छत्तीसगढ़: जोगी के कांग्रेस में लौटने की अटकलें, देव बोले वो आए तो मैं पार्टी छोड़ दूंगा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में चुनाव नजदीक आते ही इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या अजीत जोगी कांग्रेस में लौट रहे हैं? राज्य में वोटों का बंटवारा रोकने के लिए क्या वे फिर से अपनी पुरानी पार्टी में विलय कर पाएंगे? ऐसी अटकलों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वैसे तो कांग्रेस में जोगी कि वापसी असंभव है लेकिन यदि ऐसा होता है तो मैं संगठन में काम नहीं कर पाउंगा। टीएस ने आगे कहा कि कांग्रेस के लिए जोगी की नीतियां हमेशा ही हानिकारक रही हैं और अब संगठन में उनके लिए कोई जगह बाकी नहीं रह गई ह
वामपंथी विचारधारा के समर्थन में कही बात
टीएस सिंहदेव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश मामले में गिरफ्तार की गई सुधा भारद्वाज के विषय में कहा कि सुधा माओवादी समर्थक नहीं हैं। उनकी विचारधारा वामपंथी हो सकती है, लेकिन उन्होंने माओवाद का कभी समर्थन नहीं किया। बाकी बातें जांच का विषय हैं।
ओपी चौधरी पर भी साधा निशाना
कुछ दिनों पहले आईएएस के पद से इस्तीफा देकर भाजपा में प्रवेश करने वाले ओपी चौधरी पर भी टीएस सिंहदेव ने निशाना साधा। उन्होंने ओपी चौधरी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में राजनीतिक दलों का संवैधानिक संस्थाओं में हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि अफसरों के अंदर राजनीतिक महत्वकांक्षा पैदा हो रही है। इन सभी बातों से तो यही लगता है कि टीएस सिंहदेव को यह को डर सताने लगा है कि अगर अजीत जोगी की कांग्रेस में वापसी हुई तो उनके पद और रुतबे पर सीधी कैंची चल सकती है।
ओपी चौधरी को भी लिया आड़े हाथों
इसके आलावा टीएस सिंहदेव ने कहा कि प्रशासनिक नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाले अफसरों के लिए ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए कि वे दो साल बाद ही चुनाव लड़ सकें। गौरतलब है कि रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी के भाजपा में प्रवेश के बाद बेहद सरल माने जाने वाले टीएस सिंहदेव कड़े बयान दे रहे हैं। चूंकि टीएस सरगुजा संभाग से आते हैं, कांग्रेस में इस संभाग की सीटें जिताने की जिम्मेदारी भी उनके पास है। ऐसे में उन्हीं के संभाग के रायगढ़ जिले से आने वाले चौधरी यदि खरसिया सीट पर भाजपा से चुनाव लड़ते हैं तो ये उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
जातीय समीकरण बनी गुस्से की मुख्य वजह
दरअसल खरसिया विधानसभा हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रही है। 1989 के बाद से अब तक खरसिया सीट पर भाजपा को जीत नहीं मिली। पहले इस सीट से मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह लड़ा करते थे। उनके बाद दिवंगत कांग्रेसी नेता व पूर्व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल इस सीट से लड़ते रहे हैं। अब इस सीट से उनके बेटे उमेश पटेल चुनाव लड़ते हैं। ऐसे में खरसिया सीट पर सेंध लगाने के लिए भाजपा को एक बड़े कद के नेता की जरूरत थी। जो कि ओपी चौधरी पर पूरी हुई। चूंकि चौधरी रायगढ़ जिले से ही आते हैं। इतना ही नहीं वे अघरिया समुदाय से भी हैं जिस जाति की खरसिया सीट में बहुलता है। वे क्षेत्र में खासे लोकप्रिय भी हैं। ऐसे में सियासी समीकरण के हिसाब से वे फिट बैठते हैं। यही वजह है कि ओपी चौधरी कांग्रेस तथा और अन्य नेताओं को खटकने लगे हैं।