8 राज्यों में 'अल्पसंख्यक' हुए हिंदू, भाजपा सरकार ने झाड़ा पल्ला
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नई दिल्ली: देश के 8 राज्यों में हिंदुओं को 'अल्पसंख्यक' घोषित करने की मांग पर 2019 के चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार कतरा रही है। सरकार ने अब ये जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी है। इन 8 राज्यों में 5 राज्य ऐसे हैं, जहां पर भाजपा या भाजपा गठबंधन की सरकारें हैं। वहीं, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मंत्रालय को कुछ संगठनों से इस संबंध में आवेदन आये थे। उन्होंने बताया कि केंद्र किसी समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक घोषित करता है, राज्य के स्तर पर नहीं। वहीं, सूत्रों ने बताया कि ऐसा करने से अल्पसंख्यक दर्जे की मांग करने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ सकती है।
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8 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग
ये मामला तब उठा जब दिल्ली के बीजेपी प्रवक्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका देकर 8 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनको इस मामले में अल्पसंख्यक आयोग जाने की सलाह दी थी। इसके बाद इस मामले को अश्विनी उपाध्याय ने अल्पसंख्यक आयोग के सामने उठाया। अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन गैरुल हसन रिजवी ने कहा कि अश्विनी उपाध्याय द्वारा उठाए गए मामले के बाद तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। जॉर्ज कुरियन द्वारा इसको हेड किया जा रहा है और सुलेखा कुंबरे के साथ मंजीत सिंह राय इसके सदस्य हैं। हालांकि कमेटी ने रिपोर्ट तैयार कर ली है लेकिन इसको सौंपा नहीं गया है। रिजवी ने बताया कि इस साल के अंत तक इसे सरकार के सामने पेश कर दिया जाएगा।
केंद्र बरत रहा सतर्कता
रिजवी ने कहा कि जब तक राज्य सरकार पहल न करें, केंद्र इस मामले में कुछ नहीं कर सकता है। राज्य सरकार अगर ये प्रस्ताव भेंजे तो हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने पर कुछ फैसला हो सकता है। वहीं, सरकार भी लोकसभा चुनावों को देखते हुए, सतर्कता बरत रही है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार ने लिंगायतों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की है। ये केंद्र पर निर्भर पर करता है कि वो लिंगायतों को अल्पसंख्यक का दर्जा देते हैं या नहीं।
अश्विनी उपाध्याय ने की थी मांग
जबकि बीजेपी प्रवक्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में पंजाब के टीएमए पाई केस में माइनॉरिटी पर ही सवाल उठाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि देश में राज्यों का विभाजन भाषा के आधार पर हुआ है, न कि धर्म के आधार पर। इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा देने की बजाय राज्य स्तर पर ही अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए। इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा देने की बजाय राज्य स्तर पर ही अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए।
अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा था कि जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं की आबादी 28.44 फीसदी, पंजाब में 38 फीसदी, मिजोरम में 2.75, नागालैंड में 8.75, मेघालय में 11.53, अरुणाचल में 29.04 फीसदी, मणिपुर में 41.39 और लक्षद्वीप में 2.77 फीसदी है। महाराष्ट्र जेव को अल्पसंख्यक का दर्जा देना चाहता है। उसी प्रकार कर्नाटक सरकार लिंगायतों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग कर रही है।
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