लाला लाजपत रायः जिन्होंने इस सोच के साथ स्थापना की थी पीएनबी की
28 जनवरी को भारत के स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानियों में गिने जाने वाले लाला लाजपत राय की जयंती मनाई जाती है. अंग्रेज़ों की पराधीनता से मुक्त कराने के आंदोलन में अविस्मरणीय योगदान देने के अलावा लाला लाजपत राय ने देश को आर्थिक तौर पर मज़बूती देने में भी अहम भूमिका निभाई थी. लाला लाजपत राय का वो योगदान आज भी आधुनिक भारत की अर्थव्यवस्था में अपनी भूमिका निभा रहा है.
28 जनवरी को भारत के स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानियों में गिने जाने वाले लाला लाजपत राय की जयंती मनाई जाती है. अंग्रेज़ों की पराधीनता से मुक्त कराने के आंदोलन में अविस्मरणीय योगदान देने के अलावा लाला लाजपत राय ने देश को आर्थिक तौर पर मज़बूती देने में भी अहम भूमिका निभाई थी.
लाला लाजपत राय का वो योगदान आज भी आधुनिक भारत की अर्थव्यवस्था में अपनी भूमिका निभा रहा है.
आज की तारीख़ में भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक की बुनियाद लाला लाजपत राय ने ही रखी थी.
पीएनबी की परिकल्पना एक स्वदेशी बैंक के तौर पर हुई थी. ये भारत का पहला बैंक था जिसमें पूरी तरह से भारतीयों की पूँजी लगी थी और उसका सारा दारोमदार भारतीयों के हाथ में था.
पंजाब नेशनल बैंक को 19 मई 1894 को केवल 14 शेयरधारकों और 7 निदेशकों के साथ शुरू किया गया था.
लेकिन जिस एक शख़्स ने इस बैंक की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई थी, वो हैं भारत के प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी लाल-बाल-पाल की तिकड़ी के लाला लाजपत राय.
राय मूल राज के अनुरोध पर लाला लाजपत राय ने चुनिंदा दोस्तों को एक चिट्ठी भेजी जो स्वदेशी भारतीय ज्वाइंट स्टॉक बैंक की स्थापना में पहला क़दम था. इस पर संतोषजनक प्रतिक्रिया मिली.
फ़ौरन ही काग़ज़ी कार्रवाई शुरू की गई और इंडियन कंपनी एक्ट 1882 के अधिनियम 6 के तहत 19 मई 1894 को पीएनबी की स्थापना हो गई.
बैंक का प्रॉस्पेक्टस ट्रिब्यून के साथ ही उर्दू के अख़बार-ए-आम और पैसा अख़बार में प्रकाशित किया गया.
लाहौर से हुई शुरुआत
23 मई 1894 को संस्थापकों ने पीएनबी के पहले अध्यक्ष दयाल सिंह मजीठिया के लाहौर स्थित निवास पर बैठक की और इस योजना के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लिया.
उन्होंने लाहौर के अनारकली बाज़ार में पोस्ट ऑफ़िस के सामने और प्रसिद्ध रामा ब्रदर्स स्टोर्स के पास एक घर किराए पर लेने का फ़ैसला किया.
12 अप्रैल 1895 को पंजाब के त्योहार बैसाखी से ठीक एक दिन पहले बैंक को कारोबार के लिए खोल दिया गया.
बैंक की संस्कृति क्या होगी, इसकी झलक बैंक के सभी प्रमुख लोगों की पहली ही बैठक में स्पष्ट हो गया.
14 शेयरधारकों और 7 निदेशकों ने फ़ैसला किया कि वो बहुत कम शेयर अपने हाथ में रखेंगे और बैंक पर असल हक़ सामान्य शेयरधारकों के हाथ में रहेगा.
लाला लाजपत राय, दयाल सिंह मजीठिया, लाला हरकिशन लाल, लाला लालचंद, काली प्रोसन्ना, प्रभु दयाल और लाला ढोलना दास बैंक के शुरुआती दिनों में इसके मैनेजमेंट के साथ सक्रिय तौर पर जुड़े हुए थे.
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