जम्मू में पहली बार VHP के दिग्गजों की बैठक, गर्मा सकता है Article 370-35A का मुद्दा
नई दिल्ली- 28 जून से जम्मू में पहली बार विश्व हिंदू परिषद की एक बहुत बड़ी नीतिगत बैठक होने वाली है, जिसमें दुनियाभर के वीएचपी नेताओं के पहुंचने की संभावना है। देश में बदले सियासी माहौल, अमित शाह के देश के नए गृहमंत्री बनने और अमरनाथ यात्रा से ठीक पहले होने वाले इस अहम बैठक को लेकर कई तरह के सवाल उठने स्वाभाविक हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी के भारी बहुमत से दोबारा सत्ता में आने के बाद यह लगातार वीएचपी की दूसरी बड़ी बैठक होने जा रही है।
जम्मू में वीएचपी की बैठक के मायने?
इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक खबर के मुताबिक वीएचपी की इस पॉलिसी मीटिंग में परिषद के 300 के लगभग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के पहुंचने की संभावना है। 28 जून से शुरू हो रही वीएचपी के केंद्रीय प्रबंध समिति की यह बैठक चार दिनों यानी एक जुलाई तक चलेगी। खास बात ये है कि इसके अगले दिन ही पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू होनी है और माना जा रहा है कि इस बैठक में शामिल होने वाले वीएचपी के कई नेता पवित्र यात्रा में भी शामिल होंगे। बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक सोहन सोलंकी ने कहा है कि, "हमारे सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेता इस बैठक में मौजूद रहेंगे और भविष्य के कार्यों से संबंधित कुछ प्रस्ताव पास किए जाएंगे।"
आर्टिकल-370, 35ए पर पास हो सकता है प्रस्ताव?
जम्मू एवं कश्मीर से संबंधित संविधान की धारा-370 और 35ए एवं राम मंदिर जैसे विवादित मुद्दे वीएचपी के एजेंडे में हमेशा से रहे हैं। यह बैठक जम्मू में हो रही है, इसलिए धारा-370 और धारा-35ए की अहमियत बढ़ जाती है। हरिद्वार में हुए मार्ग दर्शक मंडल की बैठक में सरकार से राम मंदिर के निर्माण के लिए प्रयास तेज करने को पहले ही कहा जा चुका है। इसलिए कहा जा रहा है कि जम्मू में होने वाली बैठक में धारा-370, धारा-35ए को संविधान से हटाने के लिए प्रस्ताव पास करके सभी सांसदों तक भेजा जा सकता है। यह बैठक कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि आरएसएस के दिग्गज भैय्या जी जोशी भी यहां पहुंचने वाले हैं।
हालांकि, वीएचपी के प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने इसे एक समान्य मीटिंग बताया है। उनके मुताबिक, "साल में एक बार यह बैठक होती है और इसबार यह जम्मू में हो रही है।" उन्होंने कहा कि इसमें देश में मौजूदा राजनीतिक हालात और सालभर के एजेंडे को लेकर चर्चा होनी है।
अमित शाह के पास है कमान
बड़ी संयोग की बात ये है कि वीएचपी की ये बैठक केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के पहले सरकारी जम्मू-कश्मीर दौरे के ठीक अगले दिन से ही शुरू हो रही है। गृहमंत्री होने के नाते राज्य की कार्यकारी कमान अभी एक तरह से उन्हीं के हाथों में है। उन्होंने कार्यभार संभालते ही ये संकेत दे दिया है कि कश्मीर को लेकर उनकी सरकार की नीति अब लुंज-पुंज रहने वाली नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि वीएचपी का हर ऐक्शन सीधे तौर पर नहीं भी, तो परोक्ष तौर भी सरकार पर एक दबाव का वातावरण जरूर पैदा कर सकता है। खासकर धारा-370, धारा-35ए को लेकर, जो बीजेपी के एजेंडे में भी प्राथमिकताओं में है।
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