सुपर-30 के आनंद कुमार क्यों नहीं जारी करते स्टूडेंट्स की लिस्ट?
आनंद कुमार ने कहा, ''पहले हम रामानुजम क्लासेस ही चलाते थे. फिर ये आइडिया आया कि रामानुजम क्लासेस चलाकर कुछ पैसे कमाए जाएं. इसके आधार पर सुपर-30 के स्टू़डेंट्स, शिक्षकों और हमारे घर का ख़र्चा चलता है. रामानुजम क्लासेस में 300 या 400 बच्चे होते हैं. 27 हज़ार के आस-पास डेढ़ साल की फ़ीस लेते हैं. जो फ़ीस नहीं दे पाते हैं, उन्हें फ्री में पढ़ाते हैं.''
बिहार में सुपर-30 के प्रमुख आनंद कुमार पर भले ही जल्द एक फ़िल्म रिलीज़ होने वाली है. लेकिन बीते दिनों आनंद कुमार विवादों में भी रहे हैं.
आनंद कुमार पर सबसे ज़्यादा आरोप ये लगाया जाता है कि वो नतीजों से पहले सुपर-30 में शामिल छात्रों की सूची जारी नहीं करते हैं.
बीबीसी संवाददाता सरोज सिंह ने आनंद कुमार से फ़ेसबुक लाइव में ऐसे कई सवाल पूछे.
आनंद कुमार ने इस पर कहा, ''ये ग़लत बात है. हम लोगों ने 2010, 2015 या जब भी कभी ऐसी चर्चाएं हुई हैं तो हमने परीक्षा से पहले लिस्ट दी है. कई बार ऐसा हुआ है कि उस वक़्त में बच्चों की ख़रीद-बिक्री होने लगती है और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.''
वो कहते हैं, ''आज भी हमारे पढ़ाए बच्चे अमरीका, जापान और भारत हर जगह में हैं. ऐसे कई बच्चों के सुपर-30 में आने से पहले और बाद की तस्वीरें फ़ेसबुक पर लगाकर उनकी कहानियां साझा करता हूं. इस साल भी नतीजे आने से पहले मैं लिस्ट बीबीसी और कुछ लोगों को ज़रूर दूंगा.''
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने पहले भी कहा था कि वो सुपर-30 के बच्चों की लिस्ट बीबीसी से शेयर करेंगे. लेकिन उन्होंने अभी तक लिस्ट नहीं दी है.
पहले ही जारी क्यों नहीं करते लिस्ट?
आईआईटी की तैयारी में अच्छा ख़ासा वक़्त लगता है. ऐसे में आनंद कुमार हर बार लिस्ट जारी करने के लिए नतीजों की तारीख़ क़रीब आने का इंतज़ार क्यों करते हैं. इसका वो सीधा जवाब देने से बचते हुए अपनी दलील देते हैं.
आनंद कुमार कहते हैं, ''हमने आज तक किसी से कोई चंदा नहीं लिया. न बिहार और न ही केंद्र सरकार से. इसके बावजूद हमने ग़रीब बच्चों की मदद की. हमारे भाई पर हमला हुआ. उसका पैर टूटा हुआ है. लोगों ने उस पर ट्रक चढ़वाने का काम किया है. हम पर गोलियां चली हैं. बिहार सरकार में ऐसे कई मामले दर्ज हुए. ऐसे में हम नहीं चाहते कि किसी की ज़िंदगी पर कोई ख़तरा हो. छात्रों के नाम पहले जारी करने पर ये ख़तरा हो सकता है. आख़िर वो तीन चार लोग कौन हैं, जो बार-बार ऐसी बातें करते हैं.''
वो आशंका जताते हैं कि नाम पहले जारी कर देने से बच्चों को ख़तरा हो सकता है. लेकिन इस तरह की दलील देते हुए उनके चेहरे और उनके लहजे में नाराज़गी साफ़ दिखती है.
ग़ुस्सा ज़ाहिर करते हुए आनंद कुमार कहते हैं, ''क्या मैंने कोई कांड कर दिया है कि सीबीआई जांच करेगा. हम किसी के प्रति ज़िम्मेदार नहीं हैं कि जवाब दें. हां परीक्षा होगी और नतीजा आने वाला होगा तब आप सभी के सामने बच्चों को लाऊंगा. हमारे होनहार बच्चे संघर्ष करते हैं. हमें ऐसी बातों से दुख होता है. आज तक हमने जो किया उससे बिहार का नाम ऊपर हुआ है.''
आनंद कुमार पर आरोप लगते हैं कि सुपर-30 में रामानुजम क्लासेस से चुने जाने वाले स्टू़डेंट्स भी शामिल किए जाते हैं.
आनंद कुमार कहते हैं, ''पहले लिस्ट जारी करने की बातें भी साज़िश है ताकि आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला शुरू किया जाए. 2007 की बात है. हमारे बच्चों को दूसरे कोचिंग वालों ने ख़रीद लिया. डिस्कवरी चैनल तक ने इसे कवर किया. जिसको यक़ीन करना है करे और जिसे नहीं करना वो न करे. हमारा जो काम है वो हम करते रहेंगे. अपनी शर्तों और सुविधाओं के हिसाब से. जब हमारी इच्छा होगी, जैसा माहौल होगा तब जारी करेंगे.''
रामानुजम क्लासेस के बारे में क्या बोले आनंद कुमार?
आनंद कुमार सुपर-30 के अलावा रामानुजम क्लासेस भी चलाते हैं.
आनंद कुमार ने कहा, ''पहले हम रामानुजम क्लासेस ही चलाते थे. फिर ये आइडिया आया कि रामानुजम क्लासेस चलाकर कुछ पैसे कमाए जाएं. इसके आधार पर सुपर-30 के स्टू़डेंट्स, शिक्षकों और हमारे घर का ख़र्चा चलता है. रामानुजम क्लासेस में 300 या 400 बच्चे होते हैं. 27 हज़ार के आस-पास डेढ़ साल की फ़ीस लेते हैं. जो फ़ीस नहीं दे पाते हैं, उन्हें फ्री में पढ़ाते हैं.''
आनंद कुमार जब ये बात फ़ेसबुक लाइव में बोल रहे थे, तब बीबीसी के एक दर्शक सत्यम कुमार ने कमेंट किया, ''रामानुजम क्लासेस में 1500 बच्चे पढ़ते हैं और हर बच्चे से 33 हज़ार रुपये लिए जाते हैं. चंदे की क्या ज़रूरत है.''
इस पर आनंद कुमार ने कहा, ''33 हज़ार में जीएसटी भी है. 1500 छात्र हैं ही नहीं. कहने के लिए तो बहुत लोग कहते हैं- तुमसे दिल लगाकर बड़ा मुश्किल है मुस्कुराना, मरने न दे मुहब्बत, जीने न दे ज़माना.''
देखिए आनंद कुमार के साथ पूरा फ़ेसबुक लाइव
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