लालू यादव को दहेज में मिले थे तीन हजार रुपए और एक जर्सी गाय
लालू यादव की शादी उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वांइट है। शादी से पहले उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन इसके बाद उनकी किस्मत का सितारा बुलंदियों पर पहुंच गया। एक बार उन्होंने कहा था कि राबड़ी देवी उनके लिए लकी हैं। शादी के चार साल बाद ही वे सांसद बन गये थे। इसके बाद वे राजनीति में नये मुकाम तय करते रहे। अभी वे जेल में हैं। फिर भी वे बिहार और देश की राजनीति की बड़ी शख्सियत हैं।
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नौकरी मिली तो शादी के लिए अगुआ आने लगे
पटना के वरिष्ठ पत्रकार इंद्रभूषण से चार साल पहले हुई बातचीत में लालू यादव ने अपने जीवन के कई अनछुए पहलू को उजागर किया था। 1965 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा दी थी। पांच नम्बर उनका सेकेंड डिविजन छूट गया। थर्ड डिविजन से मैट्रिक पास होने के बाद लालू ने पटना विश्वविद्यालय के बीएन कॉलेज में दाखिला लिया। शुरू में वे डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन अलजबरा ने उन्हें ऐसा उलझाया कि सांइस पढ़ने से ही तौबा कर ली। पोलिटिकल साइंस और हिस्ट्री से ग्रेजुएशन किया। बीएन कॉलेज में पढ़ाई के दौरान लालू छात्रसंघ की राजनीति में सक्रिय हुए। 1971 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में वे महासचिव चुने गये। फिर लालू को भी पटना वेटनरी कॉलेज में क्लर्क की नौकरी मिल गयी। उन्होंने पोस्ट ऑफिस में खाता खोल कर पैसा जमा करना शुरू किया। लालू को नौकरी मिल गयी तो शादी के लिए अगुआ भी आने लगे। इस बीच राबड़ी देवी से उनका विवाह तय हो गया।
लालू को दहेज में मिले थे 3000 हजार रुपये
राबड़ी देवी के पिता शिव प्रसाद चौधरी जब लालू यादव से रिश्ता तय कर रहे थे तब उनके छोटे भाई इसके खिलाफ थे। राबड़ी देवी के चाचा का कहना था कि मेरी भतीजी पक्का के घर में रहने वाली है वह शादी के बाद मिट्टी और खपड़ा के घर में कैसे रहेगी। शिव प्रसाद चौधरी ने अपने छोटे भाई को समझा बुझा कर मना लिया। 1973 में लालू यादव और राबड़ी देवी की शादी हुई। उस समय लालू की उम्र 25 साल और राबड़ी देवी की उम्र 14 साल थी। लालू यादव को दहेज में तीन हजार रुपये चढ़े थे। साथ में जर्सी गाय भी मिली थी। लालू उस समय वेटनरी कॉलेज में क्लर्क की नौकरी कर रहे थे। वेतन से बचाकर कुछ पैसे जमा किये थे। लालू ने अपने पैसे से पांच सेट सोना-चांदी के जेवर खरीदे थे। लालू पालकी में सवार हो कर शादी के लिए निकले। लेकिन इस बीच पटना में रहने वाले उनके दोस्त रंजन यादव और नागेश्वर शर्मा कार लेकर बारात में शामिल होने के लिए आ रहे थे। बीच रास्ते में लालू पालकी से उतर कर कार में सवार हुए। इस तरह कार में बैठ कर लालू की बारात दरवाजे लगी।
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लालू के लिए खुद को बदल लिया राबड़ी देवी ने
लालू से शादी के बाद राबड़ी देवी की विदाई नहीं हुई थी। उस समय शादी के कुछ साल बाद गौना होता था तब दुल्हन ससुराल आती थी। शादी के दो साल बाद 1975 में राबड़ी देवी का गौना हुआ तो उस समय देश में आपातकाल लगा हुआ था। गौना के बाद ही लालू ने राबड़ी की सूरत देखी थी। राबड़ी देवी जब लालू के फुलवरिया स्थित घर पर आयी तो उन्हें खुद को एडजस्ट करना पड़ा। बरसात के समय लालू का घर चूने लगता था। राबड़ी देवी ने नयी परिस्थितियों में जल्द ही खुद को ढाल लिया। इस बात से लालू यादव बहुत प्रभावित हुए। तब से लालू राबड़ी देवी की बहुत कद्र करते हैं। उस समय लालू यादव छात्र आंदोलन के बड़े नेता थे। वे कई बार अरेस्ट हुए। 1976 में जब उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती का जन्म हुआ तो लालू जेल के अंदर थे। लालू को मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल स्क्यूरिटी एक्ट ( MISA) के तहत गिरफ्तार किया गया था। लालू को जब जेल में बेटी हेने की सूचना मिली तो उन्होंने उनका नाम मीसा रख दिया। लालू यादव अगर राजनीति में कामयाब हुए तो इसमें राबड़ी देवी की भी अहम भूमिका है।