बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस में फूट टीएमसी के लिए साबित हो सकता है जीत का मंत्र
नई दिल्ली। भाजपा के खिलाफ विपक्ष के महागठबंधन को एक और बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस ने लेफ्ट फ्रंट के साथ पश्चिम बंगाल में गठबंधन को खत्म कर दिया है। ऐसे में बंगाल का चुनाव अब चौतरफा हो गया है। जिसका सीधा फायदा ममता बनर्जी की पार्टी तृणममूल कांग्रेस और भाजपा को हो सकता है। कांग्रेस के इस फैसले के बाद प्रदेश में बंटने वाले वोट बैंक का लाभ टीएमसी को हो सकता है। टीएमसी के आंकड़ों पर नजर डालें तो पार्टी आसानी से 20 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। जबकि 20 सीटों पर तकरीबन एक दर्जन उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर होगी। जिसमे मुख्य रूप से अलीपुरदुरास, बीरभूमि, जलपाईगुड़ी और डायमंड हार्बर हैं।
भाजपा को मिल सकता है लाभ
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को दो सीटों पर जीत मिली थी, ऐसे में पार्टी यहां अधिक सीटें जीतने की कोशिश में जुटी है। स्थानीय चुनाव में मिली जीत के बाद भाजपा की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। ऐसे में जिस तरह से विपक्ष एकजुट होने में विफल रहा है उसका लाभ भाजपा को हो सकता है। आंकड़ों की मानें तो भाजपा को यहां 5-6 सीटों पर जीत मिल सकती है। पिछले कुछ वर्षों में एक तरफ जहां ममता बनर्जी विपक्ष को एकजुट लाने की कोशिश में जुटी थीं तो वहीं पश्चिम बंगाल में वह कांग्रेस और टीएमसी को दरकिनार करने की कोशिश में भी जुटी हैं।
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क्या कहते हैं 2014 के आंकड़े
पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो टीएमसी ने कुल 42 में से 34 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि 3 सीटों पर वह रनर अप रही थी और तीन सीटों पर वह तीसरे स्थान पर रही थी। वहीं भाजपा ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी, 3 सीट पर वह दूसरे पायदान पर रही थी और 30 सीटों पर वह तीसरे पायदान पर रही थी। सीपीएम ने भी 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी, दो पर वह उपविजेता रही थी, लेकिन सिर्फ 2 ही सीटों पर वह तीसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस की बात करें तो पार्टी ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी, 2 सीट पर दूसरे पायदान पर रही थी और 2 सीटों पर तीसरे पायदान पर रही थी।
17 सीटों पर हार महज 10 फीसदी के अंतर से
पिछले चुनाव के इन आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा प्रदेश में अहम विपक्षी दल के रूप में सामने आई थी। लिहाजा उत्तर प्रदेश के बाद भाजपा पश्चिम बंगाल में बेहतर प्रदर्शन करके चौंका सकती है। आंकड़ों पर नजर डालें तो बंगाल में 17 ऐसी सीटें हैं जहां 10 फीसदी वोटों के अंतर से भाजपा चुनाव हारी है, ऐसे में इस बार बंगाल में भाजपा और टीएमसी के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है। हालांकि सीपीआई प्रदेश में कई दशकों तक सत्ता में रही लेकिन अब प्रदेश में उसकी पकड़ काफी कमजोर हो गई है।
गठबंधन टूटने से दिलचस्प हुआ मुकाबला
लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूटने की वजह से रायगंज, मुर्शीदाबाद का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है, दोनों ही सीटों पर पिछले चुनाव में सीपीआई ने चुनाव जीता था। कांग्रेस यहां पर उपविजेता थी, जीत का यहां पर अंतर सिर्फ 2 फीसदी ही था। ऐसे में अगर दोनों दल साथ आते तो उनके उम्मीदवार का जीतना लगभग तय था। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जांगीपुर से सांसद रहे थे, इस सीट पर भी कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। 2014 में यहां मुकाबला काफी करीबी था, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार जीतने में सफल रहे थे।
टीएमसी को हो सकता है फायदा
भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में 30 सीटों पर उपविजेता रही थी। लेकिन जिस तरह से लेफ्ट और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूटा है उसकी वजह से आसनसोल पर भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है, जिसे पिछले चुनाव में पार्टी ने जीता था। अगर आकंड़ों के हिसाब से इस बार भी चुनाव होते हैं तो टीएमसी को इसका फायदा हो सकता है और उसे आसानी से 22 सीटों पर जीत मिल सकती है, जबकि 8 सीटों पर टीएमसी बड़ी पार्टी के में सामने आएगी।
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