फर्जी 'किसानों' ने उड़ाई पीएम किसान योजना की धज्जियां, सरकार को एक साल में 2400 करोड़ रुपए का झटका
नई दिल्ली। किसानों की आर्थिक सहायता के लिए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लॉन्च किए गए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लेकर कृषि मंत्रालय ने बड़ा खुलासा किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2018 के बाद हुए पहले सत्यापन में इस योजना का लाभ उठाने के लिए देशभर से 12 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे जिसमें से 4 फीसदी आवेदन फर्जी थे। बता दें कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में किसानों को हर साल 6 हजार रुपए तक की आर्थिक मदद दी जाती है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरुआत से ही काफी लोकप्रिय है। जानकारी के लिए बता दें कि इस योजना का लक्ष्य देश के आम किसानों की आय में वृद्धि करना है। लेकिन सरकार की इस योजना का लाभ उठाने के लिए उनके पास कई सारे फर्जी आवेदन भी आ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 के बाद किए गए लाभार्थियों के पहले वेरिफिकेशन में पता चला है कि 12 लाख में से 4 फीसदी अयोग्य, अमान्य या फर्जी आवेदन थे।
सरकार
को
एक
साल
में
2,400
करोड़
रुपए
का
नुकसान
कृषि
मंत्रालय
ने
कहा
कि
कुछ
मामलों
में
प्रमाणीकरण
प्रक्रिया
से
यह
साबित
हुआ
है
कि
जिन
लाभार्थियों
ने
योजना
के
लिए
आवेदन
नहीं
किया
था,
उन्हें
भी
इसमें
जोड़ा
गया
है।
उदाहरण
के
लिए
अगर
हम
अंतिम
किश्त
पाने
लाभार्थियों
की
संख्या
कम
से
कम
10
करोड़
भी
मानें
तो
उसमें
से
फर्जी
लोगों
की
संख्या
लगभग
40
लाख
हो
सकती
है।
यदि
प्रत्येक
लाभार्थी
को
सालाना
6,000
रुपए
मिलते
हैं
तो
पिछले
एक
साल
में
फर्जी
'किसानों'
की
वजह
से
सरकारी
खजाने
को
2,400
करोड़
रुपए
का
नुकसान
हो
सकता
है।
फर्जी
आवेदन
के
मामले
में
असम
टॉप
पर
PMKSN
साइट
से
पता
चलता
है
कि
अप्रैल-जुलाई
में
वित्त
वर्ष
2020-21
की
पहली
किस्त
में
10,45,31,343
लाभार्थियों
को
इस
योजना
का
लाभ
मिला
है।
कृषि
मंत्रालय
के
आंकड़ों
से
पता
चलता
है
कि
वेरिफिकेशन
के
लिए
12,42,926
लाभार्थियों
की
पहचान
की
गई
थी।
इनमें
से
11,84,902
योजना
के
लिए
पात्र
पाए
गए
और
50,654
'अयोग्य
या
फर्जी'
पाए
गए।
इस
लिस्ट
में
भाजपा
शासित
असम
16
फीसदी
यानी
26,019
फर्जी
आवेदन
के
साथ
सबसे
टॉप
पर
है।
असम
से
कुल
1.61
लाख
लोगों
नए
योजना
के
लिए
आवेदन
किया
था।