बाबरी पर जज पढ़ रहे थे फैसला, आडवाणी ने थाम रखा था बेटी का हाथ, वायरल हुआ वीडियो
बाबरी पर जज पढ़ रहे थे फैसला, आडवाणी ने थाम रखा था बेटी का हाथ, वायरल हुआ वीडियो
नई दिल्ली: अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई (CBI) की विशेष अदालत ने करीब 28 साल बाद लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani), कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। (Babri Demolition case verdic) छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाया गया था। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। कोर्ट ने जिन नेताओं को बरी किया है, उसमें सबसे बड़ा नाम लालकृष्ण आडवाणी का है। आडवाणी आज कोर्ट नहीं गए थे लेकिन टीवी पर उनकी निगाहें टिकी हुई थी। आडवाणी फैसले के बारे में टीवी देखते हुए लगातार अपडेट ले रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपनी बेटी प्रतिभा आडवाणी का हाथ थामा हुआ था।
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बेटी का हाथ थामे आडवाणी का वीडियो हुआ वायरल
लालकृष्ण आडवाणी (LK Advani) फैसले वाले दिन 30 सितंबर 2020 को स्वास्थ्य कारणों की वजह से कोर्ट नहीं पहुंचे थे। इसलिए उन्होंने घटना की पल-पल की अपडेट घर पर टीवी देखकर ली। जज जब सीबीआई कोर्ट में अपना फैसला पढ़ रहे थे तो लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी बेटी प्रतिभा आडवाणी का हाथ थामा हुआ था। सोशल मीडिया पर यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है।
प्रतिभा आडवाणी बुधवार को पिता लालकृष्ण आडवाणी के साथ ही थीं। जब लालकृष्ण आडवाणी फैसले के बाद मीडिया को संबोधित करने घर से बाहर निकले तब भी उनकी बेटी प्रतिभा उनके साथ ही दिखीं।
बाबरी केस पर फैसले के बाद क्या बोले लालकृष्ण आडवाणी
बाबरी केस पर फैसला आने के बाद सबको लालकृष्ण आडवाणी के बयान का इतंजार था। लाल कृष्ण आडवाणी ने अपने घर के बाहर आकर मीडिया से कहा, सीबीआई स्पेशल कोर्ट का आज (30 सितंबर 2020) का निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है, जब ये समाचार सुना तो जय श्री राम कहकर इसका स्वागत किया।
वहीं मुरली मनोहर जोशी ने कहा, फैसला इस बात को सिद्ध करता है कि 6 दिसंबर को अयोध्या में हुई घटनाओं के लिए कोई षड्यंत्र नहीं था और वो अचानक हुआ। इसके बाद विवाद समाप्त होना चाहिए और सारे देश को मिलकर भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए तत्पर होना चाहिए।
बाबरी केस में कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
CBI की विशेष अदालत ने 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार 30 सितंबर 2020 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने फैसले में कहा, ''बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी। सीबीआई ने इस मामले की वीडियो फुटेज की कैसेट पेश की, उनके दृश्य स्पष्ट नहीं थे और न ही उन कैसेट्स को सील किया गया। घटना की तस्वीरों के नेगेटिव भी अदालत में पेश नहीं किये गये।''