिलवा पाएंगे मांझी

बिहार विधानसभा चुनाव में महादलित, दलित और पिछड़ों के वोटों को साधने की कोशिश में नीतीश कुमार ने महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को जेडीयू के साथ जोड़ा है, क्योंकि चिराग पासवान लगातार जदयू के खिलाफ हमलावर थे। जीतन राम मांझी भी दोहरा चुकी है कि उनकी पार्टी जेडीयू के साथ मिल-जुलकर चुनाव लड़ेगी

बिहार में महादलित समाज में मुसहर समुदाय से आते हैं जीतन राम मांझी

बिहार में महादलित समाज में मुसहर समुदाय से आते हैं जीतन राम मांझी

महादलितों में मुसहर समुदाय से आने वाले मांझी नीतीश कुमार और जदयू के लिए कितने फायदेमंद होंगे, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन बिहार विधासनभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी की पार्टी की डांवाडोल स्थिति कुछ खास करिश्मा दिखाते नहीं दिखते हैं। एनडीए घटक दल एलजेपी एक बार दलित वोटों पर आधिपत्य जमाते हुए आगे निकल जाए, तो आश्यर्च नहीं होगा।

गया जिले और उसके आसपास के इलाक़ों में है जीतन राम मांझी का प्रभाव

गया जिले और उसके आसपास के इलाक़ों में है जीतन राम मांझी का प्रभाव

जीतन राम मांझी का प्रभाव गया जिले और उसके आसपास के इलाक़ों में माना जाता है। राजनीति में आने के बाद से मांझी फ़तेहपुर, बाराचट्टी, बोधगया, मखदूमपुर और इमामगंज से भी चुनाव लड़े और जीत हासिल की, लेकिन गया सीट से सांसद के रूप में उनके निर्वाचित होने का सपना उनका अभी तक पूरा नहीं हो सका है, जो उनकी सीमितता को दर्शाता है। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनावों में जीतनराम मांझी की पार्टी ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन, पार्टी एक सीट ही जीत पाई थी।

चिराग पासवान सीएम नीतीश के दोबारा मांझी से जुड़ने से बेहद असहज हैं

चिराग पासवान सीएम नीतीश के दोबारा मांझी से जुड़ने से बेहद असहज हैं

चिराग पासवान सीएम नीतीश कुमार के दोबारा दलित नेता मांझी से जुड़ने से बेहद असहज हैं। निः संदेह एलजेपी औऱ हम की राजनीतिक हैसित में जमीन और आसमान का फर्क है और खुद नीतीश भी जानते हैं कि मांझी के जरिए वो दलित वोटों पर सेंध नहीं लगा पाएंगे, लेकिन मांझी को लाकर नीतीश ने पासवान को सबक सिखाने की कोशिश की, जिससे चिराग पासवान का चिढ़ना तय है। चूंकि मांझी और पासवान की पार्टी बिहार के दलित वोटों का प्रतिनिधुत्व करते हैं, इसलिए चिराग पासवान का मांझी के साथ संबंध मुधर होने का सवाल ही नहीं हैं।

बिहार की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं: चिराग

बिहार की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं: चिराग

यही कारण था कि हाल में एलजीपी चीफ चिराग पासवान ने कह दिया कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण और बाढ़ की स्थिति को लेकर नीतीश कुमार की अक्षमता पर सवाल दागते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 15 साल से सत्ता में हैं, लेकिन फिर भी बिहार में कोई बदलाव नहीं आया। पासवान यही नहीं रुके, बोले, मैंने कई बार बिहार की नदियों को आपस में जोड़ने के लिए पत्र लिखे।

जदयू में मांझी की मौजूदगी में एलजेपी के पास है एकमात्र विकल्प

जदयू में मांझी की मौजूदगी में एलजेपी के पास है एकमात्र विकल्प

फिलहाल, जदयू में मांझी की मौजूदगी में एलजेपी के पास एकमात्र विकल्प है कि वह केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बनी रहे, लेकिन राज्य में जदयू से अलग होकर चुनाव लड़े। लोजपा संसदीय दल की बैठक में भी संभवतः इसी पर मंथन किया जा रहा है। पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान इस बैठक में अपना चुनावी स्टैंड क्लियर करेंगे। एनडीए में रहते हुए लगातार सीएम नीतीश पर हमलावर रही लीजेपी का जादुई चिराग जीतन राम मांझी के एनडीए के पाले में आने के बाद क्या चमत्कारी निर्णय लेती है, यह जल्द निश्चित हो जाएगा।

Comments
English summary
Political upheaval has also started in the state with political stirring regarding Bihar Assembly Elections 2020. The LJP, which is counted as the only Dalit vote bank party in the NDA, has been furious over Jitan Ram Manjhi, the recently-joined 'we' leader of the NDA constituent JDU. Actually, the LJP Chief is eyeing the CM chair of Bihar, for which he has been continuously attacking CM Nitish Kumar on various issues. As a result, Nitish has forgotten all the old tricks to teach Chirag Paswan a lesson and aligned with Manjhi.
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