Aadhaar को वोटर आईडी से लिंक कर फर्जी वोटिंग पर लगाई जा सकती है लगाम, पूर्व जज ने EC को दिया सुझाव
नई दिल्ली। चुनाव आयोग 12 अंकों के बायोमैट्रिक नंबर को वोटर आईडी से जोड़ने के पक्ष में है और आयोग ने इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की राय मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज विक्रमजीत सेन ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि आधार को वोटर आईडी से लिंक करना आवश्यक है ताकि असामाजिक तत्वों द्वारा एक से अधिक बार वोटिंग (फर्जी वोटिंग) पर लगाम लगाई जा सके।
रिटायर्ड जज विक्रमजीत सेन ने दिया सुझाव
रिटायर्ड जज विक्रमजीत सेन ने बताया कि यूनिक वोटर आईडी और आधार को लिंक करने से एक शख्स को दो बार वोट करने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगले चुनाव में आधार को वोटर आईडी से लिंक करना अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि इस प्रकार की अवैध वोटिंग पर लगाम लगाई जा सके। उन्होंने कहा कि चुनाव की प्रक्रिया को निष्पक्ष और मजबूत बनाने के लिए ऐसा करना आवश्यक है।
चुनाव आयोग आधार को वोटर आईडी से जोड़ने के पक्ष में
पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि आधार केवल पैन कार्ड, आयकर रिटर्न दाखिल करने और कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य किया जा सकता है। इसके बाद चुनाव आयोग ने 12-अंकों के बायोमेट्रिक नंबर के साथ मतदाता पहचान पत्र को अनिवार्य रूप से जोड़ने के लिए जोर देना शुरू किया।
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लोगों को दिया जाए ये विकल्प, सेन ने कहा
ये पूछे जाने पर कि क्या अनिवार्य लिंकिंग लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित कर सकती है। सेन ने कहा, 'अगर कोई ऐसा है जो मानता है कि यह उनकी निजता पर हमला है, तो उन्हें अपना वोट 'छोड़' देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके लिए कौन सा अधिकार अधिक महत्वपूर्ण और संतुलित है- निजता का अधिकार या मतदान का अधिकार। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि यदि किसी के पास आधार नहीं है तो उन्हें वोट देने के अपने अधिकार से इस बिना पर वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
आधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिया था फैसला
साल 2015 में, चुनाव आयोग ने नेशनल इलेक्टोरल रोल प्यूरिफिकेशन एंड ऑथेंटिकेशन प्रोग्राम (NERPAP) लॉन्च किया था, जिसमें त्रुटिरहित और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न कराने के लिए स्वैच्छिक रूप से आधार-वोटर आईडी को लिंक करने का विकल्प था। हालांकि, बाद में आधार को लेकर विवाद बढ़ा और इसका मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा था। इसके बाद इस प्रक्रिया को रोक दिया गया था। उस वक्त तक इस प्रक्रिया के तहत 38 करोड़ मतदाता जुड़ चुके थे।