LIC का IPO जारी करने के विरोध में कर्मचारी 24 अगस्त से शुरू करेंगे बड़ा प्रदर्शन
लखनऊ। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में जिस तरह से एक-एक करके सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है उसके खिलाफ देशभर के ट्रेड यूनियन के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस बीच देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम को बचाने के लिए कंपनी के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एलआईसी कर्मचारियों का देश का सबसे बड़ा संगठन AIIEA जो कि 85% से अधिक बीमा कर्मचारियों का नेतृत्व करता है उसने एलआईसी को बचाने की मुहिम छेड़ रखी है।

24 अगस्त से 30 अगस्त तक कर्मचारी सरकार के खिलाफ खोलेंगे मोर्चा
कर्मचारी संगठन 24 अगस्त से 30 अगस्त पूरे उत्तर मध्य क्षेत्र में पोस्टर, बैनर और सोशल मीडिया और मीडिया पर सरकार के फैसले का विरोध करेगा। साथ ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सभी 12 मंडल इकाईयों के अंतर्गत प्रत्येक मंडलीय इकाई से समाज के 100 प्रमुख हस्तियों/प्रोफ़ेसेर/अर्थशास्त्री इत्यादि लोगों के माध्यम से सरकार के निर्णय के खिलाफ सरकार को ज्ञापन सौंपेगा। पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सभी दलों के प्रदेश अध्यक्षों/सचिवों व सांसदों/विधायकों को इस आर्थिक रूप से प्रतिगामी व आर्थिक संप्रभुता के ख़िलाफ़ किए जा रहे LIC-IPO के सरकार के प्रयासों के ख़िलाफ़ ज्ञापन दिए जाएंगे ।
एलआईसी ने संकट के समय सरकार का साथ दिया
AIIEA की लखनऊ मंडल की क्षेत्रीय इकाई NCZIEF ने भी सरकार द्वारा LIC के IPO जारी करने के फैसले का विरोध किया है और इस अतार्किक बताया है। कर्मचारी यूनियन ने इस फैसले को अतार्किक बताया है इसके खिलाफ देशभर में आंदोलन का आह्वाहन किया है। आगामी दिनों में कर्मचारी संगठन पूरे उत्तर मध्य क्षेत्र (उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड) में आंदोलन को रफ्तार देगी। बीमा कर्मचारी संघ लखनऊ डिवीजन आलोक तिवारी का कहना है कि 1956 में LIC के निर्माण से लेकर वित्तीय वर्ष 2019-2020 तक के आंकड़े देखें तो 1956 में सरकार द्वारा लगायी गई करोड़ की प्रारंभिक पूंजी के साथ एलआईसी की शुरुआत की गई थी। वर्ष 2020 तक एलआईसी ने कुल 26,000 करोड़ रुपए का डिवीडेंड सरकार को सौंपा है, इसके अतिरिक्त इतने वर्षों में भारत सरकार को पंचवर्षीय योजनाओं हेतु हज़ारों करोड़ रुपए का सहयोग किया है। 2017-2022 तक की पंचवर्षीय योजना में LIC अभी तक भारत सरकार को लगभग 15 लाख करोड़ रुपए से अधिक का योगदान कर चुकी हैं।

कोरोना काल में भी एलआईसी ने दिया जबरदस्त मुनाफा
कर्मचारी संगठन का कहना है कि ऐसे समय में जब 2019-2020 के दौरान भारत की GDP पिछले 11 वर्षों में न्यूनतम 4.2% रही ( कोरोना संकट के पूर्व), उस दौर में भी LIC ने अपने व्यवसाय में उत्कृष्ट वृद्धि के माध्यम से अपनी प्रथम प्रीमियम आय में 25% से अधिक की वृद्धि दर्ज करते हुए 1,77,000 करोड़ रुपए से अधिक की प्रीमियम आय अर्जित की और समूह बीमा में 40% से अधिक की वृद्धि दर के साथ 1,25,000 करोड़ रुपए से अधिक की प्रीमियम आय अर्जित की और 23 निजी बीमा कंपनियों की उपस्थिति के बावजूद कुल पॉलिसी में 75% मार्केट शेयर और प्रीमियम में लगभग 70% मार्केट शेयर पर अपना कब्जा बनाया हुआ है। यही नहीं LIC का क्लेम सेटलमेंट 98-99% के बीच बना हुआ है जो विश्व में श्रेष्ठतम हैं और LIC ने कोरोना संकट के दौरान भी निर्बाध रूप से पॉलिसी धारकों को अपनी श्रेष्ठतम सेवाएं दी हैं। इन सब के बावजदू अंतरराष्ट्रीय पूंजी और पूंजीपति घरानों के दबाव में सरकार LIC के IPO हेतु फाइनेंशियल एडवाइजर्स की नियुक्ति हेतु आगे बढ़ रही है जो एक अदूरदर्शी और गैरत तार्किक निर्णय है।
पिछले कई दिनों से कर्मचारी कर रहे हैं सांकेतिक प्रदर्शन
सरकार के फैसले का विरोध करते हुए संगठन ने फैसला लिया है कि 9 अगस्त 2020 को अंग्रेज़ो भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगाँठ के अवसर पर LIC कर्मचारियों ने LIC के IPO की कोशिशों के खिलाफ़ और सरकार द्वारा पब्लिक सेक्टर के विनिवेश,श्रम क़ानूनों में परिवर्तन और आपदा में अवसर के नाम पर विदेशी पूंजी को देश के उद्योगों और संसाधनों को सौंप देने की सरकार की नीति के ख़िलाफ़ अपने अपने घरों पर अपने परिवारों के साथ Save LIC, Save India, Save PSU दिवस के रूप में मनाते हुए, सरकार को सही रास्ता दिखाने हेतु दिए जलाकर, अपनी माँग को प्लेकार्ड के माध्यम से अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज कराया।