चीन से सटे अंतिम भारतीय गांव माणा में बाहरी लोगों के लिए अभी भी है 'लॉकडाउन', जानिए क्यों
नई दिल्ली- उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा से सटे भारत के अंतिम गांव माणा में अभी भी बाहरी लोगों की एंट्री बंद है। गांव के बाहर ही बैरिकेडिंग लगाई गई है और बोर्ड पर लिखा गया है कि, 'गांव में बाहरी लोगों को आने की इजाजत नहीं है।' उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत के इस अंतिम गांव से भारत-चीन सीमा करीब 55 किलोमीटर दूर है। हाल ही में उत्तर प्रदेश से गए सैलानियों के एक ग्रुप को गांव के बाहर से लौटा दिया गया। माणा गांव पवित्र बदरीनाथ धाम के पास है और यह पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। यहां अब तक एक भी कोरोना का केस नहीं आया है, लेकिन फिर भी गांव वाले अपना पर्यटन का कारोबार बंद करके भी बाहरी लोगों को आने की इजाजत नहीं देना चाहते।
उत्तर प्रदेश से स्थानीय पर्यटकों का एक समूह जब हाल ही में गांव के बाहर पहुंचा तो वहां माणा के लोगों की ओर से बैरिकेडिंग कर दी गई थी। जब पर्यटकों ने रोके जाने की वजह पूछी तो बैरिकेडिंग की रखवाली कर रहे अनिल काला ने उन्हें एक बोर्ड की ओर इशारा करके बताया कि माणा में बाहरी लोगों के आने पर पाबंदी है। लोगों ने उसे कोविड-19 निगेटिव होने की रिपोर्ट भी दिखाई, लेकिन काला ने उन्हें इस गुजारिश के साथ वापस लौटा दिया कि 'अगले साल आइए'। 'सरस्वती' नदी के किनारे बसे इस गांव के आसपास महाभारत काल से जुड़े कई महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान मौजूद हैं और जिसके चलते बदरीनाथ आने वाले तीर्थयात्री और पर्यटक इस ओर भी आते हैं। यह गांव एनएच-58 पर बदरीनाथ धीन से सिर्फ 3 किलोमीटर आगे है और कहा जाता है कि स्वर्ग जाते वक्त पांडव यहीं से होकर गुजरे थे।
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने इसी महीने की शुरुआत से पर्यटकों के लिए लॉकडाउन में ढील देने का फैसला किया है, लेकिन स्थानीय ग्राम पंचायत ने सर्वसहमति से माणा में आगे भी लॉकडाउन जारी रखने का फैसला किया है। बड़ी बात ये है कि अभी तक इस गांव का एक भी व्यक्ति कोरोना वायरस की चपेट में नहीं आया है। लेकिन, पर्यटन और थोड़े-बहुत आलू की खेती पर निर्भर रहने वाले इस गांव के लोगों (अधिकतर महिलाओं के हस्ताक्षर से) ने एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें लिखा गया है, 'सरकार ने अनलॉक-5 की घोषणा की है, लेकिन माणा गांव के लोगों ने फैसला किया है कि बाहर से आने वाले पर्यटकों को नहीं आने दिया जाएगा।' गांव के प्रधान पितांबर सिंह मोल्फा के मुताबिक, 'हमारी चिंता तब बढ़ गई जब पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती बदरीनाथ आने के कुछ दिनों बाद जांच में कोविड पॉजिटिव पाई गईं....हम इसलिए भी सावधानी बरत रहे हैं क्योंकि नजदीकी अस्पताल 3 किलोमीटर दूर बदरीनाथ में है। हमने स्थानीय अधिकारियों को जानकारी दे दी है।'
पिताबंर के मुताबिक माणा ऐतिहासिक रूप से भारत और तिब्बत के बीच प्राचीन व्यापार मार्ग का हिस्सा है। यहां से तिब्बतियों के साथ याक पर जौ, कूटू और सेंधा नमक का कारोबार होता था। लेकिन, 1962 में चीन के साथ हुई लड़ाई के बाद ये सब ठप हो गया। उन्होंने कहा कि 'पर्यटन और खेती आमदनी का मुख्य स्रोत है....लेकिन हम पर्यटकों को रोककर आर्थिक नुकसान सहने के लिए तैयार हैं, क्योंकि जिंदगी ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर हम महामारी से बच जाएंगे तो हम हमारे परिवार के लिए और कमा सकते हैं। कुछ परिवार यहां होमस्टे चलाते हैं, लेकिन उन्होंने भी अपना बिजनेस बंद कर लिया है।' आलू उगाने वाले एक किसान अमित सिंह ने कहा कि उन्होंने आलू बेचने के लिए बाहर के कुछ लोगों से संपर्क किया है, वह हफ्ते में एक बार आते हैं और थोक में आलू ले जाते हैं। लेकिन, अंदर आने से पहले उनकी गाड़ी को अच्छी तरह से सैनिटाइज किया जाता है। वहीं काला का कहना है कि जब वह पर्यटकों को रोकते हैं तो कई बार उन्हें धमकियों को भी सामना करना पड़ता है। लेकिन फिर आखिरकार समझाने-बुझाने पर वह सेल्फी लेकर लौट जाते हैं। काला खुद चाय की दुकान चलाते थे। लेकिन, अब वह गेट पर बाहरी लोगों को रोकने की ही ड्यूटी निभा रहे हैं।
उत्तराखंड पर्यटन के मुताबिक 3219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माणा गांव तिब्बत की सीमा से लगा आखिरी गांव, जो 'सरस्वती' नदी के किनारे स्थित है। यह गांव ट्रेकिंग के लिए भी काफी मशहूर है। यहां का प्राकृतिक झरना वसुंधरा भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
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