कारगिल में शहीद का बेटा 20 साल बाद जब पिता की रेजीमेंट में हुआ शामिल
देहरादून। शनिवार को उत्तराखंड स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) की पासिंग आउट परेड थी। इस मौके पर देश की थल सेना को 382 नए ऑफिसर्स मिले। पासिंग आउट परेड में कुल 459 ऑफिसर्स शामिल थे जिसमें से 77 मित्र देशों के विदेशी कैडेट्स थे। इन ऑफिसर्स में एक नाम लेफ्टिनेंट हितेश सिंह का भी है। हितेश सिंह, लांस नायक बचन सिंह के बेटे हैं। बचन सिंह पहले कारगिल की जंग में तोलोलिंग की पहाड़ियों पर शहीद हो गए थे।
पिता की ही यूनिट में बेटा ऑफिसर
लेफ्टिनेंट हितेश सिंह के पिता लांस नायक बचन सिंह 2 राजपूताना राइफल्स से जुड़े थे। 12 जून 1999 को कारगिल स्थित तोलोलिंग की पहाड़ियों को दुश्मन से बचाते हुए, बचन सिंह शहीद हो गए। बेटा हितेश ठीक 20 वर्ष बाद उसी रेजीमेंट की उसी यूनिट में ऑफिसर बनकर पहुंचा है जिसने उनके पिता को एक नई पहचान दी। लांस नायक बचन सिंह, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांव पेछेंदा कालान के रहने वाले थे। सन् 1989 में वह सेना का हिस्सा बने थे। बचन सिंह के दो जुड़वा बेटे हैं जिनमें एक हितेश, इंडियन आर्मी ऑफिसर है तो एक और बेटा हेमंत कुमार है।
मेजर विवेक गुप्ता की टीम में थे बचन सिंह
लांस नायक बचन सिंह ने सेना में 10 वर्षों तक सेवा दी और आज भी उनकी यूनिट उन्हें एक अनुशासित सैनिक के तौर पर याद करती है। दिल्ली कैंट स्थित रेजीमेंटल सेंटर से बचन सिंह ने शुरुआती ट्रेनिंग ली और फिर उन्हें पोस्टिंग दी गई। बचन सिंह, मेजर विवेक गुप्ता की टीम में थे जिसे तोलोलिंग को दुश्मन से वापस लेने का जिम्मा सौंपा गया था। लांस नायक बचन सिंह और मेजर विवेक गुप्ता को तोलोलिंग के प्वाइंट 4590 को वापस हासिल करना था।
मुश्किल मिशन में भी नहीं हटे पीछे
कारगिल में बाकी मिशन की ही तरह यह भी एक मुश्किल ऑपरेशन था क्योंकि जिस जगह पर दुश्मन था, वह जगह ऊंचाई पर थी और बर्फ की वजह से काफी दिक्कतें आ रही थीं। दुश्मन जिस जगह पर था, उस जगह से उसे पूरी द्रास घाटी दिखाई दे रही थी। इसके बाद भी लांस नायक बचन सिंह और उनके साथियों ने बहादुरी से दुश्मन का मुकाबला किया। इन्होंने प्वाइंट 4590 पर पाकिस्तान की दो पोस्ट्स पर कब्जा कर दुश्मन को वहां से खदेड़ दिया।
पाक सेना की गोलीबारी में शहीद
इसके बाद यहां पाक सेना की तरफ से गोलीबारी हुई और कुछ गोलियां लांस नायक बचन सिंह को भी लगीं। उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन कुछ ही मिनटों बाद वह शहीद हो गए। बचन सिंह की पत्नी और लेफ्टिनेंट हितेश की कामेश बाला को आज अपने बेटे पर गर्व है। 19 वर्ष बाद उनका बेटा, उनके पति की रेजीमेंट में ऑफिसर बनकर वापस लौट रहा है। लेफ्टिनेंट हितेश को उम्मीद है कि वह अपने पिता की उसी विरासत को आगे बढ़ाएंगे जो वह छोड़कर गए हैं।