पिज्जा की तरह क्या गली के ठेले से भी मंगवा सकेंगे ऑनलाइन चाट और स्ट्रीट फूड? जानिए
Like pizza, you will be able to order online chat with street cart, waiting for approval from governmentपिज्जा की तरह गली के ठेले से भी मंगवा सकेंगे ऑनलाइन चाट, सरकार से मंजूरी का इंतजार
नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान आप अपने पसंदीदा स्ट्रीट फूड को अगर बहुत मिस कर रहे हैं तो आपके लिए ये खुशखबरी हैं कि जल्द ही आपकी स्ट्रीट चाट समेत अन्य स्ट्रीट फूड आप ऑनलाइन डिलीवरी कर मंगवा सकेंगे। दरअसल, केन्द्र सरकार 20 अप्रैल से कुछ ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियों को काम करने की इजाजत दे सकती है। जिसके लिए गाइडलाइन बनाई जा रही हैं ताकि फूड डिलीवरी के दौरान कोरोना संक्रमण का खतरा बिलकुल खतरा न हो।
एसोसिएशन ने मांगी है इजाजत
बता दें कोरोनावायरस के संक्रमण काल में स्ट्रीट फूड वेंडर्स के सामने रोजी-रोटी की समस्या हो गई हैं। ऐसे में स्ट्रीट फूड वैंडर्स की भी मांग है कि पर्याप्त सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी फूड डिलीवरी करने की उन्हें भी अनुमति दी जाए। इसके लिए नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट फूड वेंडर्स ऑफ इंडिया (NASVI) की तरफ से एक एप तैयार किया गया है जिस पर सभी स्ट्रीट फूड वेंडर्स को जोड़ा जाएगा। जिस पर ग्राहक जाकर अपने मनपसंद स्ट्रीट फूड ऑडर कर अपने घर मंगवा सकेंगे।
सरकार की इजाजत मिलने पर इस एप पर आप कर सकेंगे ऑडर
नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट फूड वेंडर्स ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किए गए नासी के एप पर कोई भी व्यक्ति इस पर अन्य फूड डिलीवरी कंपनियों की तरह खाने का सामान का ऑर्डर कर स्थानीय चिंहिंत वेंडर से सुरक्षित अपना स्ट्रीट फूड मंगवा सकेगा। बता दें इस एप की टेस्टिंग भी शुरु हो चुकी है और सरकार से अनुमति मिलने के लगभग एक सप्ताह के अंदर ही इस ऐप पर ऑनलाइन फूड डिलीवरी शुरु हो जाएगी।
स्ट्रीट फूड वेंडर्स होगी बड़ी चुनौती
गौरतलब हैं कि देश भर में लाखों की संख्या में स्ट्रीट फूड वेंडर्स हैं। इनसे संक्रमणमुक्त सुरक्षित भोजन बनाना और उसकी सुरक्षित सप्लाई करना सबसे बड़ी चुनौती होगा। भले ही स्ट्रीट फूड को स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर नही माना जाता लेकिन यह सच्चाई ये है कि फूड लवर्स के बची स्ट्रीट फूड खूब लोकप्रिय हैं। लोगों की टेस्टबाइट में कुछ स्ट्रीट मूड चढ़ चुके हैं।
इन लोगों की भी दो वक्त का मिल सकेगा खाना
स्वाद ही नहीं कई गरीब मजदूर और कामगार लोग ऐसे ही छोटे ठेलों पर लगने वाले वेंडरों से अपने भोजन की जरूरतें भी पूरी करते हैं। लॉकडाउन में इन लोगों के भोजन की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। अगर वेंडर्स को भी भोजन सप्लाई करने की अनुमति मिल जाती है, तो इससे बड़ी संख्या में लोगों को खाना उपलब्ध कराया जा सकेगा
वेंडर्स को कर रहे प्रशिक्षित
नासवी के अध्यक्ष अरबिंद सिंह ने मीडिया को दिए साक्षात्कार में बताया कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए वे अपने अंडर में आने वाले सभी वेंडरों को हाइजीन से भरपूर खाना बनाने और संक्रमण से बचने की तकनीकी की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।लोगों को खाद्य सामग्री देने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर और मास्क का इस्तेमाल सिखाया जा रहा है। सरकार इसमें आवश्यक प्रावधान जोड़ सकती है और स्थानीय प्रशासन की मदद से अन्य कंपनियों की तरह उनके साथ भी नियमों का पालन अनिवार्य बना सकती है।
देश में 2.5 करोड़ वेंडर हैं संख्या
एक
अनुमान
के
मुताबिक
देश
में
2.5
करोड़
वेंडर
हैं।
इनमें
लगभग
एक
तिहाई
स्ट्रीट
फूड
से
जुड़े
हुए
हैं।
इनके
माध्यम
से
लगभग
दो
करोड़
लोगों
को
रोजगार
प्रत्यक्ष
तौर
पर
जुड़ा
हुआ
है।
कोरोना
संक्रमण
को
ध्यान
में
रखते
हुए
अगर
इनको
अनुमति
मिलती
है,
तो
इससे
इनके
रोजगार
की
समस्या
का
भी
समाधान
होगा।
प्रत्येक दिन अपने कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करनी होगी
गौरतलब है कि एसोसिएशन ने वेंडर्स को ट्रेनिंग देने और अन्य जानकारियां देने के लिए जूम एप पर ऑनलाइन बैठक की इससे संबंधित तरीकों का विश्लेषण किया। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से इस पर विचार करने के लिए कहा गया है। केंद्र से अनुमति मिलने के बाद इस पर काम पूरा कर लिया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाली कंपनियों की बात है, सभी कंपनियों को प्रत्येक दिन अपने कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करनी होगी।उनका बुखार, कफ या श्वास लेने की परेशानी को रोजाना कंपनी के स्तर पर ही चेक किया जाएगा जिससे कोरोना संक्रमण फैलने की कोई गुंजाइश न रहे।
जानिए क्या लॉकडाउन में सचमुच असम में हो गई हैं नमक की किल्लत