राहुल ने शुरु की लोकसभा चुनावों की तैयारी, मुस्लिम बुद्धिजीवियों-नेताओं से की मुलाकात
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उदारवादियों के एक समूह से चाय पर चर्चा की। इस बैठक में कई कई वकीलों, इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों के आलावा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी मौजूद रहे। दो घंटे चली इस मुलाकात में राहुल ने एक ओर जहां मुस्लिम बुद्धिजीवियों के विचार सुने, वहीं वह सरकार पर हमला करने से नहीं चूके। राहुल ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए लोगों के गुस्से को धार्मिक उन्माद में बदलने का काम कर रही है।
बैठक में राहुल ने माना कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रही, जिसकी वजह से हम हारें। बैठक में राहुल ने कहा, 'हमसे भी गलतियां हुई हैं, हम देश की उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाए, इसी वजह से हम हारे।'
ज्यादातर बुद्धिजीवियों का मानना था कि देश के लगभग 96 फीसदी मुसलमानों के भी वहीं मुद्दे हैं, जो इस देश के आम लोगों के लिए मुद्दे हैं। मसलन महंगाई, शिक्षा, रोजगार आदि। केवल चार फीसदी मुसलमान ही तीन तलाक जैसे मुद्दों से प्रभावित होते हैं और बीजेपी उसी का फायदा उठाती रही है।
राहुल गांधी से मुलााकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सलमान खुर्शीद ने कहा कि, आज राहुल गांधी से कई वकीलों, इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों ने मुलाकात की और उनसे पब्लिक पॉलिसी पर चर्चा की। इन लोगों ने राहुल गांधी को फीडबैक भी दिया। उम्मीद है कि आगे भी ऐसी बातचीत होती रहेगी।
बताया जा रहा है कि, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और इसी साल 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी तैयारी शुरू कर दी है। राहुल गांधी की कोशिश है कि मुस्लिम उदारवादी लोगों से मिलकर आने वाले चुनाव में ध्रुवीकरण की राजनीति को रोका जाए।
राहुल गांधी की इस बैठक का आयोजन कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने किया था। बैठक में कांग्रेस के नेताओं के बजाय उदारवादी बुद्धिजीवी और विद्वान मुसलमानों को बुलाया गया था। इस बैठक में 15 लोगों का डेलीगेशन हिस्सा लिया। जिसमें जोया हसन, शबनम हाशमी ,जेड.के. फैजान, सैयद हामिद, सहित कई मुस्लिम सोशल वर्कर शामिल हुए।
कांग्रेस दूसरे चरण की मुलाकात के लिए जाने माने लेखक जावेद अख्तर, अख्तर शबाना, आजमी मुनव्वर हसन के अलावा कई वरिष्ठ पत्रकारों को निमंत्रण भेजा गया है। दरअसल एंटोनी कमेटी की रिपोर्ट कहा गया था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रो मुस्लिम छवि की वजह से कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचा था। लिहाजा आज के दौर में कांग्रेस ऐसा कोई संदेश नहीं देना चाहती है जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ध्रुवीकरण की राजनीति कर सके।