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Super Flower Moon of 2020: जानिए भारत में कब-कहां और कैसे दिखेगा साल का आखिरी 'सुपरमून'

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नई दिल्ली। 7 मई 2020 का दिन बेहद खास है क्योंकि इस दिन आसमान में दिखेगा अद्भुत नजारा, जी हां यहां बात हो रही है साल के आखिरी 'सुपरमून' की ,अगर आपने इस बार 'सुपरमून' के नजारे को मिस किया तो आपको अगले साल का इंतजार करना होगा,क्योंकि अगला 'सुपरमून' 27 अप्रैल 2021 को दिखाई देगा,वैज्ञानिकों ने इस 'सुपरमून' को 'सुपर फ्लावर मून' नाम दिया है। 'ट्रैवल प्लस लीजर' की रिपोर्ट के मुताबिक 'सुपरमून' का ग्लोबल टाइम सुबह 6 बजकर 45 मिनट बताया जा रहा है, जिसके लिए इसे 'सुपर फ्लावर मून' नाम दिया गया है, क्योंकि यह समय फूलों के खिलने का होता है, भारतीय समयनुसार यह 'सुपरमून' आसमान में शाम को करीब सवा चार बजे दिखना शुरू हो जाएगा, रिपोर्ट के अनुसार इस बार 'सुपरमून' का रंग शुरुआत में थोड़ा गुलाबी रहेगा और फिर धीरे-धीरे ये पीला हो जाएगा।

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दो दिन दिखेगा गुलाबी चांद

दो दिन दिखेगा गुलाबी चांद

नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार 'सुपरमून' देखने के लिए लोगों को काफी समय मिलेगा, इस 'सुपरमून' को गुरुवार से लेकर अगले दिन शुक्रवार तक देखा जा सकेगा, चंद्रोदय और चंद्रास्त के वक्त 'सुपरमून' का नजारा सबसे खास होगा, भारत में धूप होने की वजह से भारतीय इस खूबसूरत नजारे को सीधे तौर पर तो नहीं देख पाएंगे लेकिन इंटरनेट के माध्यम से जरूर इस खगोलीय घटना को देखा जा सकता है, नासा अपनी साइट पर इसका लाइव प्रसारण भी करेगा।

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क्यों दिखता है चांद बड़ा?

क्यों दिखता है चांद बड़ा?

मालूम हो कि पृथ्वी की कक्षा में घूमते हुए चंद्रमा जब धरती के सबसे नजदीक आ जाता है तो उस स्थिति को 'पेरीजी' और कक्षा में जब सबसे दूर होता है तो उस स्थिति को 'अपोजी' कहते हैं, आज चांद 'पेरीजी' होगा और इस कारण वो बड़ा दिखाई देगा।

चांद का दीदार अपने-अपने चांद के साथ

चांद का दीदार अपने-अपने चांद के साथ

ये तो हुई खगोलीय बातें लेकिन साहित्य में तो चांद को सुंदरता और मोहब्बत की मिसाल माना जाता है, इसलिए आप सभी लोग चांद का दीदार अपने-अपने चांद के साथ करें तो बेहतर होगा।

कुछ खास बातें...

कुछ खास बातें...

  • चंद्रमा से आसमान नीला नहीं बल्कि काला दिखायी देता है क्योंकि वहां प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं है।
  • चंद्रमाकी कक्षीय दूरी, पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है इसीलिए आसमान में सूर्य और चन्द्रमा का आकार हमेशा एक जैसा नजर आता है। कहते हैं आज से 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी से हुई एक टक्कर के बाद चंद्रमा का जन्म हुआ था।
  • चंद्रमा एक उपग्रह है जो कि पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। विज्ञान के हिसाब से चांद पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्षण कम है इसी कारण चंद्रमा पर पहुंचने पर इंसान का वजन कम हो जाता है।
  • वजन में ये अंतर करीब 16.5 फीसदी तक होता है। यह सौर मंडल का 5वां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है चंद्रमा।
हुआ कुछ चौंकाने वाला खुलासा

हुआ कुछ चौंकाने वाला खुलासा

अपोलो अभियानों से प्राप्त कुछ तस्वीरों से पता चला था कि चांद का ज्यादातर हिस्सा रेगोलिथ से ढंका है जो एक प्रकार की धूल है, लेकिन ब्राउन यूनिवर्सिटी के ताजा अध्ययन से पता चला है कि चंद्रमा की सतह पर कुछ जगहों पर बड़े पत्थर हैं जो यह बताते हैं कि वहां कुछ दरारें बनी हैं।

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English summary
The Flower Moon will officially become full at 6:45 a.m. Thursday, but it will appear full during a span that stretches from tonight through Friday.
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