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आतंकवाद को छोड़कर बाकी अपराधों में फांसी की सजा नहीं, विधि आयोग की सिफारिश

साल 2015 में 20 वें विधि आयोग की ओर से 262 वीं रिपोर्ट में फांसी की सजा को खत्म करने की सिफारिश की गई है।

By Rizwan
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नई दिल्ली। विधि आयोग ने सिफारिश की है कि फांसी की सजा को आंतकवाद से जुड़ी घटनाओं को छोड़कर बाकी जुर्मों के लिए खत्म कर दी जानी चाहिए।

सरकार ने कहा- कानून आयोग की सिफारिश, सिर्फ आतंकवाद के लिए ही हो फांसी की सजा का प्रावधान

यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहिर ने राज्यसभा में दी। हंसराज ने कहा कि कानून आयोग ने अपनी 262वीं रिपोर्ट में सिफारिश की है कि आतंकवाद और युद्ध छेड़ने के अलावा बाकी सभी अपराधों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान खत्म कर देना चाहिए।

एक लिखित सवाल के जवाब में हंसराज ने कहा कि जैसा कि आपराधिक कानून और आपराधिक प्रक्रिया संविधान की 7 वीं अनुसूची की समवर्ती सूची में हैं, उसकी रिपोर्ट सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास उनकी राय जानने के लिए भेज दी गई है।

बता दें कि साल 2015 में 20वें विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि आतंकवाद को छोड़कर बाकी अपराधों में फांसी की सजा खत्म कर दी जाए। 2015 में दी गई रिपोर्ट में नौ सदस्यीय विधि आयोग की सिफारिश हालांकि सर्वसम्मत नहीं थी।

आयोग के एक पूर्णकालिक सदस्य और दो सरकारी प्रतिनिधियों ने इससे असहमति जताई थी और मौत की सजा को बरकरार रखने का समर्थन किया था। अपनी अंतिम रिपोर्ट में 20वें विधि आयोग ने कहा था कि इस बात पर चर्चा करने की आवश्यकता है कि कैसे बेहद निकट भविष्य में यथाशीघ्र सभी क्षेत्रों में मौत की सजा को खत्म किया जाए।

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English summary
Law Commission recommended abolition of death penalty: Govt
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