WhatsApp पर अंकुश लगाने का दांव उल्टा पड़ गया, लेबनानी PM को छोड़ना पड़ा पद!
बेंगलुरू। कभी आपने सोचा था कि मोबाइल मैसेंजिंग एप्लीकेशन व्हाट्सएप किसी प्रधानमंत्री के इस्तीफे का कारण बन सकता है। जी हां, ऐसा हुआ है। हम बात कर रहे हैं लेबनान की, जहां व्हाट्सएप मैसेंजर पर टैक्स लगाना लेबनानी प्रधानमंत्री साद हरीरी को इतना भारी पड़ गया कि उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया।
प्रधानमंत्री साद हैरी ने कुछ दिन पहले व्हाट्सएप एप्लीकेशन पर टैक्स लगाने की घोषणा की थी, जिसके विरोध में लेबनानी जनता सड़क पर उतर आई और टैक्स के विरोध में प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि लेबनानी प्रधानमंत्री को अपने फैसलों के लिए प्रधानमंत्री पद तक छोड़ना पड़ गयाा।
दरअसल, लेबनानी प्रधानमंत्री साद हरीरी ने मोबाइल मैसेंजिग एप उपयोगकर्ता से व्हाट्सएप कॉल पर 20 फीसदी टैक्स वसूलने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन लेबनानी जनता को प्रधानमंत्री साद हैरी का यह प्रस्ताव इतना बुरा लगा कि टैक्स के विरोध में लाखों लोग सेंट्रल बेरूत और अन्य शहरों में इकट्ठे होकर लेबनानी सरकार के फैसले के खिलाफ उग्र प्रदर्शन करने लगे। सड़कों पर व्हाट्सएप पर टैक्स का विरोध कर रहे लोगों का प्रदर्शन धीरे-धीरे उग्र होते गए और बाद में ऐसे हालात हो गए कि पूरे लेबनान में कर्फ्यू जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे पूरा राजनीतिक वर्ग कठघरे में खड़ा नजर आया।
कहा जा रहा है प्रधानमंत्री साद हरीरी ने मामले की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इसलिए इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि लेबनानी जनता द्वारा किया जा रहा है विरोध-प्रदर्शन लगातार उग्र होता जा रहा था। हालांकि लेबनानी जनता प्रधानमंत्री के इस्तीफे बाद भी अभी सड़कों पर ही जमी हुई है, उनकी मांग है कि दशकों से देश की सत्ता पर राज करने वाले नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जाए और देश में नए सिरे से जनकल्याणकारी योजनाए शुरू की जाएं।
हालांकि प्रधानमंत्री साद हैरी के इस्तीफे बाद लेबनान की सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन पर सामान्य प्रदर्शन में बदल गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि हरीरी की उक्त योजना को शक्तिशाली शिया संगठन हिजबुल्ला का भी समर्थन हासिल था, जिसकी लेबनान की राजनीति में बड़ी दखल है।
उल्लेखनीय है लेबनान की सत्ता में पिछले कई पीढ़ियों से सत्ता पर काबिज साद हरीरी के पिता और पूर्व लेबनानी प्रधानमंत्री रफीक हरीरी की वर्ष 2005 में हत्या कर दी गई थी। पूर्व लेबनानी प्रधानंत्री रफीक हरीरी के दूसरे बेटे साद हरीरी को वर्ष 3 नवंबर, 2016 में प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया गया था।
गत 4 नवंबर, 2017 को प्रधानमंत्री पद से पहली बार इस्तीफा दे दिया था, लेकिन लेबनानी राष्ट्रपति मिखेल ओन्स के दखल के बाद प्रधानमंत्री साद हरीरी के इस्तीफे को निलंबित कर दिया। हरीरी ने तब 4 नवंबर, 2017 को सऊदी राज्य टीवी पर आश्चर्यजनक रूप से अपने इस्तीफे की घोषणा की थी, जिसकी वजह लेबनान में ईरान-सऊदी अरब प्रॉक्सी संघर्ष के हिस्से के रूप में देखा गया।
हालांकि प्रधानमंत्री साद हरीरी को एक बार फिर 29 अक्टूबर, 2019 को इस्तीफा सौंपना पड़ा, क्योंकि व्हाट्सएप पर टैक्स लगाने के उनकी सरकार के फैसले के विरोध में जबर्दस्त विरोध-प्रदर्शन होने लगा था। विरोध प्रदर्शन का असर स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और बैंक पर देखे गए थे। विरोध इतना व्यापक था कि लेबनान के सभी प्रतिष्ठान कई दिनों तक बंद रखे गए थे। प्रदर्शनकारियों ने लेबनानी जनता को प्रधानमंत्री साद हरीरी की सरकार को एक जनविरोधी सरकार की तरह पेश किया और विरोध-प्रदर्शन में आम जनता को शामिल होने की अपनी की थी।
गौरतलब है व्हाट्सएप पर टैक्स लगाने का विरोध प्रदर्शन के खिलाफ वहां की जनता पूरी तरह से लामबंद हो चुकी है, जिससे साद हरीरी सरकार पूरी तरह से टूट गई है और उनकी मांगों के आगे झूकना पड़ गया। विरोध-प्रदर्शन का व्यापक असर ही था कि प्रधानमंत्री साद हरीरी सरकार को न केवल व्हाट्सएप पर प्रस्तावित टैक्स योजना बदलने की घोषणा करनी पड़ी बल्कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया।
वैसे, पीएम पद से इस्तीफे से पूर्व प्रधानमंत्री साद हरीरी ने टेलीविजन के माध्यम से लेबनानी जनता को संबोधित भी किया और लोगों को शांत रहने की अपील भी की, लेकिन फिर भी लेबनानी जनता शांत नहीं हुई तो साद हरीरी ने प्रधानमंत्री से इस्तीफा दे दिया।
बहरहाल, प्रधानमंत्री साद हरीरी के इस्तीफे की तात्कालिक वजह भले ही व्हाट्सएप पर हरीरी सरकार की टैक्स योजना थी, लेकिन माना जा रहा है कि लेबनानी अवाम पिछले कई पीढ़ी से लेबनान की सत्ता पर काबिज हरीरी परिवार के जनविरोधी नीतियों से परेशान थी और व्हाट्सएप पर टैक्स लगाने की योजना से लेबनानी जनता को अपना गुस्सा दिखाने का एक बड़ा जरिया मिल गया।
क्योंकि व्हाट्सएप मैसेंजर पर टैक्स लगाने की वजह से किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ जन आंदोलन उभरने कल्पनातीत बातें ही लगती है, लेकिन प्रधानमंत्री साद हरीरी के इस्तीफे से एक बात यह जरूर साफ हो गई कि व्हाट्सएप आम लोगों की जिंदगी पर कितना दखल रखता है, जिसके ऊपर अंकुश ने लेबनानी सरकार की चूलें हिला दी हैं।
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