राजस्थान के बाड़मेर में जीवाश्म स्थल से बड़ी संख्या में शार्क के दांत मिले
नई दिल्ली- दिल्ली यूनिवर्सिटी के भूगर्भवैज्ञानिकों को राजस्थान के बाड़मेर जिले में बड़े पैमाने पर शार्क के जीवाश्म मिले हैं। इस जीवाश्म में कई तरह के शार्कों के दांत हैं, जो करोड़ों वर्षों से पृथ्वी के अंदर दबे पड़े हैं। राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में पहले भी इस तरह के जीवाश्म मिल चुके हैं और दिल्ली के वैज्ञानिकों का यह शोध जियोबॉयोस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। 2018 में जैसलमेर से भी बहुत बड़ी मात्रा में समुद्री जीवों के जीवाश्म मिले थे। इससे पता चलता है कि कैसे जलवायु परिवर्तन से समंदर रेगिस्तानी इलाके में परिवर्तित हो गया है। (तस्वीर सौजन्य-हिंदुस्तान टाइम्स )
कई तरह के शार्कों के जीवाश्म एक जगह मिले
राजस्थान के बाड़मेर जिले में जीवाश्म स्थल से वैज्ञानिकों को बड़ी तादाद में शार्क के दांत मिले हैं। इस खोज से वैज्ञानिकों को इसका अध्ययन करने में मदद मिलेगा कि इलाके में कैसे-कैसे जलवायु परिवर्तित होता चला गया। यह रिसर्च दिल्ली यूनिवर्सिटी के भूगर्भविज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने की है, जिसे हाल ही में जियोबॉयोस जर्नल (Geobios journal) में प्रकाशित किया गया है। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक रिसर्च की अगुआ डॉक्टर प्रियदर्शनी राजकुमारी ने कहा है, 'हमारी टीम ने बाड़मेर जिले में एक फिल्ड इंवेस्टिगेशन किया, जिसके कारण एक नए जीवाश्म स्थल का पता लगा....जिसे पद्म राव ओपन कास्ट खदान के नाम से जाना जाता है, जो बाड़मेर शहर से 40 किलोमीटर दूर है और गिराल लिग्नाइट खदान के 3 किलोमीटर दक्षिण में है।....इस जगह से कई तरह के शार्कों के जैसे Squatiscyllium nigeriensis, Ginglymostoma sokotoense और भी कई तरह के शार्क दांत मिले हैं। '
जलवायु परिवर्तन पर शोध में भी मिल सकती है मदद
शोधकर्ताओं का कहना है कि बाड़मेर जिले में मिला जीवाश्म स्थल राजस्थान के ही दूसरे जीवाश्म स्थलों से काफी अलग है। यही नहीं, यह बाड़मेर के ही दूसरे जीवाश्म स्थलों से भी अलग है। इसकी वजह वैज्ञानिकों ने ये बताया है कि शायद नई जगह पुराने जीवाश्म स्थलों से भी पुराना है। रिसर्च पेपर के मुताबिक, 'इस जीवाश्म स्थल से मिले अधिकतर शार्क के दांत मुख्य रूप से निकटवर्ती उथले समुद्री वातावरण में पाए जाते हैं......। पद्म राव खदान से मिले शार्क के जीवाश्म उस इलाके में पृथ्वी पर जमाव के दौरान के उष्णकटिबंधीय से उपोष्णकटिबंधीय जलवायु की उपस्थिति की ओर इशारा करता है। इन शार्क दांतों के अध्ययन ने हमें इस क्षेत्र में सूखे और मरुस्थलीय जलवायु परिस्थितियों की गर्म, नमी, तटीय स्थितियों से लेकर पर्यावरणीय परिवर्तनों के बारे में जानकारी मिली है।'
जैसलमेर में मिले थे 4.7 करोड़ साल पुराने जीवाश्म
इस
स्टडी
की
एक
अहम
बात
ये
है
कि
शार्क
के
जो
दांत
पद्म
राव
खदान
से
मिले
हैं,
उनमें
अफ्रीकी
क्षेत्रों
मसलन,
मोरक्को,
नाइजीरिया
और
नाइजर,
पश्चिमी
यूरोप
के
बेल्जियम,
इंग्लैंड
और
फ्रांस
के
साथ
ही
उत्तरी
अमेरिका
और
एशिया
से
बरामद
हुए
शार्क
के
जीवाश्म
से
समानता
दिखाई
पड़ती
है।
बता
दें
कि
राजस्थान
में
इस
तरह
के
जीवाश्म
की
खोज
नई
नहीं
है।
दो
साल
पहले
जैसलमेर
जिले
में
भी
वैज्ञानिकों
ने
करीब
4.7
करोड़
साल
पुराने
जीवाश्म
की
खोज
की
थी।
इसमें
आदिकालीन
व्हेल,
शार्क
के
दांत,
मगरमच्छ
के
दांत
और
कछुए
की
हड्डियों
जैसे
दुर्लभ
जीवाश्म
पाए
गए
थे
।
इससे
वहां
के
वर्तमान
रेगिस्तानी
क्षेत्र
में
इतिहास
में
समुद्री
जीवन
और
समुद्र
की
उपस्थिति
का
पता
चलता
है।
(ऊपर
की
दोनों
तस्वीरें
प्रतीकात्मक)