BRO की तरह अब Naval Base पर हो रही है चीन की नकेल कसने की तैयारी
नई दिल्ली- भारत सरकार ने बोर्डर रोड ऑर्गेनाइजेश को अपनी जरूरतों के मुताबिक उपकरण वगैरह खरीदने का पावर क्या दिया, उसने तीन वर्षों में ही चीन से सटे एलएसी के पास भारतीय इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर का कायाकल्प कर दिया। अभी लद्दाख में बीआरओ जितने भी काम कर रहा है, उससे चीन बुरी तरह से परेशान है। गलवान की घटना भी बीआरओ के काम के चलते ही हुआ है, जो चीन को फूटी आंखों भी नहीं सुहा रहा है। क्योंकि, चीन ने तो वर्षों से तिब्बत पर कब्जा किए इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया हुआ है। लेकिन, एलएसी की तरह अब पहाड़ के बाद भारत समंदर में भी उसकी दुखती रग पर हाथ रख चुका है। दरअसल, दक्षिण चीन सागर पर कृत्रिम द्वीप बनाकर चीन ने इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कई काम किए हैं। उसी में उसका एक बहुत बड़ा नेवल बेस भी है, जो भारत के लिए चुनौती बना हुआ है। अब भारत भी विशाखापत्तनम में चीन को उसी के अंदाज में जवाब देने के लिए अपनी तैयारियां कर रहा है, जिससे कि ड्रैगन की नौसेना पर भी भारतीय नेवी तरीके से नजर रख सकेगी।
एलएसी के बाद अब समंदर की तैयारी
झारखंड सरकार अब मजदूर उबलब्ध करवाने को लेकर लार्सन एंड टुब्रो के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर कर रही है। कोरोना वायरस-लॉकडाउन के दौरान झारखंड सरकार का राज्य से मजदूरों को देश की सामरिक महत्त्व की जरूरतों को पूरा करने के लिए भेजने का यह दूसरा महत्वपूर्ण करार है। हाल ही में झारखंड सरकार ने ठीक ऐसा ही एक करार बोर्डर रोड ऑर्गेनाइजेश (बीआरओ) के साथ किया था, जिसके तहत प्रदेश से 1,648 मजदूरों को विशेष लाभों और सुरक्षा के साथ सीमावर्ती इलाकों में भेजा गया था। गौरतलब है कि बीआरओ लद्दाख में एलएसी के पास इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में लगा हुआ है और उसी के लिए उसे कामगारों की आवश्यकता थी। ईटी में छपी जानकारी क मुताबिक लार्सन एंड टुब्रो कंपनी की ओर से राज्य सरकार को एक खत भेजा गया है जिसमें कोरोना-लॉकडाउन की वजह से मजदूरों की किल्लत की बात की गई है। इस खत में विशाखापत्तनम में एक प्रोजेक्ट के लिए करीब 3,000 कामगारों की जरूरत बताई गई है। बता दें कि विशाखापत्तनम में कंपनी भारतीय नौसेना के पनडुब्बी से जुड़ी एक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए काम कर रही है।
विशाखापत्तनम में बन रहा है नेवल अल्टरनेटिव ऑपरेटिंग बेस
दरअसल, विशाखापत्तनम के पास लार्सन एंड डुब्रो पिछले कुछ वर्षों से अपने आप में बहुत ही खास नेवल अल्टरनेटिव ऑपरेटिंग बेस (NAOB) पर काम कर रही है। यह नेवल बेस नौसेना के दर्जनों जहाजों खासकर पनडुब्बियों को सुरक्षित रखने के लिए तैयार किया जा रहा है। भारत में इस तरह का यह पहला नेवल बेस है और इस प्रोजेक्ट को 'वर्षा' नाम दिया गया है। इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत यहां पर धरती के अंदर परमाणु पनडुब्बियों का बसेरा होगा, जिससे कि उनका पता लगा पाना एक तरह से असंभव होगा। इसी प्रोजेक्ट के लिए एल एंड टी को झारखंड के मजदूर चाहिए, ताकि उसके काम में बाधा न आए।
चाइनीज नेवल बेस पर नकेल कसने की तैयारी
बता दें कि नेवल अल्टरनेटिव ऑपरेटिंग बेस दरअसल चीन के एक ऐसे ही नेवल बेस का जवाब है, जिसका पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर उसने अपने हैनान आइलैंड पर खड़ा किया है। भारत के लिए इसकी चुनौती को स्वीकार करना इसलिए जरूरी है कि साउथ चाइना सी में मौजूद चीन का यह नेवल बेस भारत के नजदीक स्थित सबसे बड़ा नौसेना बेस है। मोदी सरकार इस प्रोजेक्ट को बहुत ही अहम मान रही है, क्योंकि यह परमाणु पणडुब्बियों समेत बाकी जंगी पनडुब्बियों के लिहाज से भी बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि मौजूदा सरकार ऐसी पनडुब्बियों की संख्या भी लगातार बढ़ाती जा रही है और समंदर में उसके सामने एक बड़ा शत्रु चीन की ही नौसेना है।
इस प्रोजेक्ट के लिए हजारों मजदूरों की जरूरत
इस प्रोजेक्ट को 31 दिसंबर,2022 तक पूरा होना है। इसके लिए करार के मुताबिक कंपनी को झारखंड से 3,000 मजदूरों की जरूरत है। जानकारी के मुताबिक झारखंड सरकार ने इसके लिए जो एमओयू तैयार किया है, उसपर आने वाले दिनों में दोनों पक्षों के हस्ताक्षर हो सकते हैं। राज्य सरकार ने कंपनी से कहा है कि वह खुद को इंटरस्टेट माइग्रेंट वर्कमैन ऐक्ट, 1979 के तहत रजिस्टर्ड करा ले।