लालू का नीतीश पर तंज, अब कीचड़ वाले फूल में तीर घोंपो या छुपाओ, तुम्हारी मर्जी
नई दिल्ली। चारा घोटाले में दोषी लालू प्रसाद यादव जेल में बंद हैं और सजा काट रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के मद्देनजर लालू प्रसाद यादव के फेसबुक पेज से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम संदेश लिखकर तीखा हमला बोला है। लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को सुनो छोटे भाई नीतीश कहकर संबोधित किया है। फेसबुक पर लिखे पोस्ट में लालू ने नीतीश को जनता की पीठ में छुरा घोंपने वाला बताया है और कहा है कि अभ तीर का जमाना लद गया है।
उजालों से ज्यादा नफरत
लालू प्रसाद यादव ने फेसबुक पर मैसेज लिखकर है कि सुनो छोटे भाई नीतीश,ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तुम्हें आजकल उजालों से कुछ ज़्यादा ही नफ़रत सी हो गयी है। दिनभर लालू और उसकी लौ लालटेन-लालटेन का जाप करते रहते हो। तुम्हें पता है कि नहीं, लालटेन प्रकाश और रोशनी का पर्याय है। मोहब्बत और भाईचारे का प्रतीक है। ग़रीबों के जीवन से तिमिर हटाने का उपकरण है। हमने लालटेन के प्रकाश से ग़ैरबराबरी, नफ़रत, अत्याचार और अन्याय का अँधेरा दूर भगाया है और भगाते रहेंगे। तुम्हारा चिह्न तीर तो हिंसा फैलाने वाला हथियार है। मार-काट व हिंसा का पर्याय और प्रतीक है।
लालटेन की जरूरत हर समय
और हाँ जनता को लालटेन की ज़रूरत हर परिस्थिति में होती है। प्रकाश तो दिए का भी होता है। लालटेन का भी होता है और बल्ब का भी होता है। बल्ब की रोशनी से तुम बेरोज़गारी, उत्पीड़न, घृणा, अत्याचार, अन्याय और असमानता का अँधेरा नहीं हटा सकते इसके लिए मोहब्बत के साथ खुले दिल और दिमाग़ से दिया जलाना होता है। समानता, शांति, प्रेम और न्याय दिलाने के लिए ख़ुद को दिया और बाती बनना पड़ता है। समझौतों को दरकिनार कर जातिवादी, मनुवादी और नफ़रती आँधियों से उलझते व जूझते हुए ख़ुद को निरंतर जलाए रहना पड़ता है। तुम क्या जानो इन सब वैचारिक और सैद्धांतिक उसूलों को। डरकर शॉर्टकट ढूँढना और अवसर देख समझौते करना तुम्हारी बहुत पुरानी आदत रही है।
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कहां तीर-तीर किए जा रहे हो
और हाँ तुम कहाँ मिसाइल के ज़माने में तीर-तीर किए जा रहे हो? तीर का ज़माना अब लद गया । तीर अब संग्रहालय में ही दिखेगा। लालटेन तो हर जगह जलता दिखेगा और पहले से अधिक जलता हुआ मिलेगा क्योंकि 11 करोड़ ग़रीब जनता की पीठ में तुमने विश्वासघाती तीर ही ऐसे घोंपे है । बाक़ी तुम अब कीचड़ वाले फूल में तीर घोंपो या छुपाओ। तुम्हारी मर्ज़ी..
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