आधार पर ताज़ा सर्वे, क्या हैं मुख्य बातें?
केंद्र सरकार की आधार योजना पिछले कुछ सालों से विवादों में घिरी है. ये सर्वे नवंबर 2017 से फरवरी 2018 के बीच किया गया था.
इसे राजस्थान, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 21 ज़िलों में लगभग 3,000 परिवारों के सैंपल के साथ आधार पर किए गए सबसे व्यापक सर्वे के रूप में देखा जा रहा है.
आधार स्कीम, 12 अंकों की एक पहचान संख्या है जिसे भारत का कोई भी निवासी हासिल कर सकता है.
भारत में 96 प्रतिशत से ज़्यादा आधार कार्ड धारक गोपनीयता को महत्व देते हैं और यह जानना चाहते हैं कि सरकार उनके डेटा के साथ क्या करेगी.
यह निष्कर्ष अमरीकी रिसर्च कंपनी आईडीसाइट के सर्वे के प्रमुख निष्कर्षों में से एक था. साथ ही 87 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो बैंकिंग और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए आधार की अनिवार्य लिंकिंग को स्वीकार करते हैं.
'सबसे व्यापक सर्वे'
केंद्र सरकार की आधार योजना पिछले कुछ सालों से विवादों में घिरी है. ये सर्वे नवंबर 2017 से फरवरी 2018 के बीच किया गया था.
इसे राजस्थान, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 21 ज़िलों में लगभग 3,000 परिवारों के सैंपल के साथ आधार पर किए गए सबसे व्यापक सर्वे के रूप में देखा जा रहा है.
आधार स्कीम, 12 अंकों की एक पहचान संख्या है जिसे भारत का कोई भी निवासी हासिल कर सकता है.
डेटा लीकेज की ख़बरों के कारण आधार योजना विवादास्पद हो गई है. ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने डर व्यक्त किया है कि सरकारी एजेंसियां निगरानी उद्देश्यों के लिए आधार डेटा का उपयोग कर सकती हैं.
कई अन्य लोगों ने इस योजना का विरोध किया है कि यह गोपनीयता के अधिकारों पर प्रहार है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नागरिकों को अपने बैंक खातों और अन्य सेवाओं को आधार संख्या से जोड़ने के लिए मजबूर कर रही है. मामला सुप्रीम कोर्ट में है.
इस रिपोर्ट के लेखक रोनाल्ड अब्राहम, आधार पर कई लोगों की गोपनीयता की चिंताओं को स्वीकार करते हैं, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि गोपनीयता पर प्रश्न चिह्न केवल आधार पर ही नहीं लगा है बल्कि अन्य डेटा सिस्टम में भी मौजूद हैं.
वो कहते हैं, "यूआईडीएआई सर्वर से अवैध तौर पर डेटा की चोरी नहीं हुई है बल्कि अन्य सर्वर से हुई है.
भारत की विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) केंद्रीय सरकार की एक एजेंसी है जो आधार योजना को लागू करने के लिए ज़िम्मेदार है.
चार अहम नतीजे
भारतीय नागरिक रोनाल्ड अब्राहम की सरकार को सलाह है कि सरकार गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए एक कड़ा क़ानून बनाए और गोपनीयता और डेटा लीक के नुकसान के डर को दूर करने के लिए एक नियामक रेगुलेटरी बॉडी की स्थापना की पहल करे.
अब्राहम के मुताबिक, सर्वेक्षण का उद्देश्य आधार योजना पर छिड़ी बहस और सरकारी नीतियों को अधिक डेटा संचालित करने में सक्षम बनाना है. उन्होंने कहा कि सर्वे के नतीजों में चार निष्कर्ष महत्वपूर्ण थे.
- आधार का कवरेज व्यापक है, लेकिन डेटा की गुणवत्ता में सुधार लाने की ज़रूरत है. रिपोर्ट में पाया गया कि आधार में ग़लतियाँ लगभग 9 प्रतिशत तक पहुंच गई हैं जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली या पीडीएस के त्रुटि प्रतिशत से 1.5 प्रतिशत अधिक है.
- आधार से संबंधित ग़लतियों के कारण राशनिंग (पीडीएस) से मना करने के मामलों की संख्या महत्वपूर्ण है, लेकिन यह ग़ैर-आधार फैक्टर से प्रभावित मामलों से कम है.
- 96 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों को गोपनीयता का महत्व मालूम है. वे जानना चाहते थे कि सरकार उनके डेटा के साथ क्या करने जा रही है, लेकिन 87 प्रतिशत लोगों ने सरकारी सेवाओं के लिए आधार संख्या की अनिवार्यता को मंजूरी दे दी.
- आधार के एनालॉग संस्करण का (जो पेपर आईडी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है) डिजिटल संस्करणों की तुलना में बैंक खातों को खोलने में अधिक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है. 65 प्रतिशत से अधिक लोगों ने अपने आधार कार्ड का उपयोग करके अपने बैंक खाते खोले हैं.
- आईडीसाइट एक अमरीकी कंपनी है जो भारत सहित कई देशों में काम करती है, ताकि सरकारों को डेटा का उपयोग करके सूचित निर्णय लेने में मदद मिल सके. वर्तमान आधार सर्वे एक अमरीकी संगठन, ओमिदियार नेटवर्क की माली मदद से किया गया था.
- आयोजकों का कहना है कि भारत सरकार का इस ताज़ा रिपोर्ट के साथ कुछ लेना देना नहीं है. उनका कहना है कि उन्होंने भारत सरकार की यूआईडीएआई के साथ सर्वे के निष्कर्ष साझा किए हैं और अब्राहम कहते हैं कि अब यह सरकार पर निर्भर है कि वह रिपोर्ट के साथ क्या करना चाहती है.