तो अब देश में निर्भया के दोषियों को नहीं होगी फांसी?
नई
दिल्ली।
देश
के
लॉ
कमीशन
यानी
विधि
आयोग
का
कहना
है
कि
देश
में
मौत
की
सजा
को
खत्म
किया
जाना
चाहिए
और
इस
दिशा
में
सही
कदम
उठालने
होंगे।
कमीशन
के
मुताबिक
देश
में
मौत
की
सजा
सिर्फ
आतंकवाद
और
राष्ट्रद्रोह
के
मामलों
में
सुनाई
जानी
चाहिए।
इस कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस एपी शाह की मानें तो कमीशन में शामिल नौ में से छह सदस्य इस बात से सहमत हैं। शाह की ओर से जानकारी दी गई है कि जो लोग असहमत है वे सरकार के प्रतिनिधि हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आंख के बदले आंख का सिद्धांत हमारे संविधान की बुनियादी भावना के खिलाफ है। बदले की भावना से न्यायिक तंत्र नहीं चल सकता।रिपोर्ट इस मुद्दे पर केंद्रित है कि भारत में मौत की सजा होनी चाहिए या नहीं।
रिपोर्ट की एक प्रति कानून मंत्री को सौंपी जाएगी, क्योंकि पैनल के प्रावधानों में किसी भी बदलाव की मांग पर संसद ही विचार करेगी। मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को फांसी दिए जाने के बाद इस पर बहस शुरू हो गई थी।
आयोग ने इस रिपोर्ट को पूरा करने के लिए समय से अधिक काम किया, क्योंकि इसका तीन साल का कार्यकाल 31 अगस्त को खत्म हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने संतोष कुमार सतीश भूषण बारियार विरुद्ध महाराष्ट्र और शंकर किसनराव खाड़े विरुद्ध महाराष्ट्र मामले में कहा था कि विधि आयोग को मौत की सजा से जुड़े विविध मतों और पहलुओं का अध्ययन करना चाहिए।
खास बात है कि देश में बढ़ते बलात्कार के मामलों में मौत की सजा की ही मांग की जाती है लेकिन कमीशन की रिपोर्ट को अगर मान लिया जाता है तो फिर इस तरह के केसेज में कभी भी मौत की सजा दोषियों को नहीं मिल पाएगी।