लद्दाख के प्रतिनिधियों ने गृहमंत्री से की मुलाकात, सरकार के आश्वासन के बाद चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं सभी दल
नई दिल्ली: लद्दाख में कई दलों ने स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) के आगामी चुनावों का बहिष्कार करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद शनिवार को क्षेत्र के एक प्रभावशाली संगठन के प्रतिनिधियों ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अपनी सभी मांगों को सरकार के सामने रखा। अब गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद ये संभावना जताई जा रही है नाराज लोग एलएएचडीसी के चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं। साथ ही सरकार ने उनकी सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है।
इस मुलाकात के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि स्थानीय नेताओं की ओर से लद्दाख में भूमि, नौकरियों और संस्कृति की रक्षा के लिए संवैधानिक सुरक्षा की मांग की जा रही है। शनिवार को लद्दाख के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल गृहमंत्री अमित शाह से मिला था। ऐसे में सोमवार को गृहराज्य मंत्री किशन रेड्डी सोमवार को लेह जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार लद्दाख से संबंधित मुद्दों को देखते हुए भारत के संविधान की छठी अनुसूची के तहत उपलब्ध संरक्षण पर चर्चा के लिए तैयार है। इस वजह से प्रतिनिधिमंडल ने आगामी चुनाव के बहिष्कार के लिए अपना आह्वान वापस लेने पर सहमति व्यक्त की ।
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रिजिजू के मुताबिक 15 दिनों बाद हम लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद की मांग पर विचार करने के लिए प्रक्रिया शुरू करेंगे। प्रतिनिधिमंडल को गृह मंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया कि भारत सरकार लद्दाख के लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस संबंध में हर संभव कदम उठाया जाएगा। साथ ही उनसे चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की गई है।
क्या
है
पूरा
मामला?
लद्दाख
देश
के
सबसे
खूबसूरत
इलाकों
में
से
एक
है।
यहां
की
खूबसूरती
और
संस्कृति
सभी
को
कायल
कर
देती
है।
लद्दाख
की
जनसंख्या
भी
महज
3
लाख
है,
ऐसे
में
यहां
के
लोग
नहीं
चाहते
कि
बाहरी
लोग
आकर
बसें।
इस
वजह
से
वो
छठी
अनुसूची
में
जगह
और
यहां
के
लिए
स्वायत्त
परिषद
चाहते
हैं।
छठी
अनुसूची
में
आने
के
बाद
यहां
पर
भूमि
अधिकारों
के
संरक्षण,
मूल
निवासी
की
सामाजिक-सांस्कृतिक
और
जातीय
पहचान
का
प्रावधान
हो
जाएगा।
इसके
लिए
विशेष
कानून
होंगे।
मौजूदा
वक्त
में
असम,
मेघालय,
त्रिपुरा
और
मिजोरम
में
ऐसा
ही
प्रावधान
है।