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5 साल के बीमार बेटे से मिलने के लिए मां ने स्कूटी से ही तय कर डाला 1800 किलोमीटर का सफर

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नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने लोगों के सब्र, प्रेम, धैर्य की बहुत बड़ी परीक्षा ली है। इस महामारी के चलते लोगों का रोजगार चला गया, आमदनी बंद हो गई, घर परिवार से दूर हो गए। लेकिन संकट के इस दौर में भी लोगों ने अपना हौसला नहीं खोया और अपनों के लिए हर उस सीमा को तोड़ दिया, जिसकी आप और हम कल्पना तक नहीं कर सकते। कोरोना के चलते लॉकडाउन की वजह से 26 वर्षीय महिला बेरोजगार हो गई। इस दौरान वह नौकरी के सिलसिले में अपने पांच साल के बेटे से दूर रह रही थीं, लेकिन बेटे के प्रेम में वह पाच दिन तक स्कूटी चलाकर उससे मिलने के लिए पुणे से जमशेदपुर पहुंच गईं।

स्कूटी से तय कर डाला 1800 किलोमीटर का सफर

स्कूटी से तय कर डाला 1800 किलोमीटर का सफर

दरअसल पुणे में कोरोना संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है, हर रोज कई लोग कोरोना की वजह से यहां मर रहे हैं और सैकड़ों लोग इस संक्रमण की चपेट में रोजाना आ रहे हैं। जिसके चलते यहां काफी लंबे समय से लॉकडाउन है। लॉकडाउन के चलते कादमा स्थित भाटिया बस्ती में रहने वाली सोनिया दास पुणे में फंस गईं। वह यहां अपने दोस्त साबिया बानो के साथ रहती थीं। अपने बेटे से मिलने के लिए सोनिया ने साबिया के साथ मिलकर स्कूटी पर 1800 किलोमीटर का सफर तय कर डाला। वह शुक्रवार को पुणे से रवाना हुईं और मुंबई होते हुए जमशेदपुर पहुंच गई।

बेटे की तबीयत खराब तो खुद को रोक नहीं सकीं

बेटे की तबीयत खराब तो खुद को रोक नहीं सकीं

दरअसल सोनिया के पति ने उन्हें बताया कि उनके बेटे को हल्का बुखार है, जिसके बाद मां ने स्कूटी से ही पुणे से जमशेदपुर तक का सफर करने का फैसला लिया और उनके इस फैसले में सोनिया की दोस्त साबिया ने उनका पूरा साथ दिया। सोनिया और साबिया स्कूटी से सवार होकर सोमवार को पुणे से जमशेदपुर के लिए रवाना हुईं और शुक्रवार को यहां पहुंची। जमशेदपुर पहुंचने के बाद दोनों का कोरोना टेस्ट हुआ। डीएसपी (मुख्यालय-2) अरविंद कुमार ने बताया कि हमने तेजी से रैपिड एंटिजेंट टेस्ट किया, जिसमे उनका रिजल्ट निगेटिव आया और हमने उन्हें घर में होम क्वारेंटीन रहने के लिए कहा है। परिवार को 30 दिन तक का राशन मुहैया करा दिया गया।

सरकार से नहीं मिली मदद

सरकार से नहीं मिली मदद

वहीं सोनिया का कहना है कि कई बार अपील करने के बाद भी महाराष्ट्र और झारखंड की सरकारों ने उनकी मदद नहीं की। मैंने कई बार ट्वीट में दोनों सरकार के प्रतिनिधियों को ट्वीट किया, पुणे से टाटानगर के बीच यात्री ट्रेन भी नहीं थी। ना ही मुंबई से टाटा नगर के बीच कोई ट्रेन थी। हमारे पास विमान से यात्रा करने के पैसे नहीं थे। सरकार से कोई मदद नहीं मिलने पर मैंने फैसला लिया कि अपनी स्कूटी से ही जमशेदपुर जाउंगी क्योंकि मैं अपने बेटे की तबीयत को लेकर काफी चिंतित थी।

10 पेट्रोल पंप, 3 ढाबे पर रूकीं

10 पेट्रोल पंप, 3 ढाबे पर रूकीं

सोनिया ने बताया कि मैं जब शुक्रवार को घर पहुंची तो मैंने अपने बेटे और परिवार के अन्य लोगों को घर की बालकनी में खड़े देखा, जिसके बाद मैं और मेरी दोस्त को टेल्को में में क्वारेंटीन कर दिया गया। बता दें कि सोनिया मुंबई में एक प्रोडक्शन हाउस में काम करती थीं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनकी नौकरी चली गई थी। जिसकी वजह से वह घर का किराया तक नहीं दे पा रही थीं। पुणे से जमशेदपुर के बीच साबिया और सोनिया 10 पेट्रोल पंप और 3 ढाबे पर रुकीं। अपनी यात्रा के दौरान इन दोनों ने कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों का भी सफर किया, हालांकि इस दौरान दोनों को किसी भी तरह की सुरक्षा की दिक्कत नहीं हुई।

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English summary
Lady travelled 1800 km from Pune to Jamshedpur on a scooty to meet her 5 year old ailing son.
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