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भारत की जमीन पर कुछ ऐसे भरा जा सकता है हरा रंग

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ग्रेटर नोएडा। संयुक्त राष्‍ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत हर साल 10 हजर वर्ग जमीन बंजर होती जा रही है। यह मत कहियेगा कि सरकार कुछ कर नहीं रही। भारत सरकार की ओर से तमाम सारे प्रयास जारी हैं। यही नहीं ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो एंड मार्ट में आयोजित कॉप14 में भारत ने 170 देशों के बीच प्रतिबद्धता जताई है कि वो भारत की बंजर जमीनों को फिर से हरा-भरा करेगा। अब इन प्रयासों की सफलता पर कैसे परिणाम मिल सकते हैं। यह हम आपको यह बताने जा रहे हैं। क्योंकि हम आपको बतायेंगे कि इस दिशा में भारत में कितना पोटेंशियल है।

India Forest

कॉप14 में दुनिया भर में मरुस्‍थलीकरण को रोकने के लिये और हरियाली को पुन: बहाल करने के लिये क्या-क्या कदम उठाये जाने चाहिये, इस पर चर्चा हुई। इसी बीच भारत के परिप्रेक्ष्‍य में एक ऐसी रिपोर्ट आयी, जिसकी महज तस्‍वीरें देख कर ही आपको अंदाज़ा हो सकता है कि भारत की जमीन को हरा-भरा बनाना कितना जरूरी है।

भारत के वर्तमान हालात

भारत के वर्तमान हालात

रिमोट सेंसिंग तकनीक और भौगोलिक आंकड़ों को एकत्र कर ली गई इस तस्‍वीर में आप देख सकते हैं कि भारत में जमीनों के हालत कितनी खराब है।

मानवी गतिविधयों की भेंट चढ़ रहा भारत

मानवी गतिविधयों की भेंट चढ़ रहा भारत

यह जमीनों का मरुस्‍थलीकरण ही है, कि अधिकांश भारत पानी की विकट समस्‍या से जूझ रहा है। और इसके लिये पूरी तरह जलवायु जिम्‍मेदार नहीं है। हम सब इसके लिये जिम्मेदार हैं। आपस ऊपर इस तस्‍वीर में देख सकते हैं कि भारत की जमीन मनुष्‍यों की गतिविधियों की वजह से किस कदर बर्बाद हो रही है।

भारत में पानी की किल्लत

भारत में पानी की किल्लत

मरुस्‍थलीकरण और जलवायु में नकारात्मक परिवर्तन के चलते भारत किस तरह पीने के पानी से जूझ रहा है, यह इस तस्‍वीर में साफ नज़र आ रहा है। भारत के अधिकांश भागों में पानी की कमी साफ नज़र आ रही है।

कुछ इस तरह से भरा जायेगा हरा रंग

कुछ इस तरह से भरा जायेगा हरा रंग

अब हम उस तस्वीर को दिखा रहे हैं, जो तब साकार रूप लेगी, जब भारत अपने वनीकरण के संकल्प में सफल होगा। यह तस्‍वीर पर्यावरणविदों के गहन अध्‍ययन के बाद वर्ल्‍ड रिसोर्स इंस्‍टीट्यूट के द्वारा तैयार की गई है। इसमें दर्शाया गया है कि भारत में कहां कितनी हरियाली लायी जा सकती है। आप तस्‍वीर में देख सकते हैं कि पूवी भाग में घने पेड़ लगाये जा सकते हैं। जहां हरियाली का घनत्व 45 प्रतिशत से अधिक होगा। वहीं मध्‍य प्रदेश,तेलंगाना और तमिलनाडु के कुछ भागों में पेड़ों का घनत्व 25 से 45 प्रतिशत रखने का संकल्प है। जबकि कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्‍ट्र, मध्‍य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और गुजरात के अधिकांश भागों में 25 प्रतिशत से कम घनत्व होगा। हालांकि राजस्‍थान के रेगिस्तान को अलग रखा गया है।

कैसे होगा संभाव

कॉप14 में शिरकत करने आये पर्यावरणविद अशोख खोसला ने कहा कि इसके लिये वृहद स्तर पर जंगल बनाने करने होंगे। जो ज़मीनें खाली पड़ी हैं वहां की भौगोलिक स्थिति के अनुसार ऐसे पड़े लगाने की जरूरत है, जो आस-पास रहने वालों के लिये रोज़ी-रोटी का साधन बन सकें। यानी उन पेड़ों में उगने वाले फलों को बेच कर स्‍थानीय लोग पैसा कमा सकें। इन जंगलों को बनाने के लिये सबसे अधिक जरूरत पड़ेगी पानी की जो हम नहर बनाकर ला सकते हैं। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज कि जिन क्षेत्रों में जंगल का निर्माण शुरू हो, वहां गाय-भैंसों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाये। कम से कम तब तक, जबतक पेड़ 30 फुट या उससे ऊंचे नहीं हो जाते। और अंत में इस काम में आम लोगों की भागीदारी की सख्‍त जरूरत पड़ेगी।

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English summary
A big think tank had a discussion over the land degradation and desertification in COP14 at Greater Noida. Let's talk about India's potential towards aforestation.
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