क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

86 के आडवाणी: वाजपेई के हमसाए, बीजेपी के मेंटर लेकिन आज बीता हुआ कल

Google Oneindia News

नई दिल्‍ली। शनिवार बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता आडवाणी ने शनिवार को अपना 86वां जन्‍मदिन मनाया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्‍हें बधाई तो दी ही साथ ही उन्‍हें पार्टी का एक अभिन्‍न अंग भी बताया। लेकिन यह भी सच्‍चाई है कि आज शायद आडवाणी पार्टी में अपनी पुरानी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

LK Adbvani celebrates his 86th bday

तलाश रहे हैं अपना वजूद

अपने रिटायरटमेंट में उन्‍होंने बीजेपी के पूर्व अध्‍यक्ष, वरिष्‍ठ राजनेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री रहे लाल कृष्‍ण आडवाणी को बीजेपी का 'राम' करार दिया था। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं और शायद अब बीजेपी का यह 'राम'

खुद अपने अस्तित्‍व को तलाशने पर मजबूर हैं। वाजपेई के रिटायरमेंट के बाद देश के प्रधानमंत्री बनने की ख्‍वाहिश रखने वाले आडवाणी आज पार्टी के मार्गदर्शक मंडल का हिस्‍सा बनकर रह गए हैं। आज पार्टी में नई लीग के नेताओं का प्रभुत्‍व है। ऐसे में आडवाणी को इस लीग के 'मार्गदर्शक' के तौर पर पार्टी में जगह दे दी गई है।

क्‍या कहा था वाजेपई ने

दिसंबर 2005 को बीजेपी के गठन के 25वीं वर्षगांठ के मौके परअटल बिहारी वाजेपई ने ऐलान किया कि अब वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस तरह से उन्‍होंने सक्रिय राजनीति से खुद को पूरी तरह से अलग कर लिया। अपने आखिरी सार्वजनिक भाषण में वाजपेई ने रामायण की कहानी लोगों को सुनाई और आडवाणी को राम तो प्रमोद महाजन को लक्ष्‍मण करार दिया।

उन्‍होंने कहा, 'अब मेरा रोल पार्टी में परशुराम की तरह हो गया है। परशुराम जो इस बात को लेकर गुस्‍सा थे कि भगवान शिव का धनुष तोड़ दिया गया है। इस बात से नाराज होकर वह बदला लेने को आतुर थे।'

वाजेपई ने आगे कहा, 'हालांकि जब परशुराम को मालूम चला कि भगवान राम का अवतार हो गया है और उन्‍होंने ने ही उनका धनुष तोड़ा है तो उनका गुस्‍सा शांत हो गया। अब लाल कृष्‍ण आडवाणी और प्रमोद महाजन पार्टी के राम और लक्ष्‍मण हैं और यह पार्टी को सही राह दिखाएंगे।'

हैरानी की बात है कि आज जहां पार्टी के लक्ष्‍मण पार्टी के साथ नहीं हैं तो पार्टी के राम पार्टी के साथ होते हुए भी ज्‍यादा सक्रिय नहीं रहे हैं।

आडवाणी ने बदला राजनीति का रंग

भले ही आडवाणी को पार्टी में वह दर्जा वर्तमान समय में हासिल न हो सका हो, जिसकी उम्‍मीद उन्‍होंने वाजपेई के रिटायरमेंट के बाद से लगा रखी थी, लेकिन यह भी हकीकत है कि आडवाणी ने 90 के दशक में भारतीय राजनीति का रंग बदल डाला था।

आज तक कोई भी आडवाणी की 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से शुरू हुर्इ रथ यात्रा को नहीं भूला सका है। यहीं से बीजेपी की एक नई पहचान लोगों के दिल में बननी शुरू हुई और आज उसका नतीजा सबके सामने हैं। राम जन्‍मभूमि मुद्दे में आडवाणी ही बीजेपी का प्रभावशाली चेहरा बनकर सामने आए थे।

विवादों से भी रहा हमेशा नाता

वर्ष 1991 में आडवाणी के साथ पहला विवाद तब जुड़ा जब कश्‍मीर में आतंकियों की गिरफ्तारी हुई। इस गिरफ्तारी में सामने आया कि इन आतंकियों को देश के बड़े राजनेताओं ने हवाला के जरिए पैसे पहुंचाए थे।

पांच राजनेताओं की इस लिस्‍ट में आडवाणी का नाम भी आ गया। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्‍हें पूरी तरह से निर्दोष करार दे दिया था।

इसके बाद जून 2005 में जब आडवाणी पाकिस्‍तान की यात्रा पर गए तो उन्‍होंने वहां पर मोहम्‍मद अली जिन्‍ना को एक धर्मनिरपेक्ष नेता के तौर पर बता डाला। उनके इस बयान पर खूब विवाद हुआ और यहां तक कि आरएसएस तक उनसे नाराज नजर आया।

Comments
English summary
Lal Krishna Advani celebrates his 86th birthday PM Modi wishes him. Advani has always been an important pillar for BJP and Indian politics.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X