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शोपियां-कैसे और क्‍यों एक आतंकी से शहीद बन गए लांस नायक नजीर अहमद वानी

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कुलगाम। रविवार को साउथ कश्मीर में सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर में छह आतंकियों को ढेर किया। इस एनकाउंटर में सेना के जवान लांस नायक नजीर अहमद वानी भी शहीद हो गए। कुलगाम के रहने वाले वानी को सोमवार से नम आंखों से श्रद्धांजलि दी गई। आपको जानकर हैरानी होगी कि वानी भी पहले आतंकवाद से जुड़े थे लेकिन फिर उनका मन बदला और वह मुख्‍यधारा से जुड़ गए। इसके बाद वानी सेना का हिस्‍सा बने और कई एनकाउंटर में अहम भूमिका अदा की। सोमवार को जब उनका शव तिरंगे में लिपटा हुआ था तो किसी को भी थोड़ी देर को यकीन नहीं हो पा रहा था। यह भी पढ़ें-सेना ने शोपियां में लिया लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या का बदला

हिंसा से हो गई थी नफरत

हिंसा से हो गई थी नफरत

वानी, कुलगाम के गांव अश्‍मुजी के रहने वाले थे। अब उनकी बहादुरी ने इस गांव को नई पहचान दी है। शुरुआत में एक आतंकी रहे नजीर अहमद वानी को हिंसा निरर्थक लगने लगी थी और इसके बाद उन्‍होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया। वानी के कॉफिन के साथ चल रहे एक सीनियर आर्मी ऑफिसर ने यह बात बताई। वानी इसके बाद काउंटर-इनसर्जेंसी ऑपरेशंस का हिस्‍सा बन गए। वानी का परिवार के हर सदस्‍य की आंखों में आंसू थे। एक ऑफिसर की ओर से कहा गया है कि वानी ने देश और राज्‍य की शांति के लिए जो बलिदान दिया, उसने उनके परिवार को एक नया सम्‍मान दिलाया है।

दी गई 21 बंदूकों की सलामी

दी गई 21 बंदूकों की सलामी

वानी के अंतिम संस्‍कार में 500 से 600 तक गांववाले मौजूद थे। वानी को 21 बंदूकों की सलामी भी दी गई। वानी का गांव कोइनमूह जैसे इलाके से घिरा हुआ है, जो आतंकी गतिविधियों का गढ़ है। गांव वाले सोमवार तड़के ही वानी के घर पर पहुंचने लगे थे। वानी ने साल 2004 में टेरिटोरियल आर्मी की 162वीं बटालियन के साथ अपना करियर शुरू किया था। एक आर्मी ऑफिसर ने कहा, 'वानी असल में एक बहादुर थे और वह आतंक-विरोधी ऑपरेशन में बहुत उत्‍साह से हिस्‍सा लेते थे। उनके इसी उत्‍साह ने साल 2007 में उन्‍हें सेना मेडल भी दिलाया । इसके बाद इसी वर्ष अगस्‍त में भी स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर भी उन्‍हें सेना मेडल से सम्‍मानित किया गया।'

दो बार हुए सेना मेडल से सम्‍मानित

दो बार हुए सेना मेडल से सम्‍मानित

आर्मी ऑफिसर ने बताया कि वानी बहादुरी की एक मिसाल थे क्‍योंकि आतंकवाद के खिलाफ उन्‍होंने हमेशा अपना योगदान दिया, खासतौर पर साउथ कश्‍मीर में। उनकी बटालियन राष्‍ट्रीय राइफल्‍स के साथ अटैच थी। आर्मी ऑफिसर ने बताया कि 38 वर्षीय वानी के साथी उन्‍हें हमेशा बहादुरी और उनके जज्‍बे के लिए याद रखेंगे जिसकी वजह से उन्‍होंने कई ऑपरेशंस को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। वानी के घर में उनकी पत्‍नी और उनके दो बच्‍चे हैं जिनकी उम्र 20 वर्ष और 18 वर्ष है।

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English summary
Lance Naik Nazir Ahmed Wani a former militant joined army and then attained martyrdom in Shopian, Jammu Kashmir.
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