दोषी लालू यादव बहा रहे आंसू, राहुल का बढ़ा टेंशन
पशुपालन विभाग के करोड़ों रुपये के चारा घोटाला के इस चर्चित मामले में पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र सहित इस विभाग के मंत्रियों, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के दो अधिकारियों और अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था। उन पर झारखंड के चाइबासा जिला कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये को फर्जी तरीके से निकालने का आरोप लगा था।
अब दोषियों को तीन अक्टूबर को सजा सुनायी जायेगी कहा जा रहा है कि दोषियों को 3 से 7 साल की तक सजा हो सकती है। तो वहीं लालू के बेटे तेजस्वी ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। खैर आगे क्या होगा इस बारे में पता तो आने वाले दिनों में चल ही जायेगा।
लेकिन इस फैसले के बाद बिहार की राजनीति और लोगसभा चुनाव में अच्छा-खासा परिवर्तन आ सकता है। राजनैतिक गतिविधियों को अच्छी-तरह से समझने वाले कुछ पुरोधाओं से वनइंडिया ने बात की। बातचीत के बाद जो सार निकल कर आया है उसके मुताबिक लालू को अगर जेल होती है तो लालू को पसंद करने वाला मुस्लिम तबका या तो कांग्रेस की ओऱ जायेगा या फिर उसे नीतीश कुमार के साथ हाथ मिलाना होगा। वैसे बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है और मोदी की खिलाफत करके मुस्लिमों के हितैषी बने नीतीश कुमार को निश्चित तौर पर मुस्लिम वोटरों का फायदा होगा, जिसे कांग्रेस भी अच्छी तरह से समझती है।
तो वहीं दूसरी ओर लालू को पसंद करने वाले यादव वंशी वोट ना चाहते हुए भी भाजपा की ओर जाने को मजबूर होंगे क्योंकि नीतीश कुमार के धुर विरोधी लालू प्रसाद यादव और उनके समर्थक किसी भी हालत में जेडीयू का पलड़ा नहीं पकड़ेंगे, ऐसे मे हो सकता है कि वह भाजपा की ओर रूख करें। जिसे बहुमत मे ना बदलने की कोशिश हर हालत में कांग्रेस करेगी।
इसलिए जो समीकरण सामने बन रहे हैं उसके मुताबिक कांग्रेस को हर हालत में नीतीश कुमार की शर्तों पर उनसे हाथ मिलाना होगा। हो सकता है कि नीतीश कुमार अपने बिहार को विशेष राज्य के दर्ज की मांग को ऊपर रखकर अपनी हर बात मनवा लें जिसे कि कांग्रेस को मानना ही पड़ेगा। हो सकता है कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी अब नीतीश की ओर गिड़गिड़ायेंगे, ऐसे में नीतीश कुमार तीसरा मोर्चा का हाथ भी थाम सकते हैं, लिहाजा कहना गलत ना होगा कि आज के फैसले से राहुल का टेंशन बढ़ गया है ।
खैर यह अभी तक कयास है देखते हैं कि यह कयास कितने सही साबित होते हैं? लेकिन इतना तो तय है कि साल 2014 के चुनाव में नीतीश कुमार और बिहार की राजनीति एक महत्वपूर्ण रोल निभायेगी।