छुट्टी का फॉर्म लेने, महिला क्लर्क को आईवी फ्लूड के साथ दफ्तर आने को किया गया मजबूर
नई दिल्ली। आजाद भारत में भी अगर एक सरकारी कर्मचारी जो अस्पताल में भर्ती है और उसे ऐसी हालत में अपनी छुट्टी के लिए फॉर्म भरने ऑफिस आना पड़े तो यह हर किसी के लिए बेहद शर्मिंदगी वाली बात है। जी हां कुछ इसी तरह का मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर से सामने आया है। जहां रेलवे में नौकरी करने वाली जूनियर महिला कर्मचारी को ऑफिस द्वारा समन किया गया और उनसे कहा गया कि वह ऑफिस आकर छुट्टी के लिए फॉर्म भरें और आवेदन करें। जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया है।

फॉर्म देने से किया मना
दरअसल सुष्मिता दास कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर रिजर्वेशन काउंटर पर क्लर्क के पद पर तैनात हैं। लेकिन तीन दिन पहले वह घायल हो गई थीं और उन्हें रेलवे के स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन भर्ती होने के बाद भी उन्हें समन करके ऑफिस बुलाया गया और छुट्टी के लिए फॉर्म भरकर आवेदन करने के लिए कहा गया। बता दें कि फेडरल स्टाफ के नियमों के अनुसार कर्मचारी को सिक मेमो यानि फॉर्म नंबर जी-92 लेने के लिए रिपोर्टिंग अधिकारी के पास जाना पड़ता है।
सुनाया तुगलकी फरमान
सुष्मिता ने अस्पताल में भर्ती होने के बाद अपने दो सहकर्मियों को चीफ रिजर्वेशन सुपरवाइजर भवानी प्रसाद के पास भेजा था, ताकि वह उनके पास से फॉर्म जी-92 ला सके। लेकिन सुष्मिता का कहना है कि उनके सहकर्मियों को यह फॉर्म नहीं दिया गया और प्रसाद उनके उपर नाराज हो गए और उन्होंने तुगलकी फरमान सुना दिया कि बीमार कर्मचारी को मेमो लेने के लिए खुद यहां आना होगा। हालांकि इसके बाद भी इन सहकर्मियों ने उनसे कहा कि वह इसपर फिर से विचार करें लेकिन प्रसाद अपने फैसले पर अडिग रहे।
आईवी ट्यूब लगाकर अस्पताल पहुंची महिला
भवानी प्रसाद की तुगलकी फरान के बाद मजबूरन बीमार सुष्मिता को ऑफिस आना पड़ा। इस दौरान सुष्मिता को आईवी ट्यूब लगी थी और उन्हें ग्लूकोज चढ़ रहा था। इस मामले के सुर्खियों में आने के बाद प्रसाद ने सफाई देते हुए कहा कि फॉर्म आलमारी में बंद था, यह डेप्युटी सीटीएम के पास थी। इसी वजह से वह तुरंत फॉर्म नहीं दे सके। बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी सिक मेमो को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।