Ladakh standoff:LAC पर चीन के साथ तनाव से रक्षा बजट में आया क्या अंतर ?
Union Budget 2021: इसबार की रक्षा बजट (Defense budget) पर लद्दाख (Ladakh) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन (China) के साथ तनाव का असर साफ दिख रहा है। इसकी वजह यह है कि सिर्फ सेना के आधुनिकीकरण के लिए पूंजीगत खर्च (capital expenditure) में ही मौजूदा वित्त वर्ष के मुकाबले 18.75 फीसदी या 21,326 करोड़ रुपये का इजाफा कर दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत खर्च में यह पिछले 15 वर्षों का सबसे बड़ा इजाफा बताया जा रहा है। दरअसल, इस समय पूर्वी लद्दाख में करीब 50 हजार जवान तैनात हैं, जिनकी तैनाती के लिए कई तरह की आपात खरीदारी करनी पड़ी है और इसकी आगे भी जरूरत बनी रहेगी।
रक्षा बजट में पूंजीगत खर्च में इजाफा
रक्षा बजट में पूंजीगत खर्च (capital expenditure) के लिए 21,326 करोड़ रुपये का इजाफा अगले वित्त वर्ष के लिए प्रस्तावित है। वैसे, बजट के आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा वित्त वर्ष में भी सुरक्षा बलों को आपात खरीद के लिए अतिरिक्त 20,776 करोड़ रुपये आवंटित करने पड़े हैं। यह खर्च वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारी तादाद में सैनिकों की तैनाती की वजह से बढ़ा है। अगर अगले वित्त वर्ष में रक्षा क्षेत्र के कुल आवंटन को देखें तो यह रकम 4.78 लाख करोड़ रुपये होती है, जिसमें पेंशन भी शामिल है। यह रकम चालू वित्त वर्ष में 4.71 लाख करोड़ रुपये थी। यानी इसमें सिर्फ 1.48 फीसदी का इजाफा हुआ है। लेकिन, अगर इससे पेंशन के हिस्से को अलग कर दें तो वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कुल आवंटन 3.62 लाख करोड़ का है, जो कि चालू वित्त वर्ष के 3.37 लाख करोड़ रुपये से 7.34 फीसदी अधिक है।
कई तरह की आपात खरीद की पड़ी जरूरत
पूर्वी लद्दाख (Estern Ladakh) में एलएसी (LAC) पर चीन के साथ तनाव की शुरुआत पिछले साल मई से शुरू हुआ और उसके बाद वहां 50,000 सैनिक और साजो-सामान तैनात किए गए हैं। यही वजह है कि साल 2020-21 के संशोधित अनुमानों में सुरक्षा बलों के लिए 20,776 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया। सेना के जवानों के साथ वहां पर इंडियन एयरफोर्स ने भी अपने फ्रंटलाइन फाइटर्स की तैनाती की है। इसकी वजह से सशस्त्र सेना को कई तरह के उपकरणों के अलावा बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में अत्यधिक ठंड से मुकाबले के लिए बहुत ही मुश्किल मौसम में इस्तेमाल किए जाने लायक कपड़ों (extreme weather clothing)की भी आपात खरीद करनी पड़ी है।
इमरजेंसी एंड फास्ट ट्रैक रूट से 38 डील
पिछले महीने ही थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि पिछले साल अनुमानित 5,000 करोड़ रुपये की 38 डील 'इमरजेंसी एंड फास्ट ट्रैक' रूट से की गई और इसके अतिरिक्त 13,000 करोड़ रुपये की खरीद की गई। लेकिन, इस दौरान रक्षा क्षेत्र में पेंशन के लिए आवंटित किए गए बजट में महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिली है। चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों में यह 1.34 लाख करोड़ से घटाकर 1.25 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। जबकि, साल 2021-22 में इसके लिए आवंटन और घटाकर 1.15 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है। अगर 2020-21 से 2021-22 के आवंटन को देखें तो यह करीब 13.4 फीसदी या 17,775 करोड़ रुपये की गिरावट है। बता दें कि 15वें वित्त आयोग (15th Finance Commission)ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि जीडीपी के अनुपात में रक्षा खर्च (expenditure on defence services)साल 2011-12 के 2 फीसदी से घटकर 2018-19 में 1.5 फीसदी रह गया और 2020-21 में यह और कम होकर महज 1.4 रह गया था।