LDF सरकार ने केरल हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज से लिया बदला? सिक्योरिटी हटाई
नई दिल्ली- केरल हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बी कमाल पाशा ने सीपीएम की अगुवाई वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जस्टिस पाशा ने कहा है कि केरल सरकार ने उनकी आलोचनाओं से भड़कर उनकी सिक्योरिटी अचानक छीन ली है, जबकि वो इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठनों के निशाने पर हैं। जस्टिस पाशा ने पिछले कई वर्षों से केरल सरकार और केरल पुलिस की कई मौकों पर जमकर आलोचनाएं की हैं और उनको लग रहा है कि इसी वजह उनकी सुरक्षा अचानक हटाने का फैसला किया गया है। हालांकि, सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
आलोचना की वजह से छीनी गई जस्टिस पाशा की सुरक्षा?
शनिवार को केरल हाई कोर्ट के रिटायर्ज जज जस्टिस बी कमाल पाशा की सिक्योरिटी अचानक वापस ले ली गई। जस्टिस पाशा का आरोप है कि कई मामलों को जिस तरह से एलडीएफ सरकार निपटाने में नाकाम रही है और उन्होंने उसके खिलाफ आवाज उठाई है, उसी के चलते उनकी सुरक्षा खत्म कर दी गई है। उन्होंने राज्य पुलिस एसोसिएशन का भी इसमें हाथ होने का आरोप लगाया है। जस्टिस कमाल पाशा के अनुसार उनकी निजी सुरक्षा के लिए पुलिस के चार गार्ड तैनात किए गए थे, जिन्हें सरकार ने हटा लिया है। उन्होंने दावा किया कि यह फैसला राज्य के गृह सचिव के स्तर पर शुक्रवार को किया गया। शनिवार से सुरक्षा कर्मियों ने उनकी सुरक्षा करनी बंद कर दी। जस्टिस पाशा का आरोप है कि उनके साथ राज्य सरकार ने ये बर्ताव अचानक ऐसे समय में किया है, जब वह केरल में मौजूद इस्मामिक स्टेट के आतंकियों के निशाने पर हैं।
इस्लामिक स्टेट के निशाने पर रहे हैं जस्टिस पाशा
पाशा ने कहा है कि उन्हें हथियारों से लैस पुलिस सुरक्षा तब मुहैया कराई गई थी, जब जांच एजेंसियों ने 2016 में कनकमाला आईएस आतंकी मॉड्यूल केस में गिरफ्तार लोगों से पूछताछ के बाद बताया था कि वे उनके निशाने पर थे। उनका आरोप है कि सरकार की कई नीतियों के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई है, जिसमें हाल ही में अट्टाप्पाडी में चार माओवादियों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने का मामला भी शामिल है। उन्होंने कहा कि "मैंने कोझिकोड से अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन ऐक्ट (यूएपीए) के तहत दो छात्रों की गिरफ्तारी की भी आलोचना की थी।" उनके अनुसार 2017 में पलक्कड में दो नाबालिक बहनों के साथ यौन प्रताड़ना और हत्या के मामले को अंजाम तक पहुंचाने में पुलिस जिस तरह से नाकाम रही थी, उन्होंने उसपर भी सवाल उठाए थे, जिसके चलते आरोपी बरी हो गए थे।
जस्टिस पाशा का सम्मान करते हैं- पुलिस
पाशा को लगता है कि इन मामलों को लेकर पुलिस एसोसिएशन भी उनसे नाराज है और इसी वजह से उनकी सुरक्षा वापस ली जा सकती है। हालांकि, पुलिस एसोसिएशन ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। एसोसिएशन का कहना है कि गृह सचिव के स्तर पर सुरक्षा कमिटी की ओर से रिव्यू के बाद वापस ली गई सुरक्षा में उसकी कोई भूमिका नहीं है। केरल पुलिस एसोसिएशन के महासचिव सीआर बिजू ने बताया, 'हम जस्टिस कमाल पाशा का सम्मान करते हैं। हम अक्सर उन्हें अपने सम्मेलनों में बुलाते हैं। हमें हमारे खिलाफ उनकी आलोचनाएं पसंद आती हैं। लेकिन, किस को सुरक्षा मिलनी चाहिए और किसकी सुरक्षा वापस होनी चाहिए, इसमें पुलिस एसोसिएशन का कोई रोल नहीं होता।' हालांकि, जस्टिस पाशा का कहना है कि उन्हें सुरक्षा हटाने की चिंता नहीं है वह समाज के दबे-कुचलों की आवाज बनकर बोलते रहेंगे।