कानून मंत्री ने CJI दीपक मिश्रा को पत्र लिखकर मांगा उत्तराधिकारी का नाम
नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) दीपक मिश्रा से कहा है कि वह अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करें। कानून मंत्री द्वारा सीजेआई को यह पत्र भेजे जाने के साथ ही शीर्ष अदालत में नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हो गई। न्यायमूर्ति मिश्रा दो अक्टूबर को सेवानिवृत होने वाले हैं। कानून मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि हाल में सीजेआई को पत्र भेजा गया। उच्च न्यायपालिका के सदस्यों की नियुक्ति को निर्देशित करनेवाले प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) के मुताबिक, 'भारत के प्रधान न्यायाधीश के पद पर इस पद के लिए उपयुक्त समझे जानेवाले उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश की नियुक्ति की जानी चाहिए।'
एमओपी में कहा गया है कि किसी उचित समय पर कानून मंत्री निवर्तमान सीजेआई से अगले सीजेआई की नियुक्ति के बाबत सिफारिश करने की मांग करेंगे। इस प्रक्रिया के तहत, सीजेआई की सिफारिश प्राप्त होने के बाद कानून मंत्री इसे प्रधानमंत्री के समक्ष पेश करते हैं, जो नियुक्ति के मामले में राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।
कैसे नियुक्त होता है सीजेआई
भारत के संविधान में इस बात का ब्योरा नहीं मिलता है कि देश के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कैसे की जानी चाहिए या कैसे की जा सकती है। अनुच्छेद 124 (1) कहता है कि भारत का एक सुप्रीम कोर्ट होगा, जिसमें भारत का एक मुख्य न्यायाधीश होगा। लेकिन इस अनुच्छेद में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की योग्यता और उसकी नियुक्ति क्या होगी इसपर कोई विस्तार से चर्चा नहीं की गई है। वहीं अनुच्छेद 126 में कार्यकारी सीजेआई की नियुक्ति के बारे में जिक्र जरूर मिलता है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की नियुक्ति को लेकर संवैधानिक प्रावधान न होने की वजह से ही सर्वोच्च पद की नियुक्ति के लिए अभी तक पिछली परंपराओं का सहारा ही लिया जा रहा है। जिसके तहत जब मौजूदा सीजेआई रिटायर होंगे (सुप्रीम कोर्ट के सभी जज 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं), तो सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज बतौर मुख्य न्यायाधीश उनकी जगह लेंगे। यहां पर मुख्य न्यायाधीश का चयन उनकी उम्र से नहीं बल्कि इस बात से तय किया जाता है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज कब नियुक्त किया गया। लेकिन इसमें सबसे रोचक तथ्य यह है कि वही जज सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश होगा जो लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में है, वो उतना ही वरिष्ठ माना जाता है।